क्या होती है गिफ्ट डीड?
गिफ्ट डीड एक कानूनी दस्तावेज़ है, जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति अपनी चल या अचल संपत्ति को बिना किसी मूल्य के, केवल प्रेम, स्नेह या रिश्ते के आधार पर दूसरे व्यक्ति को देता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से स्वैच्छिक होती है और इसमें किसी प्रकार का दबाव या लालच नहीं होता। गिफ्ट डीड का उद्देश्य पारिवारिक संबंधों को मजबूत करना और संपत्ति का हस्तांतरण करना है।
गिफ्ट डीड को कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त करने के लिए रजिस्टर्ड करना आवश्यक है। रजिस्ट्रेशन के बाद, गिफ्ट किए गए संपत्ति पर डोनी (प्राप्तकर्ता) का पूर्ण स्वामित्व स्थापित हो जाता है। गिफ्ट डीड की प्रक्रिया में संपत्ति का विवरण, डोनर (देने वाला) और डोनी (प्राप्तकर्ता) की जानकारी, और दोनों की सहमति शामिल होती है। यह दस्तावेज़ पारिवारिक रिश्तों में पारदर्शिता और स्पष्टता बनाए रखने में मदद करता है।
भारतीय कानून के अनुसार गिफ्ट डीड की वैधता
गिफ्ट डीड को भारत में Transfer of Property Act, 1882 के तहत नियंत्रित किया जाता है। यह अधिनियम स्पष्ट करता है कि गिफ्ट तभी वैध मानी जाएगी जब उसमें निम्नलिखित बातें पूरी हों:
- स्वेच्छा से ट्रांसफर: गिफ्ट देने वाला (Donor) अपनी संपत्ति को बिना किसी दबाव या लालच के, पूरी स्वेच्छा से ट्रांसफर करे।
- बिना मूल्य (No Consideration): गिफ्ट में कोई भी मौद्रिक लाभ नहीं होना चाहिए। यह बिना पैसे या मुआवज़े के दी जानी चाहिए।
- स्वीकृति (Acceptance): संपत्ति प्राप्त करने वाला व्यक्ति (Donee) उस गिफ्ट को स्वीकार करे।
- पंजीकरण (Registration): अचल संपत्ति की गिफ्ट डीड को रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य है।
यह भी ध्यान दें कि अगर कोई गिफ्ट शर्तों के साथ दी जा रही है (Conditional Gift), तो उन शर्तों का उल्लंघन गिफ्ट को निरस्त भी कर सकता है।
यदि ऊपर दी गई सभी शर्तें पूरी हो रही हैं, तो गिफ्ट डीड कानूनी रूप से वैध मानी जाती है और Donee को प्रॉपर्टी पर पूरा अधिकार मिल जाता है।
इस अध्याय में हमने यह स्पष्ट किया कि गिफ्ट डीड सिर्फ एक हस्ताक्षरित पेपर नहीं है, बल्कि इसे कानून के दायरे में सही तरीके से बनाना और पूरा करना जरूरी होता है, अन्यथा भविष्य में विवाद या अस्वीकृति की स्थिति बन सकती है।
गिफ्ट डीड की रजिस्ट्री: एक अनिवार्य कदम
किसी भी गिफ्ट डीड को वैध बनाने के लिए उसे रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य है, विशेष रूप से जब वह अचल संपत्ति (जैसे ज़मीन, मकान) से जुड़ी हो। भारत में यह प्रक्रिया Indian Registration Act, 1908 के तहत आती है।
रजिस्ट्रेशन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि ट्रांसफर पारदर्शिता से हो रहा है और भविष्य में कोई व्यक्ति उस पर कानूनी दावा न कर सके। अगर कोई गिफ्ट डीड बिना रजिस्ट्री के है, तो उसे अदालत में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता, जिससे Donee को बड़ा नुकसान हो सकता है।
रजिस्ट्री की प्रक्रिया:
- सबसे पहले गिफ्ट डीड तैयार की जाती है (किसी वकील की सहायता से)।
- फिर Donor और Donee दोनों को, दो गवाहों के साथ, नजदीकी सब–रजिस्ट्रार ऑफिस जाना होता है।
