भारतीय विवाह अधिनियम, 1955 के तहत, तलाक के नियमों को सूचीबद्ध किया गया है। अगर पति नपुंसक है और वह विवाह के बाद अपनी पत्नी के साथ उत्तेजना पूर्वक संभोग के लिए असमर्थ है, तो आप विवाह तोड़ने के लिए तलाक का दावा कर सकती हैं। इसमें अविरोध निषेध की आवश्यकता हो सकती है, जिसके तहत अगर आपके पति का नपुंसकता के साथ विवाह और अविरोध निषेध के बावजूद संबंधों को जारी रखने की इच्छा होती है, तो आपकी तलाक का दावा अस्वीकार किया जा सकता है। अर्थात यदि पत्नी को विवाह के पहले यह ज्ञात हो कि उसका पति नपुंसक है तो ही अदालत इस दावे को खारिज कर सकती है। अन्यथा ऐसे मामलों में अदालत तलाक को स्वीकृत कर देती है।
पति के नपुंसक होने पर भारतीय कानून में पत्नी के अधिकार
भारतीय कानून में, पत्नी के अधिकारों की सुरक्षा और संरक्षण का प्रावधान किया गया है। नपुंसकता के मामले में, पत्नी के पास निम्नलिखित अधिकार हो सकते हैं
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वैध विवाह का स्थानांतरण
यदि आपका पति नपुंसक है और वह इस स्थिति में बना रहता है, तो आपको वैध विवाह का स्थानांतरण करने का अधिकार हो सकता है। इसे हमारे कानून में “नपुंसकता से आपत्ति” कहा जाता है और आप इसे न्यायिक निर्णय द्वारा प्राप्त कर सकती हैं।
आर्थिक मदद
आपको आर्थिक मदद के अधिकार हो सकते हैं। यदि आपका पति अपने नपुंसकता के कारण काम करने में असमर्थ है, तो आपको उचित आर्थिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार हो सकता है। इसमें न्यायिक निर्णय द्वारा निर्धारित राशि शामिल हो सकती है।
विवाह तोड़ने का अधिकार
यदि आपका पति नपुंसक है और आप इस संबंध को संभोग के लिए असमर्थ साबित करते हैं, तो आप वैध तलाक के लिए आवेदन कर सकती हैं। इसमें आपको न्यायिक निर्णय के आधार पर तलाक प्राप्त कर सकते हैं।
पति के नपुंसक होने पर पत्नी द्वारा तलाक लेने की प्रक्रिया क्या है ?
भारतीय कानून में, पत्नी के द्वारा तलाक लेने की प्रक्रिया विवाह अधिनियम, 1955 के तहत निर्धारित की जाती है। अगर आपका पति नपुंसक है और आप तलाक लेना चाहती हैं, तो निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करना होगा
तलाक आवेदन
पहली चरण में, आपको स्थानीय न्यायालय में तलाक आवेदन दाखिल करना होगा। आपको आवेदन में पति की नपुंसकता का उल्लेख करना होगा और तलाक की मांग करनी होगी।
उचित न्यायिक प्रक्रिया
आपका तलाक आवेदन न्यायिक प्रक्रिया के तहत चलेगा। इसमें आपको न्यायालय में प्रस्तुतीकरण करना होगा और उचित प्रमाण प्रस्तुत करना होगा जो आपकी मांग को समर्थन करता है। इसके बाद, न्यायालय आपके मामले को निर्धारित समयग्राही सुनवाई करेगा।
न्यायिक निर्णय
न्यायालय आपके मामले के प्रमाणों, तथ्यों और चर्चाओं का मूल्यांकन करेगा और उचित सुनवाई के बाद एक निर्णय देगा। यदि न्यायालय को आपके पक्ष में सिद्धांती मान्यता देता है, तो आपको तलाक प्राप्त होगी।
कृपया ध्यान दें कि यह सामान्यत प्रक्रिया है और इसका समाधान न्यायालय के निर्णय पर निर्भर करेगा। इसलिए, बेहतर होगा कि आप एक वकील से संपर्क करें। क्योंकि एक वकील आपको सही मार्गदर्शन देगा और आपकी मदद करेगा, जिससे आपका मामला संवेदनशीलता और विधि के अनुसार निपट सके।
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