डोमेस्टिक वायलेंस एक गंभीर समस्या है जो कई लोगों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित करती है। एक रिश्ते में होने वाला मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार शादी खत्म होने के बाद भी खत्म नहीं होता। जब डाइवोर्स हो जाता है, तो कई पीड़ित सोचते हैं कि क्या वे अब भी कानूनी कारवाई कर सकते हैं।
क्या आप डाइवोर्स के बाद डोमेस्टिक वायलेंस का मामला दर्ज कर सकते हैं? इस ब्लॉग में हम इसी सवाल का जवाब देंगे और बताएंगे कि डाइवोर्स के बाद भी पीड़ितों के लिए क्या-क्या कानूनी विकल्प उपलब्ध हैं।
डाइवोर्स और डोमेस्टिक वायलेंस का संबंध
क्या डाइवोर्स के बाद डोमेस्टिक वायलेंस का मामला दर्ज हो सकता है?
डाइवोर्स के बाद भी डोमेस्टिक वायलेंस के मामलों में केस दर्ज किया जा सकता है। डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट, 2005 के तहत, पत्नी या पति द्वारा डाइवोर्स लेने के बाद भी वायलेंस की घटनाएं घटित हो सकती हैं। यह वायलेंस मानसिक, शारीरिक, या आर्थिक रूप में हो सकती है। डाइवोर्स के बाद वायलेंस का मामला अक्सर तब सामने आता है, जब डाइवोर्सशुदा महिला या पुरुष को अपने पूर्व जीवनसाथी से उत्पीड़न या दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है।
डाइवोर्स होने के बाद डोमेस्टिक वायलेंस कैसे हो सकती है?
डाइवोर्स के बाद भी डोमेस्टिक वायलेंस का एक सामान्य उदाहरण तब होता है जब एक पूर्व पति अपनी डाइवोर्सशुदा पत्नी को शारीरिक या मानसिक रूप से परेशान करता है। कभी-कभी डाइवोर्स के बाद पत्नी को उसके वैवाहिक घर से बाहर करने का प्रयास किया जाता है, या उसे आर्थिक सहायता देने से मना किया जाता है। इस तरह के उत्पीड़न से पीड़ित व्यक्ति डोमेस्टिक वायलेंस का मामला दर्ज कर सकता है।
डोमेस्टिक वायलेंस कानून 2005 (PWDVA) में डाइवोर्स के बाद सुरक्षा प्रावधान
डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005 में यह प्रावधान है कि यदि डाइवोर्स के बाद कोई व्यक्ति वायलेंस का शिकार होता है, तो वह कानून के तहत अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है। यह एक्ट यह सुनिश्चित करता है कि पीड़ित व्यक्ति को न्याय मिले और उसकी सुरक्षा के लिए आदेश जारी किया जा सके।
डाइवोर्स के बाद डोमेस्टिक वायलेंस केस फाइल करने के कानूनी आधार
डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट की धारा 2(a) के तहत कौन-कौन डोमेस्टिक रिलेशन के दायरे में आता है?
डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट की धारा 2(a) में डोमेस्टिक रिलेशन के तहत पत्नी, पूर्व पत्नी, और अविवाहित महिला के अलावा पति और उसके परिवार के सदस्य भी आते हैं। इसका मतलब है कि डाइवोर्सशुदा महिला या पुरुष भी डोमेस्टिक वायलेंस के तहत आने वाले अधिकारों का दावा कर सकते हैं।
क्या डाइवोर्सशुदा पत्नी/पति भी डोमेस्टिक वायलेंस के केस के लिए पात्र हैं?