- स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान करना होता है – यह राज्य के अनुसार अलग-अलग होता है।
- रजिस्ट्रेशन के बाद Donee के नाम पर संपत्ति का रिकार्ड बनता है।
इस अध्याय से यह स्पष्ट होता है कि रजिस्ट्री सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि एक कानूनी सुरक्षा कवच है – जो Donee के अधिकारों को सुरक्षित करता है।
गिफ्ट डीड से प्रॉपर्टी मिलने के बाद मालिकाना हक
गिफ्ट डीड के माध्यम से संपत्ति हस्तांतरण के बाद प्राप्तकर्ता (Donee) को पूर्ण मालिकाना हक प्राप्त होता है, जो किसी खरीदी गई या विरासत में मिली संपत्ति के समान होता है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि संपत्ति की म्यूटेशन प्रक्रिया पूरी हो चुकी हो, ताकि नगर निगम या पंचायत के रिकॉर्ड में प्राप्तकर्ता का नाम अपडेट हो सके।
गिफ्ट डीड एक बार रजिस्टर्ड होने के बाद अपरिवर्तनीय (irrevocable) हो जाती है, अर्थात दाता उस संपत्ति पर कोई दावा नहीं कर सकता। हालांकि, यदि यह साबित हो जाए कि गिफ्ट डीड धोखे, दबाव या मानसिक अस्वस्थता के कारण बनाई गई थी, तो इसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। लेकिन यह प्रक्रिया जटिल और time-consuming होती है।
इस प्रकार, गिफ्ट डीड से प्राप्त संपत्ति पर प्राप्तकर्ता को पूर्ण अधिकार मिलते हैं, और वह उसे बेच सकता है, किराए पर दे सकता है या अन्यथा उपयोग कर सकता है, जैसे कि कोई अन्य संपत्ति के मालिक करता है।
क्या गिफ्ट में मिली प्रॉपर्टी बेचना कानूनी रूप से संभव है?
हाँ, यदि गिफ्ट डीड पूरी तरह से वैध और रजिस्टर्ड है, तो प्राप्तकर्ता (Donee) उस संपत्ति को कानूनी रूप से बेच सकता है। हालांकि, गिफ्ट डीड में कोई ऐसी शर्त नहीं होनी चाहिए जो बिक्री पर रोक लगाए।
गिफ्ट डीड से प्राप्त संपत्ति बेचने के लिए आवश्यक शर्तें:
- गिफ्ट डीड का रजिस्टर्ड होना: गिफ्ट डीड को रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड कराना आवश्यक है।
- संपत्ति पर कोई कानूनी विवाद या बकाया न होना: संपत्ति पर किसी प्रकार का कानूनी विवाद या बकाया नहीं होना चाहिए।
- म्यूटेशन प्रक्रिया का पूरा होना: नगर निगम या पंचायत के रिकॉर्ड में प्राप्तकर्ता का नाम अपडेट होना चाहिए।
- गिफ्ट डीड में स्पष्ट रूप से पूर्ण स्वामित्व का उल्लेख: गिफ्ट डीड में यह स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए कि प्राप्तकर्ता के पास संपत्ति पर पूर्ण स्वामित्व अधिकार हैं।
यदि उपरोक्त सभी शर्तें पूरी होती हैं, तो प्राप्तकर्ता उस संपत्ति को कानूनी रूप से बेच सकता है। बिक्री की प्रक्रिया सामान्य संपत्ति बिक्री की तरह होती है, जिसमें सेल डीड बनती है, रजिस्ट्रेशन होता है, और स्टांप ड्यूटी लगती है।
यह जानकारी विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी है जिन्हें परिवार या रिश्तेदारों से गिफ्ट में संपत्ति मिली है और वे उसे भविष्य में बेचना चाहते हैं।
गिफ्ट डीड के बाद प्रॉपर्टी बेचने की प्रक्रिया
गिफ्ट में मिली संपत्ति को बेचने की प्रक्रिया कानूनी रूप से सामान्य प्रॉपर्टी सेल के समान ही होती है, लेकिन इसमें कुछ अतिरिक्त सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि खरीदार को भरोसा हो और बिक्री विवाद रहित हो।
आवश्यक कदम:
- Mutation/Khata Transfer: गिफ्ट डीड के बाद सबसे पहला कदम होता है म्युटेशन, जिससे नगरपालिका या पंचायत रिकॉर्ड में Donee का नाम दर्ज हो जाता है। इससे प्रॉपर्टी टैक्स भी उसी के नाम पर आना शुरू हो जाता है।
- दस्तावेज़ तैयार करना: बिक्री से पहले Donee को सेल डीड ड्राफ्ट करनी होती है और यह सुनिश्चित करना होता है कि गिफ्ट डीड की एक कॉपी रजिस्ट्री ऑफिस में जमा हो। गिफ्ट डीड, ID proof, Mutation सर्टिफिकेट जैसे कागजात जरूरी होते हैं।
- बिक्री करार (Agreement to Sale): खरीदार के साथ एक बिक्री अनुबंध (Agreement) होता है, जिसमें भुगतान की शर्तें, समयसीमा और कागजों की स्थिति तय होती है।
- रजिस्ट्रेशन और भुगतान: सेल डीड पर दोनों पक्ष रजिस्ट्री ऑफिस में हस्ताक्षर करते हैं, स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस दी जाती है।
- टैक्स क्लीयरेंस: सेल के समय Donee को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उस प्रॉपर्टी पर कोई बकाया टैक्स नहीं है।
इस अध्याय से समझ आता है कि अगर सारी प्रक्रिया पारदर्शी और दस्तावेज़ पूरे हों, तो गिफ्ट डीड से मिली संपत्ति को बेचना बिलकुल आसान और वैध होता है।
गिफ्ट डीड पर आधारित बिक्री पर टैक्स और कानून
गिफ्ट में मिली संपत्ति को जब बेचा जाता है, तो उस पर कुछ विशेष कर संबंधी (Tax-related) और कानूनी प्रावधान लागू होते हैं जिन्हें नजरअंदाज करना उचित नहीं है।
गिफ्ट डीड मिलने पर टैक्स:
यदि कोई व्यक्ति संपत्ति गिफ्ट में प्राप्त करता है, तो उस पर आयकर अधिनियम, 1961 के तहत टैक्स लग सकता है। लेकिन अगर गिफ्ट देने वाला व्यक्ति “रिश्तेदार“ की परिभाषा में आता है (जैसे माता-पिता, भाई, बहन, पति/पत्नी, चाचा आदि), तो प्राप्तकर्ता को उस पर कोई टैक्स नहीं देना होता।
बिक्री पर टैक्स:
जब गिफ्ट में मिली संपत्ति को बेचा जाता है, तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है।
- यदि संपत्ति को 2 साल से अधिक समय तक रखने के बाद बेचा जाए, तो उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) लगेगा।
- 2 साल से कम रखने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) लागू होता है।
कैपिटल गेन की गणना उस कीमत पर की जाती है जिस पर Donor ने संपत्ति खरीदी थी, न कि Donee को मिली गिफ्ट की वैल्यू पर।
अन्य कानून:
संपत्ति बेचते समय स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क की जिम्मेदारी खरीदार की होती है, लेकिन अगर गिफ्ट डीड में कोई शर्त हो या संपत्ति पर विवाद हो, तो Donee को स्पष्टीकरण देना पड़ता है।
इस अध्याय से स्पष्ट होता है कि गिफ्ट डीड पर टैक्स की स्थिति रिश्ते और बिक्री की टाइमिंग पर निर्भर करती है, और सही प्लानिंग से टैक्स बोझ कम किया जा सकता है।
विवादित या शर्तों वाली गिफ्ट डीड से बिक्री के जोखिम
कई बार गिफ्ट डीड बिना शर्तों के नहीं होती। कुछ डोनर इसमें शर्तें लगा देते हैं जैसे:
- संपत्ति तब तक बेची नहीं जाएगी जब तक Donor जीवित हैं
- Donee उस प्रॉपर्टी को सिर्फ परिवार में ही ट्रांसफर कर सकता है
ऐसी शर्तों वाली गिफ्ट डीड को “Conditional Gift Deed” कहा जाता है और इन पर विशेष ध्यान देना जरूरी होता है क्योंकि अगर शर्तों का उल्लंघन होता है, तो Donor इसे कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।
इसके अलावा, अगर:
- गिफ्ट डीड Donor के मानसिक या शारीरिक दबाव में बनाई गई हो,
