बार एसोसिएशन लॉयर्स की एक एसोसिएशन या प्रैक्टिस करने वाला एक ग्रुप सिस्टम होता है। भारत में, कुछ बार एसोसिएशन लॉयर्स के कंडक्ट को रेगुलेट करने का काम करती हैं, जबकि बाकि कुछ एसोसिएशनस ऐसी हैं, जो अपने मेंबर्स को सर्व करती हैं, और बाकी कुछ अस्सोसिएशन्स दोनों काम करती है।एडवोकेट एक्ट, 1961 के सेक्शन 17(4) में यह क्लीयरली बताया गया है कि, “किसी भी व्यक्ति को एक से ज्यादा स्टेट बार काउंसिल में एडवोकेट के रूप में रजिस्टर नहीं किया जाएगा”। इसलिए, एडवोकेट एक से ज्यादा बार अस्सोसिएशन्स के मेंबर बन सकते है।
बार काउंसिल और बार एसोसिएशन के बीच क्या अंतर है?
बार काउंसिल और बार एसोसिएशन में अंतर इस प्रकार है :-
स्टेट बार काउंसिल एक कानूनी सिस्टम है, जो कि एडवोकेट्स एक्ट, 1961 के तहत बनाया गया है। यह एक पर्टिकुलर स्टेट के एडवोकेट के रिप्रेज़ेंटेटिव/प्रतिनिधियों के रूप में काम करते हैं और साथ ही यह उस स्टेट में लीगल प्रोफेशन को भी रेगुलेट करते हैं। किसी भी स्टेट के कानूनी कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने के लिए उस स्टेट के बार काउंसिल में एनरोलमेंट कराना जरूरी होता है। हालांकि, भारत में कोर्ट्स में प्रैक्टिस करने के लिए बार एसोसिएशन में एनरोललंनेट करना जरूरी नहीं है।
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बार एसोसिएशन ऐसे एडवोकेट्स की एक एसोसिएशन हैं, जो किसिस पर्टिकुलर कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं और इसके साथ रेजिस्टरड लॉयर्स के वेलफेयर के लिए काम कर रहे हैं, इस प्रकार हर कोर्ट के लिए एक अलग बार एसोसिएशन है। उदाहरण के लिए, दिल्ली बार एसोसिएशन, दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, द्वारका कोर्ट बार एसोसिएशन, नई दिल्ली बार एसोसिएशन, आदि।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट और प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरिफिकेशन) एक्ट, 2015 की शुरुआत के बाद, एक लॉयर बार एसोसिएशन में ही वोट कर सकता है। बार एसोसिएशन अब के समय में केवल एक एडवोकेट यूनियन बन के रह गया हैं।
एडवोकेट मान्यता या इन एसोसिएशन्स द्वारा दी जाने वाली फैसिलिटीज़ के लिए अलग-अलग राष्ट्रीय या स्थानीय बार एसोसिएशन्स का हिस्सा बन जाते हैं। कुछ फेमस एसोसिएशन सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन, दिल्ली बार एसोसिएशन, नेशनल बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया आदि हैं।
बार काउंसिल:
एडवोकेट एक्ट के सेक्शन 3 में कहा गया है कि हर स्टेट के लिए एक बार काउंसिल होनी चाहिए।
एक्ट के सेक्शन 5 में प्रोविज़न है कि शाश्वत उत्तराधिकार और एक कॉमन सील के साथ एक कॉर्पोरेट सिस्टम है, तो वह प्रॉपर्टी ले सकता है या केस कर सकता है।
एक्ट के सेक्शन 6 के तहत दिए गए स्टेट बार काउंसिल के मेन काम यह हैं:
- किसी व्यक्ति को एडवोकेट के रूप में एनरोलमेंट कराने के लिए रजिस्टर कराना।
- अपने एनरोलड़ लॉयर्स के खिलाफ मिसकंडक्ट के केसिस पर विचार करना और उनका फैसला करना।
- एडवोकेट्स के अधिकारों, विशेषाधिकारों और हितों की रक्षा करना।
- कानून सुधार को बढ़ावा देने के लिए
- गरीबों के लिए लीगल हेल्प अरेंज करना
- अपने मेंबर्स का चुनाव करना
- काउंसिल द्वारा शुरू की गई एडवोकेट्स के लिए कल्याणकारी योजनाओं के इम्प्लीमेंटेशन के विकास को बढ़ावा देना।
बार काउंसिल इन उद्देश्यों के लिए फंड्स इकठ्ठा कर सकती है:
- गरीब, विकलांग या बाकि एडवोकेट्स के लिए कल्याणकारी योजनायें शुरू करने के लिए आर्थिक सहायता देना।
- रूल्स के अनुसार लीगल हेल्प या एडवाइस देना।
लीड इंडिया दिल्ली में एक्सपीरिएंस्ड एडवोकेट्स प्रदान करता है। अलग-अलग लीगल केसिस पर मार्गदर्शन या कानूनी सलाह दी जाती है। आप हमसे ऑनलाइन या फोन कॉल से कांटेक्ट कर सकते हैं।