क़ानून और धाराएं

सेक्शन 164 के तहत किन बयानों को कॉन्फेशन कहा जा सकता है?

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जैसा कि क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, 1973 के सेक्शन 164 के तहत बताया गया है कि किसी भी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट या जुडिशियल मजिस्ट्रेट इन्वेस्टीगेशन के दौरान किसी भी व्यक्ति द्वारा उसे दिए गए कॉन्फेशन को रिकॉर्ड कर सकता है, भले ही वह केस उसके अधिकार क्षेत्र का नहीं है।  सीआरपीसी के सेक्शन 164 में कॉन्फेशनल स्टेटमेंट …

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एनआरआई लोग अपनी प्रॉपर्टी कानूनी तरीके से कैसे सुरक्षित रखें?

एनआरआई लोगों की प्रॉपर्टी पर इललीगल कब्जे से सुरक्षा के लिए प्रोटेक्शन प्लैन

भारत में एनआरआई लोगों के नाम पर भी कई प्रॉपर्टीज़ है। यह प्रॉपर्टी कई जरियों से उनके पास होती है, जैसे – विरासत में पूर्वजों से मिली हुई प्रॉपर्टी, अपने रिश्तेदारों के साथ जॉइंट ओनरशिप या भारत में प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट करना आदि। यह प्रॉपर्टीज़ एनआरआई इसीलिए भी खरीदते है ताकि अपने भारत देश से …

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सीआरपीसी 164 के तहत ब्यान देने का प्रोसेस क्या है?

सीआरपीसी के तहत स्टेटमेंट्स मजिस्ट्रेट द्वारा रिकॉर्ड किए जाते है।

स्टेटमेंट ऐसे केसिस में रिकॉर्ड किया जाता है, जहां एक व्यक्ति किसी क्राइम के होने का विटनेस होता है या किसी एक्टिव केस में सबूत का हिस्सा होता है। ऐसे मैटर्स में विटनेस किसी भी न्यायिक/जुडिशियल मजिस्ट्रेट या मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के सामने अपना स्टेटमेंट दे सकता है या उस परिदृश्य/सिनेरिओ के बारे में अपना कॉन्फेशन …

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उधार दिए हुए पैसे वापस लेने की प्रोसेस

पैसा वसूलने की स्टेप बाय स्टेप प्रोसेस यह है।

एक व्यक्ति से अपने दिए हुए क़र्ज़ के पैसों को वापस लेने के लिए व्यक्ति के अगेंस्ट कोर्ट केस फाइल करना सबसे एफ्फेक्टिव और एफ्फिसिएंट तरीकों में से एक है। इस प्रकार, उचित जूरिस्डिक्शन के कोर्ट में केस फाइल करना डिफॉल्टर से अपने क़र्ज़ के पैसे निकलवाने के लिए एक सिविल रेमेडी है। यह केस …

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सूट डिक्लेरेशन के लिए केस कैसे फाइल करें?

How To File For Suit For Declaration?

भारतीय लॉयर्स द्वारा लाया गया सबसे पॉपुलर और इफेक्टिव तरीके का सिविल सूट/मुकदमा एक “डिक्लेरेशन सूट” है। कोर्ट के डिक्लेरेशन के आधार/बेस पर, यह डिक्लेरेशन और इंजक्शन रिलीफ दिया जाता है। एक सूट डिक्लेरेशन किसी भी मैटर पर कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले के अगेंस्ट उच्च/हायर कोर्ट से की गई रिक्वेस्ट है। ज्यादातर सिचुऎशन्स में, …

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अनमैरिड महिला 20 हफ्तों की प्रेग्नेन्सी के बाद एबॉर्शन नहीं कर सकती है।

अनमैरिड महिला सहमति से प्रेग्नेंट होने पर 20 हफ्तों के बाद एबॉर्शन नहीं कर सकती

शादी के बाद प्रेग्नेंसी और शादी से पहले प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं को आमतौर पर देखा जाता है, लेकिन समाज में अन्य लोगों द्वारा इसे एक्सेप्ट और सपोर्ट नहीं किया जाता है। कई बार यह देखा गया है कि जो महिलाएं रेप, सेक्सुअल हेररेस्मेंट और अन्य सहमति के बिना सेक्सुअल रिलेशन्स बनने की वजह से …

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सीआरपीसी के सेक्शन 125 सामाजिक न्याय के लिए बनाई गई है।

सीआरपीसी के सेक्शन 125 सामाजिक न्याय के लिए बनाई गई है।

मुक्ति v यूपी राज्य के केस में फाइल की गयी एक क्रिमिनल रिविज़न से डील करने के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेक्शन 125 सीआरपीसी सामाजिक न्याय और स्पेशली बच्चों, महिलाएं और बूढ़े माता-पिता की सुरक्षा के लिए लाया गया है। कोर्ट ने आगे कहा कि यह सेक्शन आर्टिकल 15(3) के अंतर्गत आता है …

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स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 5 के तहत शादी की सूचना

स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 5 के तहत शादी की सूचना

हाल ही में, एस. सरथ कुमार v डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर और एक अन्य केस में, मद्रास हाई कोर्ट ने देखा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 4 के तहत प्रदान की गई शर्तों और सेक्शन 5-13 में बताई गई प्रोसेस  जरूर फॉलो किया जाना चाहिए। इस प्रकार एक्ट के तहत शादी की रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लीकेशन …

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डाइवोर्स के दौरान हस्बैंड के फाइनेंसियल अधिकार क्या है?

डाइवोर्स के दौरान हस्बैंड के फाइनेंसियल अधिकार क्या है?

हम में से ज्यादातर लोग इस फैक्ट को जानते हैं कि एक वाइफ को अपने हस्बैंड से अलग होने के दौरान या डाइवोर्स के बाद मेंटेनेंस का दावा करने का अधिकार है, लेकिन हस्बैंड के पास भी यह मेंटेनेंस का अधिकार है, जिसके बारे में  काफी लोगों को पता नहीं है। कानून के अनुसार, हस्बैंड …

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अगर कोई उधारी के पैसे वापस ना करे तो क्या लीगल एक्शन ले सकते है?

अगर कोई उधारी के पैसे वापस ना करे तो क्या लीगल एक्शन ले सकते है?

पैसे उधार लेना या उधार देना दोनों ही काम रिस्क से भरे है। अगर आप एग्रीमेंट के सभी इंस्ट्रक्शंस को फॉलो नहीं करते हैं तो यह आपको कई खतरनाक सिचुएशन में भी फंसा सकता है। यह अक्सर देखा जाता है कि एक उधार देने वाला व्यक्ति अपना पैसा वसूल करते समय उधार लेने वाले व्यक्ति …

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