क़ानून और धाराएं

भारत में किरायेदार के क्या अधिकार है?

भारत में किरायेदार के क्या अधिकार है?

बहुत अधिकार हैं जो किरायेदार और मकान मालिक के बीच परस्पर जुड़े हुए होते हैं। जब भी एक मकान मालिक किसी किरायदार को अपनी प्रॉपर्टी किराय पर देता है तब उनके बीच यह रिश्ता एक कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से बनाया जाता हैं। आइए इस लेख के माध्यम से किरायेदार के अधिकारों को समझते हैं। एक …

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पॉक्सो चार्ज के केस में दिल्ली हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

पॉक्सो चार्ज के केस में दिल्ली हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

पॉक्सो चार्ज 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों अर्थात नाबालिगों के लिए यौन सुरक्षा प्रदान करता है । यह अधिनियम बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों यौन उत्पीड़न को कम करने के उद्देश्य तथा इसको बिल्कुल भी खत्म करने के उद्देश्य से बनाया गया है इस अपराध के तहत अपराधी को अन्य महिला …

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क्या नाबालिग पत्नी से मैरिटल रेप में POSCO लगेगी?

नाबालिग लड़की से जबरदस्ती शादी करके रेप करने पर पॉक्सो के तहत सज़ा के क्या प्रावधान है।

भारत के संविधान के अनुसार किसी भी 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नाबालिग माना जाता है । यदि किसी नाबालिग बच्चे के साथ किसी भी तरह का सेक्सुअल क्राइम होता है तो उसका निस्तारण पाक्सो कानून के अंतर्गत होता है । इस तरह के मुकदमों की स्पेशल कोर्ट सुनवाई करता है । …

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क्या केस में देरी होना आर्टिकल 21 का उल्लंघन है?

केस में देरी होना आर्टिकल 21 का उल्लंघन है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी एक टिप्पणी के माध्यम से उच्च न्यायालयों से कहा है कि शीघ्रता से फैसला न आना अथवा निर्णय देने में देरी वास्तव में संविधान के आर्टिकल 21 का उल्लंघन है । इसलिए सभी न्यायालयों को चाहिए कि वे इससे बचें। सुप्रीम कोर्ट के इस टिप्पणी के अनुसार  “न्याय …

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दोबारा रिमांड के आदेश देना केस को लंबा खींचता है।

दोबारा रिमांड के आदेश देना केस को लंबा खींचता है।

हाल ही में यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में दी । उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द करने का आदेश दिया था जिसमें हाईकोर्ट द्वारा रिमांड को लेकर एक आदेश दिया गया था । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रीमांड का आदेश मुकदमे को और अधिक लंबा …

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आरोपी को कौन से दस्तावेज कोर्ट द्वारा फ्री मिल सकते है?

आरोपी को कौन से दस्तावेज कोर्ट द्वारा फ्री मिल सकते है?

भारत में आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) में ऐसे प्रावधान हैं जो आपराधिक मामलों में पालन की जाने वाली प्रक्रिया को निर्धारित करते हैं। सीआरपीसी की एक महत्वपूर्ण धारा हैं जो धारा 207 है, जो मुकदमे के लिए मजिस्ट्रेट को मामला भेजने की प्रक्रिया से संबंधित है। एक पुलिस अधिकारी द्वारा एक आपराधिक मामले की जांच …

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नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत कार्यवाई करने में किन शर्तों को पूरा करना होता है?

नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत कार्यवाई करने में किन शर्तों को पूरा करना होता है?

भारत में चेक के अनादर या चेक बाउंस से जुड़े मामलों के लिए नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत कानूनी कार्यवाहियाँ की जाती हैं। यह बात समझने वाली है कि चेक बाउंस के लिए इस धारा का उपयोग होता आया है।  भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली पांच-न्यायाधीशों की …

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भारत में कानूनी नोटिस का क्या लाभ है?

भारत में कानूनी नोटिस का क्या लाभ है?

लीगल नोटिस एक ऐसा प्रकार का औपचारिक संचार है जिसका अपना एक प्रारूप होता है जो बताता है कि नोटिस में कैसे और क्या जानकारी प्रदान करने की आवश्यकता है। एक कानूनी नोटिस पार्टियों के बीच एक औपचारिक लिखित संचार है। एक कानूनी नोटिस के माध्यम से, प्रेषक प्राप्तकर्ता को बाद के खिलाफ कानूनी कार्यवाही …

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क्या पति ‘क्रूर पत्नी’ से तलाक लेने का हकदार है?

क्या पति 'क्रूर पत्नी' से तलाक लेने का हकदार है?

शादी से जुड़े मामले बहुत नाज़ुक, मानवीय और भावनात्मक होते हैं। अपने जीवनसाथी या लाइफ पार्टनर के साथ पूरी ज़िंदगी सही तरीके से समायोजन बनाने के लिए विश्वास, सम्मान, और प्यार की ख़ास जरूरत पड़ती है। कोई भी रिश्ता जिसे हम जीवन भर अपने साथ रखना चाहते है वह रिश्ता प्यार और सम्मान की विशेष …

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लोन वापस लेने में कानूनी नोटिस की क्या भूमिका है?

लोन वापस लेने में कानूनी नोटिस की क्या भूमिका है?

कोई मुकदमा शुरू करने से पहले सबसे महत्वपूर्ण कार्रवाई कानूनी नोटिस को जारी करना होता है। क्योंकि इससे अदालत के बाहर समझौता संभव हो सकता है। कानूनी नोटिस पक्षकारों के बीच विचार-विमर्श का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, जिससे पक्षकारों का अदालती कार्यवाही पर खर्च होने वाला समय और संसाधन बच जाता है। कई बार …

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