यदि कोई व्यापारी अथवा प्रतिष्ठान का मालिक किसी दूसरी कंपनी के व्यापार चिन्ह का उपयोग करता है तो वह उपभोक्ता कानूनों के खिलाफ अपराध है । यदि किसी व्यापारी अथवा प्रतिष्ठान मालिक पर किसी अन्य कंपनी द्वारा ऐसा आरोप लगाया जाता है कि उसने व्यापार चिन्ह का उपयोग गलत किया है तो इस तरीके के उलंघन के खिलाफ बचाव के लिए दो तरीके प्रभावी होते हैं ।
उचित उद्देश्य परक उपयोग
व्यापार चिन्ह अथवा ट्रेडमार्क के उलंघन से बचाव के लिए पहला तरीका एक ऐसी स्थिति के बारे में बात करता है कि उक्त जगह पर उस ट्रेडमार्क का उपयोग सद्भावना के तौर पर किया गया है । अतः उस ट्रेडमार्क के उपयोग के लिए कोई विशेष व्यापारिक मंशा काम नहीं कर रही है । यदि प्रतिष्ठान का स्वामी अपने ट्रेडमार्क के पीछे इस तर्क को देने में सक्षम हो तो इस तरीके के कानून के उलंघन से बचा जा सकता है।
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आंशिक ट्रेडमार्क दिखाकर
व्यापार चिन्ह यानि ट्रेडमार्क कानून के उलंघन के बचाव में काम आने वाला यह दूसरा तरीका भी अत्यंत प्रभावी है । इसके माध्यम से उस प्रतिष्ठान के स्वामी को यह ध्यान रखना होता है कि उसके चिन्ह का स्वरूप जिस ट्रेडमार्क से मेल खाता हो , वह आंशिक होना चाहिए । यदि उसका केवल कुछ भाग ही मेल खाता है तो निश्चित तौर पर प्रतिष्ठान अथवा उद्योग का स्वामी पूरी तरह से सुरक्षित रह सकता है।
इस तरीके के बचाव के लिए आवेदन करने हेतु निम्नलिखित शर्तों का होना अनिवार्य है-
- जिस व्यक्ति पर ट्रेडमार्क के उलंघन का आरोप लगा है वह यह साबित कर दे कि वो जिस प्रकार के प्रोडक्ट की सप्लाई कर रहा है वहां पर इस चिन्ह का होना बहुत आवश्यक है । अन्यथा उस प्रोडक्ट की मार्केट में कोई पहचान नहीं है।
- ट्रेडमार्क के उलंघन से बचाव के लिए दूसरा तर्क यह भी हो सकता है कि मार्केट में अपने प्रोडक्ट की पहचान को स्थापना करने के लिए सामने वाले ट्रेडमार्क का केवल आंशिक मांग ही उचित सीमा तक उपयोग किया गया है।
व्यापार चिन्ह यानी ट्रेडमार्क का क्या अर्थ है?
व्यापार चिन्ह यानी ट्रेडमार्क एक विशेष प्रकार का चिन्ह होता है जो हर व्यवसाय के लिए अलग अलग प्रदान किया जाता है ।
दरअसल इसकी आवश्यकता इसलिए भी पड़ती है क्योंकि मार्केट में कई तरह के प्रतिष्ठान और उद्योग एक ही तरह के सामान का उत्पादन करते हैं । मार्केट में एक ही कस्टमर के पास अलग अलग कंपनियां अपना प्रोडक्ट सेल करती है । वैसे तो अलग अलग कंपनियां भले ही एक प्रोडक्ट बनाएं लेकिन उस प्रोडक्ट की गुणवत्ता , मूल्य आदि सब कुछ अलग अलग होता है । इसलिए कस्टमर को जिस कंपनी अथवा प्रतिष्ठान का सामान अच्छा व सुलभ लगे हालांकि वह उसे लेने के लिए स्वतंत्र भी है इसलिए उपभोक्ता संरक्षण के तहत हर व्यवसाय और प्रतिष्ठान के लिए अलग अलग चिन्ह बनाया गया है । जिसके माध्यम से उपभोक्ता बगैर भ्रमित हुए अपनी पसंद का प्रोडक्ट खरीद सके और उसकी नागरिक स्वतंत्रता का पूरा अधिकार उसे प्राप्त हो सके । इसलिए इस तरह के व्यापार चिन्ह को जारी किया गया है।
व्यापार चिन्ह यानी ट्रेडमार्क चोरी होने पर क्या करे?
यदि किसी प्रतिष्ठान मालिक अथवा उद्योगपति को लगता हैक इस उसके ट्रेडमार्क को करके उसके व्यापार को मार्केट में नुकसान पहुंचाया जा सकता है तो ऐसे मामले में ट्रेडमार्क उलंघन के अपराध में वो न्यायालय में केस फाइल करा सकता है। न्यायालय कुछ विशेष बिंदुओं पर चर्चा करके इस विषय पर कार्यवाही करता है ।