क्या गे कपल भी ले सकते है डाइवोर्स या मेंटेनेंस ?

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भारत में, सामान्य रूप से गे कपल को सम्मान की नजर से नहीं देखा जाता। कभी इन्हे इनका अधिकार भी नहीं मिला है। लेकिन अपने अधिकारों के लिए गे कम्युनिटी के लोगों ने बहुत सारे आंदोलन किये। इसके बाद धारा 377 के दंड के प्रावधान से इनको बहार कर दिया गया। अब LGBT कम्युनिटी आपस में किसी भी तरह के रिश्ते रख सकती है। चाहे वो लिव-इन हो या शादी, अब ये कानूनन जुर्म नहीं है। 

दरअसल,  इस पर अनुसंधान किया गया है। इस अनुसंधान के अन्तर्ग्रत पाया गया, की अप्राकृतिक शारीरिक सम्बन्ध से कोई संक्रमण नहीं फैलता है। ऐसे सम्बन्ध किसी भी तरह से नुकसानदेह भी नहीं है। LGBT कम्युनिटी अपनी मर्जी से आपस में सम्बन्ध बना सकते है, लिव-इन में रह सकते है और अब शादी भी कर सकते है। बशर्ते, उन्हें शादी के बाद मिलने वाले कानूनी अधिकार नहीं दिए गए है। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट अशोक सिंह कहते है, अब तक शादी को लेकर कानून के दायरे में केवल लड़का और लड़की को ही रखा गया है।

LGBT ग्रुप के बालिग़ लोग अपनी मर्जी से आपस मे शादी भी कर सकते है, लेकिन वैवाहिक अधिकारों के अन्तर्ग्रत नहीं आते है। लेकिन शादी के बाद ज़िन्दगी में बहुत से परिवर्तन आते है। प्यार होता है, तो झगडे भी अपनी जगह बना ही लेते है। जब LGBT कम्युनिटी के लोग शादी के बंधन में बंधते है तो क्या वो इसे अपनी मर्जी से खत्म भी कर सकते है। LGBT कम्युनिटी के शादी से रिलेटेड अधिकारों का कोई स्पष्टीकरण अभी कानून में नहीं दिया गया है। जरुरत पड़ने पर नए कानून बनाये जाते है और पुराने कानून बदले भी जाते है। तो शायद आने वाले समय में इस मुद्दे पर भी कोई स्पष्टीकरण आ जाये। अब देखते है की आखिर वो कौन-से अधिकार है, जो मैरिड कपल्स को उनकी शादी के बाद मिलते है। लेकिन LGBT कम्युनिटी को अभी नहीं मिले है।

संपत्ति का अधिकार

शादी के बाद लड़के के घर में रहने का कानूनन हक़ लड़की को मिल जाता है। चाहे वो घर किराये का हो, लड़के द्वारा बनाया गया हो, जॉइंट फॅमिली का घर हो, या फिर पुश्तैनी घर हो। लेकिन LGBT कम्युनिटी के अन्तर्ग्रत आने वाले लोगो में से कोई भी पार्टनर अपनी प्रॉपर्टी दूसरे पार्टनर के साथ शेयर करने के लिए बाध्य नहीं है।

मेंटेनेंस का अधिकार

लड़की अपनी डेली नीड्स, बेसिक कम्फर्ट, और लिविंग स्टैण्डर्ड, की चीजों की मांग अपने पति से कर सकती है। गे कपल में कोई भी पार्टनर दूसरे पार्टनर से किसी भी परिस्तिथि में मेंटेनेंस की मांग नहीं कर सकता है।

चाइल्ड मेन्टेन्स का अधिकार

बच्चे की परवरिश का पूरा भार पिता पर होता है। पत्नी अपने पति से बच्चे की परवरिश के लिए पूरा फाइनेंसियल स्पोर्ट की मांग कर सकती है। लेकिन LGBT कम्युनिटी के केस में ऐसा नहीं है। अगर कपल का कोई बच्चा/बच्चे ,है तो उसका पूरा भार उसके बायोलॉजिकल फादर या मदर के ऊपर है।

डाइवोर्स लेने का अधिकार

 गे कपल को शादी का अधिकार तो मिल गया लेकिन उस शादी को ख़त्म करने का कोई अधिकार अभी उनके पास नहीं है। अन्य अधिकारो की तरह ही इस अधिकार से भी LGBT कम्युनिटी अभी वंचित है। 

कमिटेड रिलेशनशिप का अधिकार

हिन्दू धर्म के अनुसार पति शादी के बाद डाइवोर्स लिए बिना दूसरी लड़की के साथ अफेयर या शादी नहीं कर सकता है। अगर ऐसा कुछ होता है, तो पत्नी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के बीहॉफ पर डाइवोर्स ले सकती है। और ऐसा कुछ करने पर पति पर अडल्ट्री का चार्ज भी लगा सकती है। इस राइट को भी LGBT कम्युनिटी के लिए क्लियर नहीं किया गया है। 

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स्त्रीधन का अधिकार

स्त्रीधन का मतलब है वो धन जो लड़की को उसकी शादी के समय गिफ्ट्स और पैसे के तौर पर मिलता है। महिला अपने स्त्रीधन का कभी भी अपनी मर्जी से यूज़ कर सकती है। चाहें वो उसके पति या ससुराल वालों के पास ही क्यों ना रखा हो। स्त्रीधन पर केवल महिला का अधिकार माना जाता है। LGBT कम्युनिटी में से कोई भी पार्टनर ये अधिकार दूसरे पार्टनर से नहीं मांग सकता है।

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