क्या एक पार्टनर आरटीआई डिपार्टमेंट से दूसरे पार्टनर की इनकम डिटेल्स मांग सकता है?

क्या एक व्यक्ति इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से अपने जीवनसाथी की डिटेल्स मांग सकता है?

सेंट्रल इनफार्मेशन कमीशन के एक ऐतिहासिक केस “सुनीता जैन वी. पवन कुमार जैन” के आर्डर के अनुसार इस सवाल का जवाब “हां” है। एक व्यक्ति अपने जीवनसाथी/लाइफ पार्टनर की इनकम डिटेल्स इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से मांग सकता है। हालाँकि, सेंट्रल इनफार्मेशन का यह फैसला जोधपुर की राहत बानो द्वारा फाइल की गयी अपील के अगेंस्ट है, क्योंकि उस अपील में माना गया है कि यह इनकम डिटेल्स थर्ड पार्टी द्वारा मांगी गयी है। आईटी डिपार्टमेंट की समझ यह थी कि आरटीआई एक्ट के सेक्शन 2 (एन) के अनुसार, जानकारी/इनफार्मेशन मांगने वाला व्यक्ति थर्ड पार्टी माना जाता है।

6 नवंबर, 2020 को इनफार्मेशन कमिश्नर नीरज कुमार ने कम्प्लेनेंट की वाइफ द्वारा फाइल की गयी दूसरी अपील पर सुनवाई करते हुए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को आरटीआई फाइल करने की तारीख से लेकर अब तक की इनकम की जानकारी 15 दिनों में देने का निर्देश दिया। 

कोई भी व्यक्ति अपने लाइफ पार्टनर की “ग्रॉस एनुअल इनकम” (कुल आय) की डिटेल्स की मांग कर सकता हैं ताकि वह अपने मैट्रिमोनियल केस में इन डिटेल्स की हेल्प से अपना बचाव कर सके। इसलिए, एक व्यक्ति को उसके लाइफ पार्टनर की इनकम की जानकारी देना लीगल है।

रहमत बानो V. सीपीआईओ की व्याख्या/एक्सप्लनेशन : 

सेंट्रल इनफार्मेशन कमीशन (सीपीआईओ) के सेक्शन 8 (1) (जे) के दायरे में हस्बैंड-वाइफ नहीं आते हैं। जैसे कि दोनों पार्टीज़ हस्बैंड और वाइफ मतलब एक हैं तो एक वाइफ होने के नाते उन्हें यह जानने का अधिकार है कि उनके हस्बैंड को कितनी सैलरी मिल रही है।

एक मैट्रिमोनियल केस, स्पेशली मेंटेनेंस से जुड़े हुए केस में, सैलरी जैसे फैक्टर को हस्बैंड की पर्सनल इनफार्मेशन कहकर छिपाया नहीं जा सकता है।

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आईटी डिपार्टमेंट ने कहा कि हस्बैंड की ग्रॉस सैलरी की कॉमन डिटेल्स आरटीआई फाइल करने के 15 दिनों के अंदर वाइफ को दे दी जाएगी।

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सरकारी एम्प्लॉईज़ के लिए अवेलेबल –

पहले यह माना जाता था कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में रिटर्न फाइल करना एक पब्लिक एक्टिविटी नहीं है मतलब इस जानकारी को हर किसी के साथ शेयर नहीं किया जा सकता लेकिन इसके बावजूद भी सभी नागरिकों को टैक्स देना जरूरी है। बाद में इस फैसले को बदल कर उल्टा कर दिया गया। 2014 में, लाइफ पार्टनर की सैलरी जानने के इस अधिकार को केवल सरकारी एम्प्लॉईज़ के लिए अवेलेबल कर दिया गया और फैसला लिया गया कि इन डिटेल्स को एम्प्लॉईज़ की मर्जी से उनके ऑफिसिस द्वारा दिया जाए, इसीलिए एक पार्टनर की जानकारी दूसरे पार्टनर को देने को थर्ड पार्टी की दखल अंदाजी के रूप में नहीं माना जाता है। 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने राजेश रामचंद्र किडिले vs. महाराष्ट्र एसआईसी और अन्य’ के केस में फैसला सुनाया कि “एक केस में, जहां वाइफ के मेंटेनेंस की बात है, वहां अब दोनों हस्बैंड-वाइफ की सैलरी डिटेल्स की इनफार्मेशन पर्सनल इनफार्मेशन तक ही सीमित नहीं मानी जाएगी। मतलब, जो भी हस्बैंड के पास अवेलेबल है, उसपर वाइफ का भी अधिकार माना जायेगा। कमीशन ने इस फैसले का हवाला दिया है।

इसके अलावा, कमीशन द्वारा यह फैसला लिया गया कि अपील करने वाले व्यक्ति द्वारा मांगी गयी इनकम टैक्स रिटर्न से रिलेटिड इनफार्मेशन एक पर्सनल इनफार्मेशन है, जिसे आरटीआई एक्ट के सेक्शन 8 (1) (जे) के तहत किसी थर्ड पार्टी के साथ बाँटी नहीं जा सकती है। 

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