क्या OTP शेयर करना अपराध माना जा सकता है?

Can sharing OTP be considered a crime?

आजकल की डिजिटल दुनिया में बैंकिंग, शॉपिंग और चैटिंग जैसी सुविधाएं तो बहुत आसान हो गई हैं, लेकिन इसके साथ ही ऑनलाइन धोखाधड़ी भी बढ़ गई है। और इन धोखाधड़ी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला एक साधारण सा तरीका है OTP (One-Time Password).

कभी-कभी हमें एक संदेश या कॉल आता है, जिसमें हमें अपना OTP शेयर करने के लिए कहा जाता है। लेकिन क्या यह सही है? क्या इसे शेयर करना कानूनी परेशानी में डाल सकता है? 

इस ब्लॉग में हम समझाएंगे कि क्या भारत में OTP शेयर करना कानूनी अपराध हो सकता है, और अगर आपने गलती से OTP शेयर कर दिया हो तो क्या करना चाहिए।

यह एक तरह से आपकी डिजिटल चाबी है। इसलिए बार-बार चेतावनी दी जाती है – OTP किसी से साझा न करें।

OTP क्या होता है और यह क्यों जरूरी है?

OTP (वन टाइम पासवर्ड) एक 4 या 6 अंकों का कोड होता है, जो आपके मोबाइल नंबर या ईमेल पर आता है। यह कोड हर बार नया होता है और कुछ ही मिनटों के लिए वैध रहता है।

OTP का मकसद होता है यह पक्का करना कि कोई भी ट्रांजैक्शन या लॉगिन वाकई आप ही कर रहे हैं – यानी कि यह एक तरह की “सुरक्षा की आखिरी परत” होती है। अगर किसी के पास आपकी जानकारी (जैसे पासवर्ड) भी हो, तो भी वह बिना OTP के आपके खाते में कुछ नहीं कर सकता।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

बैंकिंग, UPI, लॉगिन, सोशल मीडिया, ई-कॉमर्स में OTP की भूमिका

OTP का इस्तेमाल लगभग हर जरूरी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर होता है:

  • बैंकिंग/UPI: जब आप पैसे भेजते हैं या खाते में लॉगिन करते हैं
  • सोशल मीडिया: अकाउंट को हैकिंग से बचाने के लिए
  • ई-कॉमर्स साइट्स: कोई चीज़ खरीदते समय पेमेंट वेरिफिकेशन के लिए
  • ईमेल/पासवर्ड बदलना: जब आप अपनी जानकारी अपडेट करते हैं

हर जगह OTP का एक ही मकसद है – यह सुनिश्चित करना कि जो भी कार्रवाई हो रही है, वह आपके द्वारा ही की जा रही है।

क्यों कहा जाता है: “OTP शेयर मत करें”?

हमेशा कहा जाता है – “OTP किसी से भी शेयर मत करो”, और इसके पीछे एक बहुत मजबूत वजह है। अगर आपने OTP किसी को बता दिया, तो वह आपके पैसे निकाल सकता है, आपके अकाउंट का गलत इस्तेमाल कर सकता है, या आपकी पहचान का दुरुपयोग कर सकता है। आजकल फ्रॉड करने वाले बहुत चालाक हो गए हैं। वो कभी खुद को बैंककर्मी, पुलिस, या किसी कंपनी का कस्टमर केयर बता कर आपसे OTP मांगते हैं। जैसे ही आपने OTP बताया, आपके अकाउंट पर उनका पूरा कंट्रोल हो जाता है। इसलिए सरकार, बैंक और साइबर एक्सपर्ट बार-बार चेतावनी देते हैं – OTP सिर्फ आपके लिए है। इसे किसी भी हालत में किसी और को न बताएं।

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क्या OTP शेयर करना अपराध है? – कानूनी नजरिए से

सवाल यह है कि – क्या सिर्फ OTP शेयर करना कानूनन अपराध है? इसका जवाब थोड़ा सा पेचीदा है, लेकिन आसान भाषा में समझें तो:

अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर या लापरवाही से OTP किसी और को बता देता है, और उससे फ्रॉड होता है, तो वो कानूनी रूप से ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।

भारत के इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) एक्ट, 2000 और भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 के तहत डिजिटल धोखाधड़ी एक गंभीर अपराध है।

खुद OTP शेयर करना तभी अपराध बनता है जब इसके कारण:

  • किसी और को नुकसान होता है (जैसे पैसे चोरी हो जाना)
  • और यह साबित हो जाए कि आपने लापरवाही बरती या जानबूझकर किसी को OTP दिया

