भारतीय संस्कृति में विवाह को एक पवित्र संस्था माना गया है। यह दो लोगों के बीच एक पवित्र बंधन है, जिसके अंतर्गत वे अपना शेष जीवन एक साथ बिताने के लिए एकमत होते हैं। दूल्हा और दुल्हन के बीच विवाह संपन्न होने के बाद, कुछ निश्चित आवश्यकताएं होती हैं, जिन्हें कानूनी रूप देने के लिए, यानी भारत में प्रचलित कानूनों के अंतर्गत इसे वैध बनाने के लिए पूरा किया जाना चाहिए।
ऐसी ही एक प्रक्रिया विवाह के पंजीकरण की है। कई बार ऐसे भी केस सामने आते हैं जहां विवाह का पंजीकरण विवाह के कई वर्षों बाद भी नहीं होता है। आज इस आलेख के माध्यम से हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि शादी के 15 साल बाद विवाह का प्रमाण पत्र कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
विवाह प्रमाणपत्र एक कानूनी दस्तावेज है जो दो लोगों के मिलन को प्रमाणित करता है। भारत में हिंदू विवाह क्रमशः 1955 के हिंदू विवाह अधिनियम या 1954 के विशेष विवाह अधिनियम द्वारा शासित होते हैं। भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने, वर्ष 2006 में, सीमा बनाम अश्विनी कुमार के मामले के माध्यम से इसे वैध बनाने के लिए विवाह को पंजीकृत करना अनिवार्य माना ।
आइये समझते हैं कि किसी विवाह का पंजीकरण कर प्रमाण पत्र कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 के तहत
अधिनियम की धारा 5 के अनुसार, एक हिंदू विवाह केवल दो हिंदुओं के बीच ही संपन्न हो सकता है। एम. विजयकुमारी बनाम के. देवबालन (2003) के मामले में , यह निर्णय लिया गया था कि एक हिंदू पुरुष जो ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गया था और एक ईसाई महिला जो हिंदू रूप धारण कर चुकी थी, के बीच विवाह मान्य नहीं है।
धारा 5 आगे अधिनियम के तहत विवाह के अनुष्ठापन की शर्तों को बताती है।
क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?
यह विवाह के अनुष्ठापन के योग्य होने के लिए निम्नलिखित शर्तों को निर्धारित करता है:
- विवाह के समय किसी भी पक्ष का कोई जीवित जीवनसाथी नहीं है।
- मानसिक विकृति के कारण कोई भी पक्ष इसे वैध सहमति देने में सक्षम नहीं है।
- वैध सहमति देने में सक्षम होने के बावजूद, उनमें से कोई भी इस तरह के या इस हद तक मानसिक विकार से पीड़ित नहीं रहा है कि वह शादी और बच्चों के लिए अयोग्य हो।
- विवाह के समय किसी भी पक्ष का कोई जीवित जीवनसाथी नहीं है।
- शादी के वक्त दूल्हे की उम्र कम से कम 21 साल और दुल्हन की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए।
- पक्ष निषिद्ध संबंध की डिग्री के भीतर नहीं हैं जब तक कि उनमें से प्रत्येक को नियंत्रित करने वाले रिवाज या प्रथा दोनों के बीच विवाह की अनुमति नहीं देते।
- पार्टियां सपिंड नहीं हैं (एक दूसरे का वंशज है), जब तक कि प्रत्येक पार्टी का रिवाज या प्रथा उनके बीच विवाह की अनुमति न दे।
- हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 8 के तहत विभिन्न चारणोंको पूर्ण कर विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा सकता है।
क्या विवाह के 15 साल बाद विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं?
भारत में विवाह के कितने भी वर्षों के बाद विवाह का पंजीकरण कर विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए विशेष विवाह अधिनियम का सहारा लिया जा सकता है। एवं उचित दस्तावेजो के साथ इस प्रक्रिया को पूर्ण किया जा सकता है।
विवाह के पंजीकरण के लिए कुछ दस्तावेज भी पूर्ण होने चाहिए। आइये समझते है वे कौन से दस्तावेज हैं?
ये दस्तावेज पति, पत्नी और गवाहों को विवाह पंजीकरण प्रक्रिया के लिए विधिवत भरे हुए विवाह पंजीकरण आवेदन पत्र के साथ अपने साथ ले जाने चाहिए।
पति और पत्नी दोनों का पहचान प्रमाण
- आधार कार्ड
- पैन कार्ड
- फोटो युक्त राशन कार्ड
- वोटर आईडी कार्ड
- पासपोर्ट
- ड्राइविंग लाइसेंस
- कोई अन्य सरकारी मान्यता प्राप्त दस्तावेज।
पति और पत्नी दोनों के जन्म प्रमाण की तारीख
- आधार कार्ड (सत्यापित डीओबी)
- पासपोर्ट
- ड्राइविंग लाइसेंस
- नर्सिंग होम / अस्पताल की रिपोर्ट
- भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त बोर्ड से एसएससी
- जन्म प्रमाणपत्र
- स्कूल के लेटर हेड पर प्रिंसिपल द्वारा हस्ताक्षरित स्कूल से प्रमाण पत्र
- सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी)/डॉक्टर की रिपोर्ट।
पति-पत्नी दोनों की शादी से पहले अलग-अलग एड्रेस प्रूफ
- आधार कार्ड
- वोटर आईडी कार्ड,
- ड्राइविंग लाइसेंस
- पासपोर्ट
- राशन पत्रिका
- बिजली का बिल
- पानी का बिल
- गैस का बिल
- टेलीफ़ोन बिल
- रेंट एग्रीमेंट
- बैंक पासबुक
- सरकार द्वारा जारी कोई अन्य दस्तावेज।
शादी के बाद एड्रेस प्रूफ
- आधार कार्ड
- वोटर आईडी कार्ड
- ड्राइविंग लाइसेंस
- पासपोर्ट
- राशन कार्ड
- बिजली का बिल
- पानी का बिल
- गैस का बिल
- टेलीफ़ोन बिल
- रेंट एग्रीमेंट
- बैंक पासबुक
- सरकार द्वारा जारी कोई अन्य दस्तावेज।
गवाहों का पहचान प्रमाण
- आधार कार्ड
- पैन कार्ड
- फोटो युक्त राशन कार्ड
- वोटर आईडी कार्ड
- पासपोर्ट
- ड्राइविंग लाइसेंस
- कोई अन्य सरकारी मान्यता प्राप्त दस्तावेज।
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