क्या एक दिन में कोर्ट मैरिज संभव है? जानिए पूरी कानूनी प्रक्रिया

Is court marriage possible in one day Know the complete legal process

एक ही दिन में कैसे कोर्ट मैरिज हो सकती है?

  • यह सवाल अक्सर उन जोड़ों के मन में आता है जो बिना लंबी औपचारिकताओं के, कानूनी रूप से शादी करना चाहते हैं। 
  • भारत में कोर्ट मैरिज के लिए दो मुख्य कानून मौजूद हैं हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955, मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 और विशेष विवाह अधिनियम, 1954। लेकिन क्या वाकई में 1-2  ही दिन में विवाह संभव है?
  • इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि किन परिस्थितियों में एक दिन में विवाह संभव है, किस कानून के तहत कौन-सी प्रक्रिया अपनानी होती है, और किन दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है। 
  • इसके साथ-साथ हम यह भी जानेंगे कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में विवाह में धार्मिक अनुष्ठानों की वैधता को लेकर क्या अहम फैसला दिया है।

भारत में कोर्ट मैरिज 3 प्रमुख कानूनों के तहत की जाती है:

  • विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (Special Marriage Act)
  • हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 (Hindu Marriage Act)
  • मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937

इनमें से केवल हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत 1-2 दिन में विवाह पंजीकरण संभव है, जबकि विशेष विवाह अधिनियम में 30 दिन का नोटिस पीरियड अनिवार्य होता है।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत 1-2 दिन में कोर्ट मैरिज कैसे हो सकती है?

यदि वर और वधू हिंदू, सिख, जैन या बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, तो वे आर्य समाज मंदिर में विवाह कर सकते हैं और उसी दिन हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत विवाह का रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।

इसे भी पढ़ें:  क्या माता-पिता को बताए बिना कोर्ट मैरिज कर सकते हैं?

पात्रता शर्तें:

  • वर की आयु: 21 वर्ष या अधिक
  • वधू की आयु: 18 वर्ष या अधिक
  • दोनों पक्षों की वैवाहिक स्थिति अविवाहित, तलाकशुदा या विधवा/विधुर
  • दोनों का धर्म हिंदू, सिख, जैन या बौद्ध (धर्म परिवर्तन आवश्यक हो सकता है)
दस्तावेज़विवरण
पासपोर्ट साइज फोटोवर-वधू के 6-6 फोटो
पहचान पत्रआधार कार्ड / वोटर आईडी / पासपोर्ट
निवास प्रमाण पत्रबिजली बिल, राशन कार्ड, बैंक स्टेटमेंट आदि
जन्म प्रमाण / आयु प्रमाण10वीं की मार्कशीट या जन्म प्रमाण पत्र
गवाहों के दस्तावेज2 गवाहों के फोटो और पहचान पत्र
तलाक या मृत्यु प्रमाण(यदि लागू हो) डिक्री या मृत्यु प्रमाण पत्र
शपथ पत्रकि विवाह स्वेच्छा से किया जा रहा है और दोनों अविवाहित हैं

प्रक्रिया:

  • आर्य समाज मंदिर में विवाह किया जाता है (सामान्यतः 3-4 घंटे में प्रक्रिया पूर्ण होती है)।
  • उसी दिन विवाह पंजीकरण कार्यालय में विवाह का रजिस्ट्रेशन कराया जाता है।
  • विवाह का सर्टिफिकेट जारी किया जाता है (आमतौर पर 1-3 कार्यदिवस में)।

मुस्लिम कानून के तहत कोर्ट मैरिज कैसे होती है?

मुस्लिम विवाह एक धार्मिक अनुबंध (निकाह) होता है, जो शरीयत के अंतर्गत संपन्न किया जाता है। इसमें भी एक दिन में विवाह किया जा सकता है, बशर्ते सभी कागजात और गवाह तैयार हों।

प्रक्रिया:

  • मौलवी या काज़ी के समक्ष निकाह
  • निकाह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड या स्थानीय निकाह रजिस्ट्रार में रजिस्टर
  • निकाह सर्टिफिकेट उसी दिन या अगले दिन जारी हो सकता है
  • यदि विवाह को विशेष विवाह अधिनियम के तहत भी रजिस्टर करना हो, तो 30 दिन का नोटिस अनिवार्य होगा

विशेष विवाह अधिनियम के तहत कोर्ट मैरिज में समय क्यों लगता है?

  • विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह धर्म-निरपेक्ष होता है और इसमें धार्मिक रीतियों की कोई भूमिका नहीं होती। 
  • परंतु, इस प्रक्रिया में एक 30 दिन का नोटिस पीरियड होता है, जिसे रजिस्ट्रार के कार्यालय में सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया जाता है।
  • अगर इस दौरान कोई आपत्ति नहीं आती, तभी विवाह सम्पन्न हो सकता है।
  • इस प्रक्रिया में लगभग 30-40 दिन का समय लग सकता है।
इसे भी पढ़ें:  कोर्ट मैरिज के लिए जरूरी दस्तावेज की पूरी जानकारी?

तुलना: हिन्दू विवाह अधिनियम बनाम विशेष विवाह अधिनियम

बिंदुहिन्दू विवाह अधिनियममुस्लिम पर्सनल लॉविशेष विवाह अधिनियम
समय2 दिन में संभव1-2  दिनकम से कम 30 – 45 दिन
धर्मकेवल हिन्दू, सिख, जैन, बौद्धकेवल मुस्लिमसभी धर्मों के लिए
रीतिरिवाजआर्य समाज के माध्यम से + पंजीकरणनिकाह + निकाहनामाकोई धार्मिक रिवाज नहीं
नोटिस पीरियडनहीं होतानहीं होता30 दिन का अनिवार्य नोटिस
धार्मिक अनुष्ठानहांहांनहीं

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: धार्मिक अनुष्ठानों की अनिवार्यता

2024 में डॉली रानी बनाम मनीष कुमार चंचल मामले में, न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यदि विवाह हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 7 के अनुसार आवश्यक धार्मिक अनुष्ठानों के बिना संपन्न होता है, तो वह वैध नहीं माना जाएगा।​

  • जब तक पक्षकारों ने आवश्यक धार्मिक अनुष्ठानों के साथ विवाह नहीं किया है, तब तक वह विवाह हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 7 के अनुसार वैध नहीं माना जाएगा। 
  • केवल विवाह प्रमाणपत्र जारी कर देने से वैवाहिक स्थिति स्थापित नहीं होती।” ​

इसका मतलब: अगर आपने आर्य समाज विवाह नहीं किया और सीधे रजिस्ट्रेशन कराया, तो वह वैध नहीं होगा।

विवाह प्रमाणपत्र की वैधता कब संदिग्ध हो सकती है?

  • अगर धार्मिक अनुष्ठान नहीं हुए
  • अगर कोई पक्ष विवाह के लिए मजबूर किया गया
  • अगर दस्तावेज़ फर्जी थे
  • अगर नोटिस पीरियड की अवहेलना की गई (विशेष विवाह अधिनियम के मामले में)

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

Q1. क्या कोई मुस्लिम या ईसाई हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत एक दिन में कोर्ट मैरिज कर सकता है?

Ans: हां, लेकिन पहले उसे धर्म परिवर्तन कर “हिन्दू” बनना होगा और शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा।

इसे भी पढ़ें:  परेंट्स की इनकम और उनका पढ़ा लिखा होना, बच्चे की कस्टडी तय करने का एकमात्र तरीका नहीं: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

Q2. क्या विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह को तेज किया जा सकता है?

Ans: नहीं, कानून के अनुसार 30 दिन का नोटिस देना अनिवार्य है।

Q3. कोर्ट मैरिज में कौन-कौन गवाह बन सकते हैं?

Ans: कोई भी 18+ वर्ष का व्यक्ति जो वर-वधू को पहचानता हो — दोस्त, रिश्तेदार, सहकर्मी आदि।

Social Media