क्या शादियाँ वर्चुअल रूप से पंजीकृत कराई जा सकती हैं?

क्या विशेष कानून के तहत शादियां वस्तुतः पंजीकृत की जा सकती हैं?

दो लोगों के बीच विवाह एक बहुत ही पवित्र रिश्ता होता है। विवाह का विधिक पंजीकरण कराना विवाह के लिए अत्यधिक आवश्यक होता है। किसी भी विवाह का पंजीकरण करा कर मैरिज सर्टिफिकेट प्राप्त करने से पति पत्नी को कई प्रकार की सुविधाएं प्राप्त हो सकती हैं। यह वीजा परमिट , होम लोन , ज्वॉइंट एकाउंट आदि के लिए बहुत उपयोगी साबित होता है।

विवाह का पंजीकरण करने के लिए आज ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीके उप्लब्ध हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या विशेष कानून के तहत शादियाँ वस्तुतः या वर्चुअल पंजीकृत कराई जा सकती हैं? आइये इस आलेख के माध्यम से समझते हैं:

दिल्ली उच्च न्यायालय में एक अमेरिकी भारतीय जोड़े ने इस बात की याचिका दायर की थी कि वे अपनी शादी को ऑनलाइन पंजीकृत करवा सकें। 

वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से यहां अपनी शादी को पंजीकृत करने की मांग करने वाले अमेरिकी भारतीय जोड़े की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा कि शारीरिक उपस्थिति को अनिवार्य आवश्यकता नहीं मानने से पार्टियों को भी आसानी से अपनी शादियों को पंजीकृत कराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

इस फैसले को सुनाते हुए आगे न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने ये भी कहा कि मुझे इस निष्कर्ष पर आने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुरक्षित उपस्थिति को शामिल करने के लिए पंजीकरण आदेश के खंड 4 में” व्यक्तिगत उपस्थिति “शब्द को पढ़ा जाना चाहिए। कोई अन्य व्याख्या, न केवल इस लाभकारी कानून के उद्देश्य को विफल कर देगी, बल्कि यह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के इस महत्वपूर्ण और आसानी से सुलभ उपकरण के उपयोग को भी कमजोर कर देगी।

ऐसे ही एक मामले पर भारत की सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने भी अपनी टिप्पणी दर्ज करते हुए कहा कि 1954 में विशेष विवाह अधिनियम बनाया गया था। कंप्यूटर और इंटरनेट की तकनीक बहुत बाद में आई है। इसलिए, कानून को प्रौद्योगिकी के साथ चलना होगा, ”पीठ ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक आदेश के खिलाफ हरियाणा सरकार द्वारा दायर एक अपील को खारिज करते हुए कहा, जिसने एक जोड़े को विशेष कानून के तहत दूरस्थ रूप से गवाही देने की अनुमति दी थी।

ऐसा ही एक उदाहरण केरल उच्च न्यायालय द्वारा केरल के विशेष जिले के विवाह अधिकारी द्वारा निर्देशित विवाह के ऑनलाइन प्रोसेस को लागू करने का है। ओमिक्रोन के मद्देनजर केरल में यात्रा प्रतिबंधों को देखते हुए ऐसा किया गया था। जबकि भारत में ऐसी स्थिति बनी हुई है, विशेष विवाह अधिनियम के तहत वर्चुअल विवाह पंजीकरण विदेशों में रहने वाले व्यक्तियों के लिए एक वरदान बन गया है।

विशेष क़ानून के तहत विवाह का पंजीकरण कैसे हो?

विशेष कानून के तहत विवाह के पंजीकरण के लिए, सार्वजनिक नोटिस जारी करने के लिए दस्तावेज जमा करते समय दोनों पक्षों को उपस्थित होना चाहिए। नोटिस की एक प्रति कार्यालय में रखी जाती है, और दूसरी प्रति दोनों पक्षों को एक पंजीकृत डाक के रूप में भेजी जाती है। नोटिस के 30 दिन बाद विशेष कानून के तहत विवाह पंजीकरण किया जाता है। पंजीकरण की तारीख पर गवाहों को भी उपस्थित होना आवश्यक है।

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आज कल कई राज्यों में ऑनलाइन विवाह पंजीकरण की भी सुविधा भी उपलब्ध है। जिसके माध्यम से आसानी से विवाह का पंजीकरण किया जा सकता है। इसके चरण हैं:

1. सर्वप्रथम आपको न्यायालय या बी एम सी या फिर सम्बंधित मंत्रालय में अपना विवाह पंजीकरण पूर्ण करना आवश्यक होगा। इस पंजीकरण के तीन से दस दिनों के बाद आपका विवाह प्रमाण पत्र पोर्टल पर उपलब्ध हो जाएगा। जहां से इसे डाउनलोड किया जा सकता है।

2. विवाह के पंजीकरण के लिए संबंधित राज्य की वेबसाइट पर उपलब्ध इस सुविधा के पोर्टल पर जा कर महत्वपूर्ण विवरण भर कर अपने विवाह का पंजीकरण पूर्ण करना होगा। दिल्ली, मुम्बई और गाजियाबाद जैसे क्षेत्र ऑनलाइन विवाज पंजीकरण की सुविधा प्रदान करते हैं।

3. इन वेबसाइट्स में विवाह पंजीकरण के अनुभाग में जाकर सभी विवरणों को ध्यानपूर्वक भरना होगा।

4. सम्पूर्ण विवरण भरने के पश्चात आप एक निश्चित समयावधि के बाद अपने विवाह प्रमाण पत्र को डाउनलोड कर सकते हैं।

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