- गिफ्ट डीड में किसी प्रकार की फर्जीवाड़ा की आशंका हो,
- या परिवार के अन्य सदस्यों को लगे कि उनके हक को मारा गया है,
तो गिफ्ट डीड को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
ऐसे केसों में प्रॉपर्टी को बेचना जोखिम भरा हो सकता है क्योंकि कोर्ट की प्रक्रिया लंबी चल सकती है और खरीदार भी पैसे लगाने से डरते हैं।
इसलिए, यदि आपकी गिफ्ट डीड पर कोई शर्त हो या परिवारिक विवाद की आशंका हो, तो बिक्री से पहले लीगल ओपिनियन जरूर लें।
पारिवारिक विवाद और गिफ्ट डीड की बिक्री
भारत में अधिकतर संपत्ति विवाद पारिवारिक ही होते हैं – और जब बात गिफ्ट डीड की होती है, तो यह विवाद और अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
आम तौर पर होने वाले विवाद:
- भाई-बहनों को लगता है कि संपत्ति सिर्फ एक को क्यों दी गई
- वसीयत (Will) और गिफ्ट डीड में टकराव
- Donor की मृत्यु के बाद रिश्तेदार गिफ्ट डीड को फर्जी बताने लगते हैं
- संपत्ति पर किसी अन्य का कब्जा या क्लेम
यदि गिफ्ट डीड कानूनी रूप से रजिस्टर्ड है, गवाहों के साइन हैं और किसी प्रकार की फर्जी जानकारी नहीं है, तो यह पूरी तरह से वैध मानी जाती है। लेकिन यदि Donor के पास मानसिक स्वास्थ्य का प्रमाण नहीं है या गवाहों की मौजूदगी संदेहास्पद है, तो कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
Donee को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गिफ्ट डीड में सभी विवरण स्पष्ट रूप से दर्ज हों, जैसे – प्रॉपर्टी की लोकेशन, शर्तें, तारीख, गवाह आदि।
इस अध्याय से सीख मिलती है कि अगर पारिवारिक विवाद की संभावना हो, तो गिफ्ट डीड को पहले दिन से ही लीगल रूप से मजबूत बनाएं, ताकि भविष्य में कोई दिक्कत न आए।
निष्कर्ष
गिफ्ट डीड से प्राप्त संपत्ति को बेचना कानूनी रूप से वैध है, बशर्ते वह रजिस्टर्ड हो, डोनी के नाम पर म्यूटेशन हो चुका हो, और उस पर कोई कानूनी विवाद या शर्त लागू न हो। बिक्री प्रक्रिया को सुचारू रूप से करने के लिए दस्तावेजों की वैधता, टैक्स की स्थिति और खरीदार की जांच जैसे पहलुओं पर ध्यान देना आवश्यक है। इसलिए, गिफ्ट डीड से संपत्ति बेचते समय कानूनी सलाह लेना और सभी औपचारिकताओं का पालन करना महत्वपूर्ण है।
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FAQs
1. क्या बिना रजिस्टर्ड गिफ्ट डीड वाली संपत्ति बेची जा सकती है?
नहीं, बिना रजिस्ट्री की गिफ्ट डीड को कानूनन मान्यता नहीं मिलती, इसलिए ऐसी संपत्ति को बेचना वैध नहीं होता।
2. क्या गिफ्ट देने वाला अपनी संपत्ति वापस ले सकता है?
अगर गिफ्ट डीड रजिस्टर्ड है और शर्तें पूरी हो चुकी हैं, तो Donor उसे वापस नहीं ले सकता। वह अपरिवर्तनीय होती है।
3. क्या गिफ्ट में मिली संपत्ति पर टैक्स लगता है?
यदि रिश्तेदार से गिफ्ट मिली है तो नहीं, लेकिन बेचते समय उस पर कैपिटल गेन टैक्स लागू हो सकता है।
4. क्या गिफ्ट डीड को परिवार के अन्य सदस्य कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं?
हाँ, अगर उन्हें लगे कि डीड फर्जी है, जबरदस्ती की गई है या Donor की मानसिक स्थिति सही नहीं थी, तो वे कोर्ट जा सकते हैं।
5. क्या गिफ्ट में मिली संपत्ति को लोन के लिए गिरवी रखा जा सकता है?
हाँ, Donee अगर मालिक है तो वह उसे बैंक में गिरवी रख सकता है, बशर्ते संपत्ति पर कोई कानूनी रोक न हो।