आज के समय में घर, गाड़ी, या अन्य ज़रूरतों के लिए EMI पर लोन लेना बहुत आम बात हो गई है। एक मध्यमवर्गीय परिवार के लिए यह एक सहूलियत है जिससे वे अपने सपनों की चीज़ें आज खरीद सकते हैं और धीरे-धीरे चुका सकते हैं।
लेकिन ज़िंदगी हमेशा एक जैसी नहीं चलती। कई बार ऐसी परिस्थितियाँ आ जाती हैं जब व्यक्ति समय पर EMI नहीं चुका पाता जैसे नौकरी छूटना, बीमारी, पारिवारिक आपदा या किसी अन्य आर्थिक समस्या का आना।
अब सवाल उठता है: क्या सिर्फ EMI न देने पर बैंक आपकी गाड़ी या प्रॉपर्टी जब्त कर सकता है? क्या बैंक को पहले नोटिस देना ज़रूरी है या वह सीधे कार्रवाई कर सकता है?
कानून में ग्राहक के क्या अधिकार हैं? इन्हीं सारे सवालों का विस्तार से और सरल भाषा में जवाब हम इस ब्लॉग में देने जा रहे हैं।
EMI न देना समस्या कितनी गंभीर है?
EMI (Equated Monthly Installment) एक निश्चित मासिक राशि होती है जो व्यक्ति अपने द्वारा लिए गए लोन को चुकाने के लिए हर महीने बैंक को देता है। इसमें मूलधन (Principal) और ब्याज (Interest) दोनों शामिल होते हैं। आज के समय में:
- गाड़ी, घर, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, सबकुछ EMI पर मिलता है।
- आम नागरिक अपने सपनों को पूरा करने के लिए EMI पर निर्भर होता है।
- लेकिन यदि किसी कारणवश EMI देना बंद हो जाए, तो कानूनी प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
भारत में लाखों लोग किसी न किसी प्रकार के लोन की EMI चुका रहे हैं। COVID-19 के समय में भी EMI न चुकाने वालों की संख्या बहुत बढ़ गई थी। यह समस्या केवल पैसों की नहीं, बल्कि कानूनी और मानसिक तनाव की भी बन जाती है।
EMI डिफॉल्ट करने पर सबसे पहले आपका क्रेडिट स्कोर गिरता है, जिससे भविष्य में लोन लेना मुश्किल हो सकता है। इसके बाद बैंक आपको कानूनी नोटिस भेजता है। अगर भुगतान नहीं किया गया, तो रिकवरी एजेंट आपसे संपर्क करते हैं। स्थिति गंभीर होने पर बैंक आपकी संपत्ति या वाहन जब्त करने की प्रक्रिया भी शुरू कर सकता है।
EMI का कानूनी स्वरूप क्या होता है?
जब कोई व्यक्ति बैंक से लोन लेता है, तो वह एक लीगल डॉक्युमेंट यानी लोन एग्रीमेंट पर साइन करता है। इसमें साफ़ लिखा होता है कि:
- कितनी रकम हर महीने देनी है।
- कितने समय तक देनी है।
- ब्याज दर कितनी होगी।
- कब-कब भुगतान करना है।
- डिफॉल्ट होने पर क्या कार्रवाई हो सकती है।
अगर आप समय पर EMI नहीं चुकाते हैं, तो इसे लोन डिफॉल्ट कहा जाता है। जब लगातार 3 महीने तक EMI नहीं चुकाई जाती या बैंक को लगता है कि रकम की वसूली मुश्किल है, तो बैंक उस लोन को नॉन परफार्मिंग एसेट (NPA) घोषित कर देता है, जिससे आपकी क्रेडिट प्रोफाइल पर बुरा असर पड़ता है।
क्या बैंक बिना सूचना के गाड़ी या संपत्ति जब्त कर सकता है?
बैंक को तुरंत जब्ती का अधिकार नहीं है: बहुत से लोग मानते हैं कि यदि एक या दो EMI छूट गई, तो बैंक तुरंत गाड़ी या मकान जब्त कर सकता है। लेकिन असल में बैंक को यह कार्रवाई कानूनी प्रक्रिया के तहत ही करनी होती है। बिना नोटिस, बिना कानूनी सूचना के, सीधी जब्ती अवैध है।
यदि आपने किसी बैंक या नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनी से वाहन लोन लिया है, तो:
- बैंक को उस गाड़ी पर हाइपोटेकशन (Hypothecation) का अधिकार होता है।
- इसका उल्लेख आपकी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) में भी होता है।
- यानी गाड़ी आपकी है, लेकिन उस पर बैंक का अधिकार भी है जब तक लोन पूरा न हो।
लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि बैंक आपकी गाड़ी को कभी भी जब्त कर सकता है। इसके लिए उसे पहले ग्राहक को नोटिस देना अनिवार्य है। बिना सूचना जब्ती करना गैरकानूनी माना जाएगा।
वाहन (गाड़ी) की जब्ती – प्रक्रिया और अधिकार
कितनी EMI चूकने पर बैंक कार्रवाई कर सकता है?
