कानून और रिश्ते

घरेलू हिंसा के खिलाफ कैसे और कहाँ करे शिकायत?

घरेलू हिंसा के खिलाफ कैसे और कहाँ करे शिकायत?

घरेलू हिंसा एक बहुत ही दयनीय स्थिति है। जिसके तहत महिलाओं के साथ घर में ही बुरा बर्ताव और हिंसा की जाती है। ऐसा नहीं है कि इसे रोकने की कोशिश नहीं की गयी। बल्कि इसे रोकने के लिए “घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (पीडब्ल्यूडीवीए) 2005” लागू किया गया था। इस अधिनियम के …

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कंटेस्टेड डाइवोर्स और म्यूच्यूअल डाइवोर्स में क्या फर्क है?

कंटेस्टेड डाइवोर्स और म्यूच्यूअल डाइवोर्स में क्या फर्क है?

शादियों को सबसे मजबूत बंधन माना जाता है। शादी एक ऐसा बंधन है, जो कपल को एक दूसरे के प्रति कमिटेड और डेडिकेटेड रखता है। लेकिन कई बार इस मीठे रिश्ते में भी खटास आ जाती है। जब शादियां अच्छी तरह से काम नहीं कर रही हो, तब अलग हो जाना ही बेहतर होता है। …

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कंटेस्टेड डाइवोर्स लेने के सामान्य आधार क्या है?

कॉन्टेस्ट डाइवोर्स लेने के सामान्य आधार क्या है?

कंटेस्टेड डाइवोर्स का मतलब एक तरफ़ा तलाक होता है। यह डाइवोर्स तब लिया जाता है, जब एक पार्टनर दूसरे पार्टनर से डाइवोर्स लेने के लिए तैयार नहीं होता है, लेकिन दूसरे पार्टनर के पास डाइवोर्स लेने का वैलिड रीज़न है। कंटेस्टेड डाइवोर्स लेने के आधार:- यह डाइवोर्स लेने के वैलिड रीज़न या आधार यह हो …

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आपसी सहमति से डाइवोर्स की प्रक्रिया क्या है?

भारत में आपसी डाइवोर्स की प्रक्रिया क्या है?

जब एक हस्बैंड और वाइफ मर्ज़ी से अपनी शादी को ख़त्म करते हैं। तो वह म्यूच्यूअल कंसेंट डाइवोर्स या आपसी सहमति से डाइवोर्स होता है। यह दोनों पार्टनर्स की सहमति से लिया हुआ फैसला होता है, इसीलिए इसका प्रोसेस अन्य तरीकों के मुकाबले आसान होता है। आईये जानते है आपसी सहमति से डाइवोर्स लेने का …

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डाइवोर्स लिए बिना क्या दूसरी शादी कर सकते है?

डाइवोर्स लिए बिना क्या दूसरी शादी कर सकते है?

भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ, 1939 के तहत पुरुषों को बिना डाइवोर्स दूसरी शादी करने की इजाज़त है। दूसरी तरफ, हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत एक शादी के होते हुए दूसरी शादी करना जुर्म है। इसके बावजूद कई बार लव-अफेयर्स या किसी मजबूरी में लोग दूसरी शादी कर लेते हैं। लेकिन भारत में दूसरी शादी …

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शादी का वादा तोड़ना अब अपराध नहीं होगा: कर्नाटक उच्च न्यायालय

शादी का वादा तोड़ना अब अपराध नहीं होगा: कर्नाटक उच्च न्यायालय

कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति (वेंकटेश) और अन्य (उसके परिवार) के खिलाफ दर्ज हुयी एक FIR को रद्द करते हुए कहा कि शादी के वादे का पालन नहीं करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का अपराध नहीं माना जाएगा। केस क्या है:- 3 मई, 2020 को एक महिला ने …

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हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम 1856

हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856

हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम, 1856 की वजह से हिन्दू विधवाओं को एक नया जीवन मिला है। एक ऐसा जीवन जो समाज कभी अपनी मर्जी से उन्हें जीने नहीं देता। लॉर्ड डलहौजी के द्वारा पारित कराये गए इस अधिनियम ने, 16 जुलाई 1856 को हिंदू विधवाओं के दोबारा शादी करने को वैध कर दिया था। जिससे …

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लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल के यह अधिकार है: भारतीय कोर्ट

बिना शादी किये साथ रहने वाले लोगों के ये अधिकार है? उससे जुड़े पांच एहम फैसले।

लिव-इन रिलेशनशिप का मतलब “शादी जैसा रिश्ता” होता है। जब एक अनमैरिड लड़का और लड़की मैरिड कपल की तरह एक ही छत्त के नीचे रहते है, तो उसे लिव इन रिलेशनशिप माना जाता है। लेकिन भारत के कानून में लिव इन रिलेशनशिप को ढंग से परिभाषित नहीं किया गया है। यहाँ लिव इन रिलेशनशिप को …

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भारत की 10 सबसे अच्छी कोर्ट मैरिज करने की जगह

भारत की 10 सबसे अच्छी कोर्ट मैरिज की जगह

सभी की लाइफ में अपनी शादी एक बहुत इम्पोर्टेन्ट डिसीज़न होता है। भारतीय संविधान ने अपने सभी नागरिकों को यह अधिकार दिया है की वे अपनी पसंद से अपना जीवनसाथी चुन सकते है। कपल के जाति, धर्म या सम्प्रदाय अलग-अलग होने के बावजूद भी कोर्ट मैरिज का रास्ता उनके लिए खुला है। जो लोग अलग-अलग …

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शादी के बाद महिलाओं के अधिकार क्या है।

शादी के बाद महिलाओं के अधिकार क्या है।

शादी सामाजिक तौर पर नए परिवारों को जोड़ती है। बहुत लोग अपनी शादीशुदा ज़िन्दगी को सफल करने में कामयाब होते हैं। दूसरी तरफ,  कुछ लोगों खासतौर पर महिलाएं को अपनी शादी में अत्याचार सहने पड़ते है। उन्हें ‘इंडियन लीगल राइट्स’ को जानने की जरूरत है। जो उन्हें भारतीय संविधान द्वारा मिले है। शादी के बाद …

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