अगर आपने OTP अनजाने में या किसी झांसे में आकर बताया, तो आप पीड़ित माने जाएंगे, लेकिन अगर OTP शेयर करने के बाद यह साबित हो कि आपने चेतावनी के बावजूद ऐसा किया, तो आप पर सावधानी न बरतने का आरोप लग सकता है, जो कि कानूनी जाँच पड़ताल का हिस्सा बन सकता है।

जानबूझकर शेयर करना बनाम धोखे से कराया गया शेयर

  • जानबूझकर शेयर करना: अगर कोई व्यक्ति OTP किसी रिश्तेदार, दोस्त, या किसी और को अपनी मर्जी से दे देता है, और बाद में उससे फ्रॉड हो जाता है – तो यह व्यक्ति कानून की नजर में आ सकता है क्योंकि उसने जरूरी सावधानी नहीं बरती।
  • धोखे से कराया गया शेयर: कई बार फ्रॉड करने वाले कॉल, मैसेज या फेक लिंक के जरिए आपको गुमराह करते हैं, जैसे कहते हैं कि “आपका बैंक अकाउंट बंद हो जाएगा” या “आपका KYC अपडेट करना है” और इसी बहाने आपसे OTP ले लेते हैं। ऐसे मामलों में, आप पीड़ित माने जाएंगे लेकिन फिर भी पुलिस या साइबर सेल ये देखती है कि आपने चेतावनी के बावजूद OTP क्यों शेयर किया।

अगर कोई तीसरा व्यक्ति फ्रॉड करता है तो जिम्मेदारी किसकी होगी?

यह सबसे जरूरी सवाल है।

  • अगर आपने OTP किसी को नहीं दिया और फिर भी साइबर फ्रॉड हुआ, तो ज़िम्मेदारी उस फ्रॉड करने वाले व्यक्ति की होगी। आपको दोषी नहीं माना जाएगा।
  • लेकिन अगर आपने खुद OTP शेयर किया, चाहे धोखे में ही सही, तो आपकी जिम्मेदारी बन सकती है, और आपको बैंक से पैसे वापस मिलने में भी मुश्किल आ सकती है।
  • भारत में अब कई बैंक और साइबर लॉ एजेंसियाँ ये स्पष्ट करती हैं कि, OTP या पिन शेयर करने पर ग्राहक की लापरवाही मानी जा सकती है, जिससे आपके क्लेम रिजेक्ट हो सकते हैं।
  • संक्षेप में समझिए: OTP शेयर करना सीधे अपराध तो नहीं है, लेकिन इससे होने वाला नुकसान आपकी ज़िम्मेदारी बन सकता है। अगर आपने जानबूझकर या लापरवाही से OTP दे दिया, तो यह खतरनाक हो सकता है और आपको कानूनी मुश्किल में डाल सकता है। अगर आपके साथ फ्रॉड हो जाए, तो तुरंत साइबर सेल में शिकायत करें और अपने बैंक को इसकी जानकारी दें।
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कौन-कौन से कानून लागू हो सकते हैं?

इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) एक्ट, 2000

  • धारा 43 – बिना अनुमति के कंप्यूटर संसाधनों का दुरुपयोग: अगर कोई व्यक्ति बिना अनुमति के आपके कंप्यूटर, नेटवर्क या डेटा तक पहुंचता है, तो वह इस धारा के तहत दंडनीय होगा। उदाहरण के लिए: आपका OTP चुराना या उसे गलत तरीके से इस्तेमाल करना​
  • धारा 66 – कंप्यूटर से संबंधित अपराध: अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर या धोखाधड़ी से आईटी एक्ट की धारा 43 का उल्लंघन करता है, तो उसे 3 साल तक की जेल, 5 लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों सजा एक साथ हो सकती हैं।
  • धारा 66C – पहचान की चोरी: यदि कोई व्यक्ति आपके OTP का उपयोग करके आपकी पहचान का दुरुपयोग करता है, तो वह इस धारा के तहत दोषी होगा।​
  • धारा 66D – धोखाधड़ी के उद्देश्य से धोखा देना: यदि कोई व्यक्ति धोखाधड़ी से आपका OTP प्राप्त करता है, तो वह इस धारा के तहत दोषी होगा।​

भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023

  • धारा 318 – धोखाधड़ी और संपत्ति की हेराफेरी यदि कोई व्यक्ति धोखाधड़ी से आपका OTP लेकर आपके पैसे या संपत्ति की हेराफेरी करता है, तो वह इस धारा के तहत दोषी होगा, और उसे तीन साल तक की सजा या जुर्माना हो सकता है।
  • धारा 316 – विश्वासघात यदि कोई व्यक्ति जिसे आपने विश्वास के साथ अपना OTP दिया है, वह उसका दुरुपयोग करता है, तो वह इस धारा के तहत दोषी होगा, और उसे पांच साल तक की सजा या जुर्माना हो सकता है।

अगर आपने OTP शेयर कर दिया हो तो क्या करें?

