जब भी कोई प्रॉपर्टी खरीदी या बेची जाती है, तो उस प्रॉपर्टी का पंजीकरण/रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है। कोई भी प्रॉपर्टी जो 100 रुपये से ज्यादा की कीमत पर खरीदी गई है, उसे खरीदने वाले व्यक्ति द्वारा रजिस्टर कराया जाना चाहिए। रजिस्ट्रेशन एक्ट के सेक्शन 17 के तहत जमीन का रजिस्ट्रशन किया जाता है। जिस व्यक्ति ने प्रॉपर्टी खरीदी है अगर प्रॉपर्टी उसके नाम पर नहीं है, तो वह प्रॉपर्टी का आधिकारिक मालिक नहीं होगा और डिस्प्यूट की सिचुएशन में वह उस प्रॉपर्टी पर अपना मालिकाना हक़ साबित नहीं कर पाएगा।
लीगल प्रोविजन्स –
भारत में निम्नलिखित प्रोविजन्स के तहत प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन किया जाता है –
- रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1908 के सेक्शन 17 के तहत 100 रूपये से ज्यादा की कीमत वाली सभी इममूवेबल प्रॉपर्टी(जिसे एक जगह से दूसरी जगह नहीं लाया जा सकता) के बिकने पर उसका रजिस्ट्रेशन किया जाना जरूरी है।
- भारतीय स्टाम्प एक्ट, 1889 के तहत यह प्रोविज़न है कि सभी रजिस्टर्ड प्रॉपर्टीज़ पर स्टाम्प ड्यूटी देना जरूरी है।
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रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी डाक्यूमेंट्स –
प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रशन के लिए निम्नलिखित डाक्यूमेंट्स जरूरी हैं –
- खरीदने और बेचने वाले व्यक्ति की पासपोर्ट साइज फोटो।
- दोनों पार्टीज़ के आइडेंटिटी प्रूफ (आधार कार्ड/पैन कार्ड)
- नवीनतम/लेटेस्ट रजिस्टर कार्ड की फोटो कॉपी
- पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी
- म्युनिसिपल टैक्स बिल
- नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी)
- प्रमाणित सेल डीड की फोटो कॉपी
- निर्माण/कंस्ट्रक्शन पूरा होने का प्रमाण पत्र
- स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस की रसीद।
प्रॉपर्टी का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन –
आजकल प्रॉपर्टी को ऑनलाइन रजिस्टर कराने का ऑप्शन भी उपलब्ध/अवेलेबल है। हालाँकि भारत में अभी प्रॉपर्टी के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस कुछ ही राज्यों में अवेलेबल है।
आप स्टाम्प ड्यूटी कैलकुलेट कर सकते हैं और स्टाम्प ड्यूटी के साथ-साथ ही रजिस्ट्रेशन फीस भी ऑनलाइन भर सकते हैं, साथ ही आप ऑनलाइन फीस भरने की रसीद भी प्राप्त कर सकते हैं। यह पेयमेन्ट नेट बैंकिंग / डेबिट कार्ड / क्रेडिट कार्ड या किसी भी पेयमेन्ट बैंक से किया जा सकता है।
भारत में प्रॉपर्टी के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करते समय ध्यान देने योग्य बातें –
भारत में, सभी राज्यों में ऑनलाइन प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन का प्रोविज़न या ऑप्शन अवेलेबल नहीं है। अगर आपका राज्य प्रॉपर्टी के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए ऑप्शन देता है, तो रजिस्ट्रेशन कराते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखा जाना चाहिए –
- सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि जिस राज्य में प्रॉपर्टी बनी है उस राज्य में प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन हो सकता है या नहीं।
- निम्नलिखित सेवाओं को केवल ऑनलाइन ही यूज़ किया जा सकता है-
- स्टाम्प ड्यूटी रेट्स को चेक किया जा सकता है
- स्टाम्प ड्यूटी के साथ-साथ रजिस्ट्रेशन फीस भी ऑनलाइन पेय की जा सकती है
- पेमेंट की रसीद ऑनलाइन प्राप्त की जा सकती है
- बाद में आपको रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को पूरा करने के लिए अपनी पेमेंट की रसीद के साथ सब-रजिस्ट्रार के ऑफिस में जाना होगा।
- अगर प्रॉपर्टी 50 लाख रुपये से ज्यादा कीमत की है तो प्रॉपर्टी की कीमत का 1% टीडीएस का भुगतान करना होगा।
- ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रोसेस के लिए नाम, पता, प्रोपर्टी का प्रकार, ओनरशिप स्टेटस, प्रॉपर्टी का डिस्क्रिप्शन और साथ ही प्रॉपर्टी के प्रूफ, यह सभी जानकारी देनी होगी।
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन चार्जिस को एफेक्ट करने वाले फैक्टर्स –
- प्रॉपर्टी का प्रकार – कमर्शियल और रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के केस में रजिस्ट्रेशन फीस अलग-अलग होती है। कमर्शियल प्रॉपर्टीज़ के लिए फीस ज्यादा होती हैं।
- रजिस्ट्रेशन के प्रकार – अगर प्रॉपर्टी को एक सेल डीड के बजाय एक गिफ्ट डीड की तरह रजिस्टर किया जाता है और उसे परिवार के किसी मेंबर को ट्रांसफर किया जाता है, तो जमीन की रजिस्ट्रेशन फीस कम होती हैं। अगर प्रॉपर्टी परिवार के मेंबर के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को ट्रांसफर की जाती है, तो सरकार द्वारा एक स्टैण्डर्ड रजिस्ट्रेशन फीस ली जाती है।
- प्रॉपर्टी की लोकेशन – अगर रजिस्ट्रेशन कराने वाली प्रॉपर्टी की लोकेशन बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डे पर है, तो रजिस्ट्रेशन फीस ज्यादा लगती है। विकसित शहरों और मेट्रो शहरों में भी रजिस्ट्रेशन फीस ज्यादा लगती है।
- मालिक/ओनर का जेंडर – अगर प्रॉपर्टी एक महिला के नाम पर रजिस्टर कराते है तो सरकार द्वारा रजिस्ट्रेशन फीस में कुछ डिस्काउंट दिया जाता है।
प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के लिए नए नियम –
साल 2020 से, भारत में नियमों का एक नया सेट पेश किया गया है-
- सभी डाक्यूमेंट्स की फोटो कॉपीज़ एक ही दिन में अवेलेबल होती हैं
- एक नॉन-रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी को कोर्ट में वैलिड सबूत नहीं माना जाता है। इसी प्रकार, इसकी कोई कानूनी वैलिडिटी भी नहीं होती है।
सरकार द्वारा अर्जित की हुई नॉन-रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी पर इनकम टैक्स 80सी के तहत मुआवजे का दावा नहीं किया जा सकता है।