जी हां, डाइवोर्सशुदा पत्नी या पति भी डोमेस्टिक वायलेंस के केस के लिए पात्र हैं। यदि डाइवोर्स के बाद भी कोई व्यक्ति वायलेंस का शिकार हो रहा है, तो वह डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के तहत न्याय की मांग कर सकता है।
डाइवोर्स के बाद डोमेस्टिक वायलेंस केस के लिए सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट की महत्वपूर्ण न्यायिक व्याख्याएं
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने कई मामलों में यह स्पष्ट किया है कि डाइवोर्स के बाद भी यदि कोई व्यक्ति डोमेस्टिक वायलेंस का शिकार हो रहा है, तो उसे न्याय मिलना चाहिए।
भारत के एक्स चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा: “गरिमा के साथ जीने का अधिकार सिर्फ शादीशुदा महिलाओं तक सीमित नहीं है। यह हर उस व्यक्ति पर लागू होता है जो घरेलू हिंसा का शिकार है, चाहे उनकी वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो।”
डाइवोर्स के बाद डोमेस्टिक वायलेंस के प्रकार
- मानसिक वायलेंस (Psychological Abuse): मानसिक वायलेंस का मतलब है किसी व्यक्ति को मानसिक रूप से प्रताड़ित करना, उसे लगातार ताने देना, या उसे आत्मविश्वास की कमी महसूस कराना। डाइवोर्स के बाद इस प्रकार की वायलेंस काफी आम हो सकती है, जब एक पूर्व साथी दूसरे को गालियाँ देता है या उसकी बेइज्जती करता है।
- आर्थिक वायलेंस (Economic Abuse): आर्थिक वायलेंस का मतलब है किसी को उसकी आर्थिक स्वतंत्रता से वंचित करना, जैसे कि डाइवोर्सशुदा पत्नी को उसकी भरण-पोषण की राशि देना बंद कर देना या उसे उसके आर्थिक अधिकारों से वंचित करना।
- शारीरिक वायलेंस (Physical Abuse): शारीरिक वायलेंस में शारीरिक चोट पहुँचाना या धमकी देना शामिल है। डाइवोर्स के बाद यदि पति अपनी पत्नी को शारीरिक रूप से प्रताड़ित करता है, तो यह डोमेस्टिक वायलेंस के दायरे में आता है।
डोमेस्टिक वायलेंस केस फाइल करने की प्रक्रिया
डाइवोर्स के बाद केस दर्ज करने की सही प्रक्रिया क्या है?
डाइवोर्स के बाद डोमेस्टिक वायलेंस का केस दायर करने के लिए सबसे पहले संबंधित मजिस्ट्रेट कोर्ट या पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करनी होती है। इसके बाद न्यायालय पीड़ित को सुरक्षा और अन्य आदेश दे सकता है।
FIR या मजिस्ट्रेट कोर्ट में सीधे आवेदन – कौन-सा विकल्प बेहतर है?
यदि मामला गंभीर है, तो FIR दर्ज करना बेहतर होता है। यदि मामला कम गंभीर है, तो सीधे मजिस्ट्रेट कोर्ट में आवेदन किया जा सकता है।
सबूत के रूप में किन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी?
सबूत के तौर पर विवाह प्रमाण पत्र, डाइवोर्स का आदेश, डॉक्टर की रिपोर्ट (यदि शारीरिक वायलेंस हुई हो), और अन्य दस्तावेज जैसे गवाहों के बयान आदि की आवश्यकता होगी।
डाइवोर्स के बाद डोमेस्टिक वायलेंस केस के कानूनी लाभ
सुरक्षा आदेश (Protection Order) क्या होता है और इसे कैसे प्राप्त करें?
सुरक्षा आदेश, पीड़ित को उत्पीड़न से बचाने के लिए न्यायालय द्वारा जारी किया जाता है। इसे प्राप्त करने के लिए पीड़ित को न्यायालय में आवेदन करना होता है, और न्यायालय उसके आधार पर आदेश जारी करता है।
निवास अधिकार (Residence Order) कैसे लें?
यदि एक डाइवोर्सशुदा महिला अपने पूर्व पति के घर से बाहर निकाल दी जाती है, तो वह न्यायालय से निवास अधिकार का दावा कर सकती है, ताकि उसे रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान मिले।
आर्थिक सहायता और मुआवजे का दावा कैसे करें?
पीड़ित व्यक्ति डोमेस्टिक वायलेंस के दौरान हुए नुकसान के लिए मुआवजे का दावा कर सकता है। न्यायालय आर्थिक सहायता के आदेश भी दे सकता है, जैसे कि भरण-पोषण राशि या अन्य मुआवजा।
केस फाइल करने में क्या चुनौतियाँ आती है?
- कई बार पीड़ित व्यक्ति डोमेस्टिक वायलेंस का मामला देर से दायर करता है, जिससे कानूनी बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। इस स्थिति में कानूनी सलाह और सही दिशा में काम करना जरूरी होता है।
- अगर किसी पर झूठा आरोप लगता है, तो उसे अपनी बेगुनाही साबित करने का अधिकार होता है। इसके लिए उचित प्रमाण और कानूनी रक्षा की आवश्यकता होती है।
- कोर्ट में देरी से बचने के लिए आपको सही दस्तावेजों के साथ सटीक आवेदन करना चाहिए और समय पर सभी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करना चाहिए।
एक अनुभवी वकील आपको कैसे मदद कर सकता है?