  • तुरंत अपने बैंक या सेवा प्रदाता से संपर्क करें: सबसे पहले, जिस बैंक या सेवा प्रदाता से संबंधित खाता है, उसके कस्टमर सपोर्ट से संपर्क करें। उन्हें बताएं कि आपने अपना OTP किसी और को दे दिया है। वे आपके खाते को अस्थायी रूप से लॉक कर सकते हैं या किसी भी संदिग्ध लेन-देन को रोक सकते हैं।
  • राष्ट्रीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन (1930) पर कॉल करें: भारत सरकार ने साइबर अपराधों की रिपोर्टिंग के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1930 जारी किया है। इस नंबर पर कॉल करके आप तुरंत सहायता प्राप्त कर सकते हैं और अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। ​
  • राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in) पर शिकायत दर्ज करें:
    • वेबसाइट पर जाएं।
    • “File a Complaint” पर क्लिक करें।
    • “Report Other Cyber Crime” चुनें।
    • “Citizen Login” पर क्लिक करें और अपना विवरण भरें।
    • OTP के माध्यम से सत्यापन करें।
    • घटना से संबंधित सभी जानकारी और साक्ष्य (जैसे स्क्रीनशॉट) अपलोड करें।
    • शिकायत सबमिट करें और प्राप्त शिकायत संख्या को सुरक्षित रखें।
  • निकटतम साइबर थाना में एफआईआर दर्ज कराएं: यदि ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने में कोई समस्या आ रही है, तो आप अपने नजदीकी साइबर थाना में जाकर भी एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं। पुलिस अधिकारी आपकी शिकायत को दर्ज करेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे। ​
  • संदिग्ध लेन-देन को रोकने का अनुरोध करें: यदि आपको लगता है कि आपके खाते से कोई संदिग्ध लेन-देन हो सकता है, तो तुरंत अपने बैंक या सेवा प्रदाता से संपर्क करके उस लेन-देन को रोकने का अनुरोध करें। वे आपके खाते को अस्थायी रूप से लॉक कर सकते हैं और किसी भी अनधिकृत लेन-देन को रोक सकते हैं।
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OTP से जुड़े फ्रॉड में साइबर पुलिस क्या कार्रवाई करती है?

साइबर पुलिस के पास आधुनिक तकनीक होती है जिससे वो अपराधी को ट्रेस कर सकती है:

  • IP एड्रेस और लोकेशन ट्रेसिंग
  • मोबाइल नंबर और डिवाइस ट्रैकिंग
  • बैंक खातों की डिटेल जांच
  • टेक्निकल एनालिसिस और डिजिटल फॉरेंसिक

आरोपी पकड़ा जाए तो उस पर IT Act और BNS की धाराओं में मामला दर्ज होता है। मामला कोर्ट में चलता है और सजा सुनाई जाती है।

निष्कर्ष

सतर्क रहना ही सुरक्षित रहने का सबसे अच्छा तरीका है। OTP आपकी सुरक्षा के लिए होता है, लेकिन लापरवाही इसे खतरे में डाल सकती है। कोई भी OTP मांग रहा है, तो समझिए वह फ्रॉड है। इसकी गोपनीयता आपकी जिम्मेदारी है और अब कानून डिजिटल धोखाधड़ी को बहुत गंभीरता से लेता है।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. क्या OTP शेयर करना अपराध माना जाएगा?

सीधे नहीं, लेकिन इसके जरिए फ्रॉड हो जाए तो आप भी जिम्मेदार हो सकते हैं।

2. अगर OTP शेयर करने के बाद फ्रॉड हो जाए तो जिम्मेदार कौन होगा?

हालात पर निर्भर करता है। यदि आप धोखे से OTP देते हैं, तो फ्रॉड करने वाला अपराधी है।

3. क्या बैंक पैसा वापस करता है अगर OTP के कारण पैसा गया हो?

कुछ मामलों में करता है, परंतु यदि आपकी गलती पाई जाए तो मना भी कर सकता है।

4. अगर गलती से OTP दे दिया हो तो क्या तुरंत FIR जरूरी है?

हां, जितनी जल्दी शिकायत करेंगे, उतना अच्छा।

5. OTP फ्रॉड में कोर्ट से क्या सजा हो सकती है?

3 से 7 साल तक की सजा और आर्थिक दंड।

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