डाइवोर्स लिए बिना क्या दूसरी शादी कर सकते है?

डाइवोर्स लिए बिना क्या दूसरी शादी कर सकते है?

भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ, 1939 के तहत पुरुषों को बिना डाइवोर्स दूसरी शादी करने की इजाज़त है। दूसरी तरफ, हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत एक शादी के होते हुए दूसरी शादी करना जुर्म है। इसके बावजूद कई बार लव-अफेयर्स या किसी मजबूरी में लोग दूसरी शादी कर लेते हैं। लेकिन भारत में दूसरी शादी कानूनी रूप से मान्य नहीं है। हालाँकि, कुछ स्पेशल सिचुऎशन्स में हिन्दुओं की दूसरी शादी भी लीगल है। आईये उन सिचुऎशन्स के बारे में विस्तार में जानते है।

बिना डाइवोर्स दूसरी शादी लीगल है:- 

(1) पार्टनर की मृत्यु:-

अगर किसी महिला या पुरुष के पार्टनर की मृत्यु हो जाती है, तो उसे दूसरी शादी के लिए डाइवोर्स की जरुरत नहीं होती है। इस सिचुएशन में वे अपने पार्टनर के डेथ सर्टिफिकेट के आधार पर दूसरी शादी कर सकते है। पहले समाज में विधवाओं का दोबारा शादी करना सही नहीं माना जाता था। लेकिन अब सिचुएशन बदल गयी है। और इसमें सरकार भी मदद कर रही है। सरकार विधवाओं की दोबारा शादी के लिए आर्थिक सहायता और इनाम देती है। और समाज के कुछ संघठन भी विधवाओं की दूसरी शादी कराने में मदद करते हैं।

(2) कोर्ट के द्वारा शादी रद्द हो:- 

अगर किसी भी वजह से कोर्ट द्वारा कपल की शादी रद्द कर दी गयी है। तो डाइवोर्स लेने की जरूरत नहीं है। कोर्ट के द्वारा किसी कपल की शादी रद्द होने के कई कारण हो सकते हैं। जैसे – नाबालिग़ शादी होना, दोनों ये एक पार्टनर का मानसिक संतुलन ठीक ना होना, कपल के बीच सपिण्डा रिलेशन होना आदि।

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(3) पार्टनर 7 सालों से लापता:-

अगर किसी व्यक्ति का हस्बैंड या वाइफ लगातार 7 सालों से लापता है और उसकी कोई खबर नहीं है कि वह जीवित है या नहीं, तो दूसरे पार्टनर को डाइवोर्स लेने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन, दूसरी शादी तभी संभव है जब व्यक्ति का पार्टनर लगातार 7 सालों से लापता हो और उसे ढूंढने की सारी कोशिशें असफल हो चुकी है।

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(4) धर्म परिवर्तन:- 

भारतीय संविधान के तहत अलग-अलग धर्मों में शादी के लिए अलग-अलग कानून बनाए गए हैं। जैसे हिन्दू मैरिज एक्ट के अनुसार, एक जीवित पार्टनर के होते हुए अगर कोई दूसरी शादी करता है, तो उसकी दूसरी शादी को अमान्य माना जाएगा। इसे आईपीसी के सेक्शन 494 के तहत दंडनीय अपराध माना गया है। कोर्ट ऐसे केसिस में दोषी को 7 साल तक की जेल की सज़ा और जुर्माना दोनों सुना सकती है। साथ ही, दूसरी वाइफ को वाइफ होने का कोई हक़ नहीं होगा।

लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार, पुरुषों को चार शादियां करने की अनुमति दी गयी है। लेकिन महिला को दूसरी शादी करने के लिए अपने पहले पति से डाइवोर्स लेना आवश्यक है। इसलिए अगर किसी का पार्टनर धर्म परिवर्तन करता है, तो वह बिना डाइवोर्स के भी दूसरी शादी कर सकता है।

दूसरी शादी की जानकारी देना जरूरी:-

व्यक्ति किसी भी कारन से दूसरी शादी करना चाहता है। उसे केंद्र सरकार को इसकी सारी जानकारी देनी होगी। केंद्र सरकार की सर्विस बुक में उनके क्षेत्र के नागरिकों की दूसरी शादी की जानकारी होना जरुरी है। ऐसा इसलिए ताकि पता लगाया जा सके कि कोई ऐसा व्यक्ति तो दूसरी शादी नहीं कर रहा, जिसकी वाइफ या हस्बैंड जीवित है। इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति की लेनी जरुरी है।

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