सामान्यत: अगर लगातार 3 महीने की EMI चूक जाती है, तो बैंक उसे नॉन परफार्मिंग एसेट घोषित कर सकता है और कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकता है। लेकिन हर बैंक की अपनी पॉलिसी होती है। कुछ बैंक:
- 2 EMI के बाद नोटिस भेजते है।
- कुछ 1 EMI चूकते ही कॉल्स और SMS भेजना शुरू कर देते है।
क्या बैंक को नोटिस देना ज़रूरी है?
RBI और सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, बैंक को:
- लिखित नोटिस देना अनिवार्य है।
- नोटिस में EMI डिफॉल्ट, बकाया राशि और जब्ती की चेतावनी शामिल होनी चाहिए।
- यदि नोटिस के 7-15 दिनों के भीतर भुगतान नहीं हुआ, तभी बैंक अगला कदम उठा सकता है।
क्या RTO की अनुमति ज़रूरी है?
गाड़ी की RC में यदि बैंक का हाइपोटेकशन दर्ज है, तो वह कानूनी रूप से मालिक नहीं है, बल्कि सिर्फ लोनदाता है।
- गाड़ी जब्त करने से पहले, बैंक को नोटिस और प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है।
- RTO को ओनरशिप ट्रांसफर के लिए आवेदन भेजा जा सकता है, लेकिन जब्ती के लिए RTO की पूर्व अनुमति नहीं होती।
- लेकिन अगर गाड़ी सड़क से उठाई जा रही है, तो ट्रैफिक पुलिस और आरटीओ की जानकारी में होना ज़रूरी है, वरना यह गैरकानूनी उठाव माना जाएगा।
रिकवरी एजेंट द्वारा धमकी देना – क्या यह वैध है?
रिकवरी एजेंट द्वारा धमकी देना, ज़बरदस्ती करना या गाली देना पूरी तरह से अवैध है। RBI के नियमों के अनुसार, एजेंट को पहचान पत्र और रिकवरी लेटर दिखाना जरूरी है और वह सम्मानपूर्वक व्यवहार करे। महिलाओं, बुजुर्गों को डराना या रात 7 बजे के बाद आना मना है। अगर एजेंट मारपीट करे या गाड़ी जबरन ले जाए, तो FIR और शिकायत की जा सकती है।
ग्राहक क्या कर सकता है?
- बैंक को लिखित में ईमेल करें कि आप भुगतान करने को तैयार हैं।
- उनसे EMI टालने या री-स्ट्रक्चरिंग की मांग करें।
- रिकवरी एजेंट की कोई भी धमकी या कॉल की रिकॉर्डिंग रखें।
- बिना नोटिस जब्ती होने पर तत्काल कोर्ट में स्टे ऑर्डर लें।
मकान या अचल संपत्ति की जब्ती – क्या प्रक्रिया है?
SARFAESI एक्ट, 2002 भारत सरकार द्वारा बनाया गया एक विशेष कानून है, जो बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को यह अधिकार देता है कि वे कर्ज की वसूली के लिए संपत्ति जब्त कर सकें, वो भी बिना कोर्ट की अनुमति के। लेकिन इसकी प्रक्रिया भी पूरी तरह से कानूनी और ग्राहक को सुरक्षा प्रदान करने वाली होती है। इस एक्ट के तहत कार्रवाई की प्रक्रिया:
- धारा13 (2): 60 दिन का नोटिस: जब कोई लोन खाता NPA घोषित होता है (90 दिन की EMI चूकने पर), बैंक ग्राहक को लिखित नोटिस भेजता है। इस नोटिस में बकाया राशि और डिफॉल्ट का विवरण होता है। ग्राहक को 60 दिन का समय दिया जाता है कि वह पैसा चुका दे। बिना इस नोटिस के अगला कदम गैरकानूनी है।
- धारा13(4): कब्ज़ा लेने की प्रक्रिया: अगर 60 दिनों में भुगतान नहीं होता, तो बैंक संपत्ति पर कब्ज़ा लेने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। इसमें बैंक संपत्ति को फिजिकल कब्ज़े में ले सकता है, मालिक को हटाने की प्रक्रिया कर सकता है और नीलामी की योजना बना सकता है। बिना सही प्रक्रिया के जबरन कब्ज़ा लेना अवैध है।
- धारा14: मजिस्ट्रेट से अनुमति: अगर ग्राहक कब्ज़ा नहीं देता या विरोध करता है, तो बैंक को जिला मजिस्ट्रेट या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होती है। मजिस्ट्रेट आदेश देता है कि पुलिस की मदद से कब्ज़ा दिलवाया जाए। मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना, बैंक संपत्ति पर जबरन कब्ज़ा नहीं कर सकता। यह प्रक्रिया कानून के तहत जरूरी है।
ग्राहक के अधिकार – इस प्रक्रिया में:
- ग्राहक वकील की मदद से 60 दिन के नोटिस का लिखित जवाब बैंक को भेज सकता है।
- बैंक द्वारा भेजे गए नोटिस के खिलाफ ग्राहक अपनी आपत्ति या स्पष्टीकरण लिखित रूप में दर्ज कर सकता है।
- अगर बैंक की कार्रवाई अनुचित लगे, तो ग्राहक DRT में 45 दिनों के अंदर अपील कर सकता है।
- ग्राहक बैंक से वन टाइम सेटलमेंट या लोन की किस्तें दोबारा तय करने का अनुरोध कर सकता है।
यदि बैंक संपत्ति जब्त कर लेता है?
