भारत में, इंडियन पीनल कोड का सेक्शन 377 हमेशा से ही सामाजिक या खुले तौर पर बात करने के लिए एक टैबू माना जाता रहा है। बहुत सारे लोग इसके बारे में डिटेल में जानते थे, लेकिन ज्यादातर लोगों की इस टॉपिक पर अपनी ही राय और सोंच थी, जो हमेशा बहुत ही भ्रम से भरा हुआ और अवास्तविक और एक्सेप्ट कलरने के लायक नहीं है। हालाँकि, पूरे समाज की मेंटेलिटी को सिर्फ एक दिन में बदलना आसान नहीं है।
जब हम इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 377 के बारे में बात करते हैं, तो लोगों के दिमाग में जो पहली छवि बनती है, वह सेम-सेक्स, होमोसेक्सुअल, एलजीबीटी कम्युनिटी के लोगों के रिलेशनशिप्स के बारे में, पुरानी और दबी हुई सोंच के बारे में बनती है।
इस बात को क्लियर समझने के लिए सबसे पहले हम इंडियन पीनल कोड के सेक्शन 377 को समझते हैं कि यह सेक्शन क्या कहता है। बेसिकली, यह सेक्शन अननेचुरल सेक्स को डिफाइन करता है, जिसका मतलब होता है कि कोई भी व्यक्ति जो प्रकृति/नेचर के अगेंस्ट पुरुषों, महिलाओं या जानवरों के साथ सेक्सुअल रिलेशन्स बनाता है, उसे कानून के तहत 10 साल की जेल की सजा हो सकती है या क्राइम को देखते हुए इस सज़ा को जुर्माने के साथ पूरी ज़िन्दगी तक के लिए बढ़ाया भी जा सकता है।
लेकिन 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए और इस सेक्शन में बदलाव करते हुए होमोसेक्सुएलिटी को वैलिड कर दिया था। बदलाव यह किया गया था कि अब एक व्यक्ति सेम सेक्स के लोगों के साथ रिलेशन्स रख सकते है, जिसका क्लियर मतलब यह है कि, गुदा मैथुन/अनाल सेक्स अब दंडनीय अपराध नहीं है। अब ऐसा करने पर किसी व्यक्ति को कानून के तहत सज़ा नहीं दी जा सकती है। हालाँकि, सेक्शन 377 अभी भी कानून के तहत मौजूद है, जिसके तहत अभी भी प्रकृति के आर्डर के अगेंस्ट किसी जानवर के साथ सेक्सुअल रिलेशन्स बनाना दंडनीय अपराध है।
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अब सवाल यह उठता है कि क्या कोई भी वाइफ अपने हस्बैंड पर सेक्शन 377 के तहत एफआईआर फाइल करा सकती है?
सवाल यह कहता है कि क्या एक वाइफ अपने ही हस्बैंड पर उसके साथ अनाल सेक्स करने के लिए एफआईआर फाइल करा सकती है। तो इस बात का आंसर मै आपको क्लियर कर दूँ कि एक व्यक्ति किसी भी सेक्स के लोगों के साथ वजाइनल या अनाल सेक्स कर सकता है, बशर्ते इसमें शामिल होने वाले दोनों पार्टनर्स की सहमति होनी चाहिए। ऐसा करना तब तक गैर-कानूनी और दंडनीय नहीं है, जब तक कि यह आपके पार्टनर की सहमति के बिना ना किया जाए। लेकिन अगर यह सेक्सुअल रिलेशन्स बिना पार्टनर की इच्छा या जबरदस्ती से बनाया गया है, तो यह एक क्रिमिनल ओफ्फेंस है और आईपीसी के सेक्शन 375 के तहत दंडनीय अपराध भी है। हालाँकि, अगर एक मैरिड कपल के बीच असहमति से सेक्स किया गया है, जहां वाइफ इस क्राइम का शिकार हुई है, तो वाइफ सेक्शन 377 या 375 के तहत अपने हस्बैंड के अगेंस्ट एफआईआर फाइल नहीं कर सकती क्योंकि 375 मैरिटल रेप को छूट देती है। साथ ही, सेक्शन 377 के तहत इसे कुछ हद्द तक अपराध से मुक्त कर दिया गया है। मतलब सेक्शन 377 के तहत, वाइफ के अलावा कोई और अन्य व्यक्ति कम्प्लेन फाइल कर सकता है लेकिन वाइफ ऐसा नहीं कर सकती है।
हालांकि, अगर कोई भी महिला ऐसी क्रूरता या दुर्व्यवहार का शिकार होती है, जहां उसके हस्बैंड या किसी भी फैमिली मेंबर द्वारा उसकी इच्छा के अगेंस्ट ऐसी कोई एक्टिविटी की गयी है तो वह हस्बैंड या जो भी दोषी है उसके अगेंस्ट एफआईआर फाइल कर सकती है।
हालाँकि, आपकेकेस को समझने के लिए सही और प्रॉपर नॉलेज बहुत जरूरी है। इस तरह की किसी भी हेल्प के लिए आप एक लॉयर को हायर कर सकते है जो आपको ऐसे इंसिडेंट होने पर सही मार्गदर्शन दे सकता है क्योंकि कई बार लोग अपनी सिचुएशन को भी ठीक से समझ नहीं पाते है और उन्हें लगता है कि यह उनकी शादी के सम्बन्ध से जुडी जिम्मेदारी है जो उन्हें निभानी ही है। इसीलिए अगर आप एक एक्सपीरिएंस्ड लॉयर को ढून्ढ रहे है और अपने केस में हेल्प और मार्गदर्शन चाहते है, तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं, लीड इंडिया हमेशा अपने क्लाइंट के अधिकारों के लिए लड़ने में विश्वास रखता है।