- एक अनुभवी वकील आपको डोमेस्टिक वायलेंस के केस में उचित कानूनी सलाह देने के साथ-साथ केस की प्रक्रिया को सही दिशा में मार्गदर्शन करेगा।
- वकील को चुनते समय उसकी विशेषज्ञता, अनुभव और ट्रैक रिकॉर्ड को ध्यान में रखना चाहिए।
- बिना वकील के केस फाइल करना जोखिमपूर्ण हो सकता है, क्योंकि कानूनी प्रक्रियाओं में गलतियाँ हो सकती हैं और आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कौशल अरविंद ठक्कर बनाम ज्योति कौशल ठक्कर (2024)
बॉम्बे हाई कोर्ट ने फैसला दिया कि तलाक के बाद भी पीड़ित के पास घरेलू हिंसा (DV) एक्ट के तहत राहत मांगने का अधिकार बना रहता है। कोर्ट ने कहा कि अगर DV एक्ट के आवेदन के समय घरेलू रिश्ता मौजूद था, तो राहत की मांग की जा सकती है।
मुख्य बातें:
- तलाक के बाद भी अगर घरेलू रिश्ता था, तो DV एक्ट के तहत राहत का अधिकार खत्म नहीं होता।
- DV एक्ट के नियम तलाक के बाद भी लागू रहते हैं, चाहे आपकी वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो।
निष्कर्ष
तलाक के बाद भी घरेलू हिंसा खत्म नहीं होती, और जो लोग अलगाव के बाद भी दुर्व्यवहार का शिकार हो रहे हैं, उन्हें यह जानना जरूरी है कि उनके पास खुद को सुरक्षित रखने के लिए कानूनी विकल्प उपलब्ध हैं। आप सुरक्षा आदेश के लिए आवेदन कर सकते हैं, अपराध की शिकायत पुलिस में दर्ज करा सकते हैं, या नागरिक अदालत में केस दर्ज कर सकते हैं—इन सभी कानूनी तरीकों से आप मदद ले सकते हैं।
अगर आप या आपका कोई जानकार तलाक के बाद घरेलू हिंसा का सामना कर रहा है, तो तुरंत कदम उठाएं और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करें। कानूनी सहायता लें, सबूत इकट्ठा करें, और उन संगठनों से संपर्क करें जो आपको जरूरी मदद और संसाधन प्रदान कर सकते हैं। याद रखें, आप अकेले नहीं हैं, और कानूनी सुरक्षा आपके जीवन को फिर से पटरी पर लाने में मदद कर सकती है।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. डाइवोर्स के कितने समय बाद तक डोमेस्टिक वायलेंस केस फाइल किया जा सकता है?
डाइवोर्स के बाद भी कोई व्यक्ति डोमेस्टिक वायलेंस का केस फाइल कर सकता है, बशर्ते कि उत्पीड़न की घटना अभी भी हो रही हो या हाल ही में हुई हो।
2. क्या पति भी डाइवोर्स के बाद डोमेस्टिक वायलेंस का केस कर सकता है?
जी हां, यदि पति भी वायलेंस का शिकार है, तो वह भी डोमेस्टिक वायलेंस का केस दर्ज कर सकता है।
3. केस जीतने में कितना समय लगता है?
केस का समय अवधि मामले की जटिलता, सबूतों और न्यायालय के कामकाज पर निर्भर करती है।
4. क्या डाइवोर्स के बाद भी मैं मानसिक या भावनात्मक दुर्व्यवहार के लिए केस कर सकता हूँ?
हां, मानसिक या भावनात्मक दुर्व्यवहार के लिए भी केस किया जा सकता है, भले ही तलाक हो चुका हो, जब तक कि उस दुर्व्यवहार के सबूत मौजूद हों।
5. क्या डाइवोर्स के बाद डोमेस्टिक वायलेंस के केस में पुलिस मेरी मदद करेगी?
जी हां, पुलिस आपकी मदद करेगी। आप पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकते हैं, और वे जांच करके कानूनी कार्रवाई करेंगी। अगर आपको खतरा महसूस हो, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें।