माता की मृत्यु के बाद क्या बच्चे पर इसका जैविक पिता दावा कर सकता है ?

माता की मृत्यु के बाद क्या बच्चे पर इसका जैविक पिता दावा कर सकता है ?

जैविक पिता के क्या अधिकार है?

जैविक पिता के कुछ महत्वपूर्ण अधिकार निम्नलिखित हैं:

पितृत्व के अधिकार

जैविक पिता का सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है पितृत्व का अधिकार, जिसके अंतर्गत उन्हें उनके बच्चे के पालन, देखभाल और परवरिश का अधिकार होता है।

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संपर्क का अधिकार

जैविक पिता को अपने बच्चे के साथ संपर्क का अधिकार होता है, यानी उन्हें अपने बच्चे के साथ समय बिताने, मिलने, बातचीत करने और उन्हें मिलने की अनुमति देने का हक़ होता है।

नामांकन का अधिकार

जैविक पिता को अपने बच्चे के नाम का चयन करने का अधिकार होता है, जो उन्हें उनके बच्चे के व्यक्तिगतता और पहचान के संबंध में महत्वपूर्ण होता है।

माता की मृत्यु के बाद क्या बच्चे पर इसका जैविक पिता दावा कर सकता है?

जी नहीं, माता की मृत्यु के बाद उसके बच्चे के जन्म के संबंध में इसका जैविक पिता दावा नहीं कर सकता। जैसा कि आप जानते हैं, मातृगणना और वैज्ञानिक प्रयोग आधारित तकनीकों के द्वारा बच्चे के जन्म के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

भारतीय कानून के अनुसार, माता की मृत्यु के बाद उसके बच्चे पर जैविक पिता दावा करने की प्रक्रिया बहुत संवेदनशील होती है।

हालांकि, जैविक पिता का दावा करने के लिए सामान्यतः बच्चे के जन्म से पहले ही कानूनी कार्रवाई की जाती है। इस प्रक्रिया में, माता और जैविक पिता दोनों को जांच के लिए बुलाया जाता है जो एक चयनित अस्पताल या लैब में होती है। जांच के बाद, जैविक पिता को सही ठहराया जाता है और इसके आधार पर बच्चे के जन्म से पहले वैधता स्थापित की जाती है।

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लेकिन माता की मृत्यु के बाद जैविक पिता दावा करने की प्रक्रिया थोड़ी अलग होती है। इस मामले में, जैविक पिता को न्यायालय के सामने अपनी शिकायत दर्ज करनी होगी। इसके बाद, न्यायालय इस मामले को संज्ञान में लेकर जांच करेगा और संबंधित प्रमाणों के आधार पर फैसला करेगा।

माता की मृत्यु के बाद जैविक पिता द्वारा बच्चे के जन्म के संबंध में दावा करने से पहले, जैविक पिता के पास जरूरी प्रमाणों के साथ संबंधित धाराओं के अनुसार दावा करना होगा।

धारा 112 भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 जैसी कानूनी धारा जांच के विषय में होती है जो उस समय की वस्तुओं और स्थितियों के संबंध में सटीक बयान करने के लिए जांच की जाती है। इस धारा के अनुसार, जैविक पिता के दावे को उसे समर्थन करने वाले गवाहों के द्वारा समर्थित होना चाहिए।

धारा 113 भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 जैसी कानूनी धारा समस्या के समाधान के लिए संबंधित दस्तावेजों की जांच के लिए होती है। जब जैविक पिता किसी बच्चे के पिता होने का दावा करता है, तो उसे उस बच्चे के जन्म से संबंधित दस्तावेजों को जांचने की आवश्यकता होती है।

क्या नाना नानी अपने नाती की कस्टडी ले सकते है?

भारतीय कानून के अनुसार, एक नाना नानी को उनके नाती (पोते/पोती) की कस्टडी का हक़ होता है। इसके लिए, नाना नानी को अपनी वंश प्रमाणपत्र (वसीयत पत्र) द्वारा नाती की कस्टडी के लिए अधिकार प्राप्त करना होगा।

दादा दादी अपने पोते की कस्टडी कैसे ले सकते है?

दादा दादी भी अपने पोते की कस्टडी का हक़ प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए, दादा दादी को अपनी वंश प्रमाणपत्र (वसीयत पत्र) के माध्यम से पोते की कस्टडी के लिए अधिकार प्राप्त करना होगा।

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यहां ध्यान देने योग्य बात है कि इसके लिए जरूरी है कि नाना, नानी, दादा और दादी को उनके पोते/पोती की कस्टडी का हक़ स्वीकार किया जाए और वंश प्रमाणपत्र के समर्थन के साथ इसका दावा किया जाए। इसके लिए, कई बार कानूनी प्रक्रियाएं और दस्तावेज़ों की जरूरत होती है, जिसका पालन करना आवश्यक होता है।

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