हिन्दू लोगों के लिए शादी की शर्तें

हिन्दू लोगों के लिए शादी की शर्तें

भारतीय संविधान ने सभी को अपनी इच्छा से अपना लाइफ पार्टनर चुनने का अधिकार दिया है। लेकिन अधिकार के साथ कुछ कंडीशंस भी है। ऐसी ही कुछ कंडीशंस हिंदू मैरिज एक्ट में भी दी गयी है। यह एक्ट भारत में रहने वाले हिन्दू, बौद्ध, सिख, और जैन नागरिकों पर लागू होता है। सभी हिन्दू नागरिक इस एक्ट के तहत शादी कर सकते है। और अपनी शादी को कानूनी रूप से रजिस्टर भी करा सकते है। आईये जानते है हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत शादी करने के लिए कौन सी शर्तों को मानना जरुरी है। 

शादी करने की शर्तें:-

हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन(5) के अनुसार हिन्दुओं की शादी के लिए 5 मुख्य शर्तें इस प्रकार है। 

(1) एक से ज्यादा शादी वर्जित:-

इस एक्ट के अनुसार, हिन्दू नागरिक एक समय पर दो शादियां नहीं कर सकते है। क्योंकि एक से ज्यादा शादी करने पर पाबंदी लगाई गयी है। शादी के समय व्यक्ति का पहले से कोई जीवित हस्बैंड या वाइफ नहीं होना चाहिए। अगर मैरिड व्यक्ति ने दूसरी शादी कर भी ली, तो दूसरी शादी अमान्य है। और ऐसा करने वाला व्यक्ति दंड का पात्र है। हालाँकि, विधवा या डाइवोर्सी लोग लीगली दोबारा शादी कर सकते है।

(2) मानसिक रोगी:-

दोनों में से कोई भी पार्टनर मानसिक रोगी नहीं होना चाहिए। इस क्लॉज़ में 3 बातें कही गयी है।

पहली यह कि शादी के समय, दोनों में से कोई भी पार्टनर मानसिक रूप से इतना बीमार ना हो कि वो व्यक्ति शादी के लिए अपनी वैध सहमति ना दे पाए।

दूसरी बात कि शादी के समय, दोनों में से कोई भी पार्टनर मानसिक रूप से इस तरह से बीमार नहीं होना चाहिए कि वो पूरी तरह पागल नहीं है लेकिन फिर भी शादी के मायने नहीं समझता है इसलिए अपनी शादी की वैध सहमति और अपना वंश बढ़ाने के लिए उपयुक्त नहीं है।

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तीसरी बात यह कि शादी के समय दोनों पार्टनर्स में से किसी को भी दोहरे नहीं पड़ते होने चाहिए।

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(3) मिनिमम मैरिज ऐज:-

शादी के समय लड़के की एज कम से कम 21 साल और लड़की की 18 साल होनी चाहिए। पहले इस एक्ट में यह उम्र लड़कों की 18 और लड़कियों की 15 साल थी। लेकिन बाद में, विवाह कानून (संशोधन) अधिनियम, 1976 के तहत शादी की इस मिनिमम एज को बढ़ा दिया गया था।

हालाँकि, इस शर्त का उल्लंघन होने पर भी शादी को अमान्य नहीं ठहराया जाता है। लेकिन जो व्यक्ति बाल विवाह कराते है, उसके लिए इस एक्ट में दंड और जुर्माने के प्रावधान है।

(4) निषिद्ध या प्रोहिबिटीड डिग्री:-

निषिद्ध या प्रोहिबिटीड डिग्री में आने वाले लोग आपस में शादी नहीं कर सकते है। निषिद्ध डिग्री में करीबी रिलेशन आते है। जैसे- भाई-बहन, माता या पिता की बहन मतलब बुआ- मौसी, माता या पिता की बहन के बच्चे मतलब कज़न्स, आदि। अगर निषिद्ध डिग्री के अंदर आने के बावजूद कोई कपल शादी कर लेते है। तो हिन्दू मैरिज एक्ट के सेक्शन 11 के तहत उनकी शादी ख़ारिज हो जाती है। और हिन्दू मैरिज एक्ट के सेक्शन 18(बी) के तहत ऐसा करने वालों को एक महीने तक की जेल या 1000/- रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकता है।

(5) सपिंडा रिलेशन:-

सपिंडा रिलेशन में आने वाले लोगों की आपस में शादी नहीं हो सकती है, जब तक की कोई परंपरा या सांस्कृतिक नियम उन्हें शादी करने की अनुमति ना दे। सपिण्डा मतलब एक ही वंश के लोग। एक ही वंश की चली आ रही पीढ़ियों से उत्पन्न हुए बच्चे, एक दूसरे के सपिण्डा होते है। सपिण्डा रिलेशन में आने वाले लोग अगर शादी कर भी लेते है, तो उनकी शादी मान्य नहीं है। उस शादी को हिन्दू मैरिज एक्ट के सेक्शन 11 के तहत ख़ारिज कर दिया जाता है।

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इस एक्ट की सभी शर्तों का पालन करते हुए ही भारतीय हिन्दुओं को शादी करने की अनुमति है। अगर कोई इस एक्ट के नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके लिए जुर्माने, और जेल की सज़ा के प्रावधान है। और कई बार नियमों को तोडना उल्लंघनकर्ताओं की शादी टूटने या ख़ारिज होने की वजह भी बन जाता है।

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