राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर बेंच के अनुसार एक मृतक कर्मचारी की दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बच्चा भी अनुकंपा/कंपनसेशन पाने का हकदार है। इस केस में निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए, जज संदीप मेहता और जज कुलदीप माथुर की बेंच ने मुकेश कुमार व् भारत संघ के केस में सुप्रीम कोर्ट के हाल ही के फैसले को ध्यान में रखा, जिसमें यह देखा गया था कि कंपैशनेट अप्वॉइंटमेंट पॉलिसी बच्चे की जायज़ता या नाजायज़ता के आधार पर भेदभाव नहीं करती है।
‘मृतक सरकारी सेवकों’ के आश्रितों की कंपनसेशन के तौर पर नियुक्ति के लिए क्या नियम है?
एक इंट्रा-पिटीशन पर सुनवाई करते समय राजस्थान हाई कोर्ट ने यह बात देखी कि हेमेंद्र पुरी द्वारा फाइल की गयी पिटीशन द्वारा एकल जज के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें उनके द्वारा फाइल की गयी रिट पिटीशन को कोर्ट द्वारा खारिज कर दिया गया था। कोर्ट द्वारा ख़ारिज की गयी पिटीशन में हेमेंद्र पुरी ने अपने मृत पिता के बदले ‘जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय’ में कंपनसेशन के तौर पर नौकरी के लिए नियुक्ति की मांग की थी।
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दिसंबर 2004 में, जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में ‘तबला वादक’ के रूप में काम करते हुए, हेमेंद्र पुरी अपीलकर्ता के पिता की मृत्यु हो गई थी। अपीलकर्ता हेमेंद्र पुरी और प्रतिवादी संख्या 4 (मृतक की दूसरी पत्नी से पैदा हुआ बेटा) दोनों ने कंपनसेशन के आधार पर जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में नियुक्ति के लिए आवेदन किया था।
प्रतिवादी विश्वविद्यालय ने, राजस्थान की मृतक सरकारी सेवकों के आश्रितों की कंपनसेशन नियुक्ति नियम, 1996 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए, दोनों आवेदनों पर विचार किया और प्रतिवादी संख्या 4 के पक्ष में फैसला किया।
इससे व्यथित होकर, अपीलकर्ता ने एक रिट पिटीशन फाइल की थी, जो अप्रैल 2018 को कोर्ट द्वारा खारिज कर दी गयी थी। ख़ारिज हुई वह विशेष पिटीशन में यह तर्क दिया गया था कि प्रतिवादी नंबर 4 की मां, मृतक कर्मचारी की दूसरी पत्नी थी, जिसके अनुसार प्रतिवादी नंबर 4 कर्मचारी की दूसरी बीवी का बच्चा है और इसीलिए कंपनसेशन के तौर पर उसकी नियुक्ति नहीं की जानी चाहिए।
साथ ही, यह भी तर्क दिया गया कि अपीलकर्ता मृतक कर्मचारी के स्थान पर नियुक्ति के लिए पूरी तरह से योग्य और हकदार है। हालांकि, कंपनसेशन नियुक्ति का दावा करने के अपने अधिकार की अवैध रूप से अनदेखी करते हुए, प्रतिवादी संख्या 4 को नियुक्त किया गया था।
हाई कोर्ट की टिप्पणी
मुकेश कुमार के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का जिक्र करते हुए, कोर्ट ने इस केस में कहा कि कंपनसेशन के तौर पर नियुक्ति के लिए आर्टिकल 16(2) में बताये गए किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए, जिसमे वंशानुक्रम का आधार भी शामिल है।
इसके अलावा, कोर्ट ने मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों की राजस्थान कंपनसेशन नियुक्ति नियम, 1996 पर भी ध्यान दिया। ताकि, यह निष्कर्ष निकाला जा सके कि प्रतिवादी संख्या 4 द्वारा कंपनसेशन के तौर पर नियुक्ति की मांग करने वाले आवेदन को प्रतिवादी विश्वविद्यालय द्वारा केवल इस आधार पर खारिज ना किया जाए क्योंकि वह मृतक की दूसरी पत्नी का बच्चा है।
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