- यदि नीलामी हो चुकी है, तो कोर्ट में स्टे आर्डर के लिए आवेदन किया जा सकता है।
- मानसिक उत्पीड़न के लिए मानहानि या उपभोक्ता फोरम में भी केस किया जा सकता है।
ICICI बैंक बनाम शांति देवी शर्मा (2008)
इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने ICICI बैंक के रिकवरी एजेंटों द्वारा एक ग्राहक की मोटरसाइकिल की जब्ती के दौरान की गई कथित हिंसा और उत्पीड़न पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बैंकिंग रिकवरी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की जबरदस्ती, धमकी या शारीरिक उत्पीड़न कानूनन स्वीकार्य नहीं है।
साथ ही, कोर्ट ने भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की गाइडलाइंस का पालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें रिकवरी एजेंटों के लिए विशेष आचार संहिता निर्धारित की गई है।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया बनाम शंमुगवेलु (2024)
इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने SARFAESI अधिनियम की धारा 9(5) के तहत अग्रिम राशि (EMD) की जब्ती पर निर्णय दिया। कोर्ट ने माना कि नीलामी प्रक्रिया में अग्रिम राशि की जब्ती एक वैधानिक प्रक्रिया है और इसे भारतीय संविदा अधिनियम के तहत अनुबंध उल्लंघन के रूप में नहीं देखा जा सकता। इस निर्णय ने SARFAESI अधिनियम के तहत संपत्ति की नीलामी प्रक्रिया की वैधता और पारदर्शिता को स्पष्ट किया।
“ऋण डिफॉल्टर्स को उनके भव्य जीवनशैली के आधार पर नैतिक दृष्टिकोण से नहीं आंकना चाहिए।” – नौशाद फोर्ब्स (CII अध्यक्ष )
निष्कर्ष
EMI न चुका पाना एक आम लेकिन गंभीर स्थिति है। लेकिन सही जानकारी, सजगता और कानूनी समझ के साथ आप न सिर्फ अपनी संपत्ति बचा सकते हैं, बल्कि मानसिक तनाव से भी बच सकते हैं।
बैंक से पारदर्शी संवाद बनाए रखें, हर नोटिस का समय पर उत्तर दें, और आवश्यकता हो तो वकील की सलाह लें। याद रखें, कानून आपको सुरक्षा देता है बस उसका सही तरीके से प्रयोग करें।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. क्या केवल एक EMI चूकने पर भी गाड़ी जब्त हो सकती है?
नहीं, आमतौर पर लगातार 2–3 EMI चूकने पर बैंक जब्ती की प्रक्रिया शुरू करता है।
2. SARFAESI Act किन संपत्तियों पर लागू होता है?
यह केवल सिक्योर्ड एसेट (जैसे गाड़ी, मकान) पर लागू होता है, असुरक्षित लोन्स पर नहीं।
3. बैंक जब्त की गई संपत्ति को कब बेच सकता है?
धारा 13(2) के 60 दिन बाद और प्रक्रिया पूरी करने के बाद बैंक नीलामी कर सकता है।
4. क्या लोन के लिए गारंटर की संपत्ति भी जब्त हो सकती है?
हाँ, अगर मूल उधारकर्ता डिफॉल्ट करता है, तो गारंटर की संपत्ति भी जब्त की जा सकती है।
5. क्या मैं कोर्ट में स्टे ले सकता हूँ जब्ती के खिलाफ?
हाँ, आप DRT या हाई कोर्ट में स्टे के लिए आवेदन कर सकते हैं यदि कार्रवाई गलत लगे।