क्या रेप पीड़िता के एबॉर्शन के लिए मेडिकल बोर्ड की राय लेनी जरूरी है?

क्या रेप पीड़िता के एबॉर्शन के लिए मेडिकल बोर्ड की राय लेनी जरूरी है

यदि कोई ऐसी महिला जिसका बलात्कार हुआ हो तथा उसके गर्भ में शिशु रहा हो यदि वह उससे तो का गर्भपात कराना चाहिए तो ऐसी स्थिति में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक टिप्पणी की है जिसके अनुसार इस तरह की महिलाएं मेडिकल बोर्ड की जांच के बाद अपना गर्भ पात करा सकती हैं। इसी मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायालय के जस्टिस स्वर्ण कांति शर्मा ने कहा कि यदि कोई महिला बलात्कार से पीड़ित है तो उसका यूरीन प्रेगनेंसी टेस्ट कराना अनिवार्य किया जाए। 

यदि यूरिन प्रेगनेंसी टेस्ट में यह साफ हो जाता है कि जो महिला बलात्कार से पीड़ित है वह गर्भवती भी है तो ऐसी स्थिति में जांच अधिकारी यह भी सुनिश्चित करें कि उस महिला को उसी दिन मेडिकल बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत किया। ध्यान रहे न्यायालय द्वारा रेप केस में पीड़ित महिलाओं के गर्भापात के संबंध में  इस प्रकार की टिप्पणी बालिग महिलाओं के लिए की गई है।

यदि कोई ऐसी महिला जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम है वह यौन शोषण का शिकार हुई है तथा यौन हमले के कारण वह उसका गर्भधारण हो गया है तो ऐसी स्थिति में नाबालिक महिला यदि गर्भपात कराना चाहती है तो न्यायालय के अनुसार गर्भपात जैसे घातक मुद्दे के लिए पीड़ित महिला की सहमति के साथ साथ महिला के अभिभावक की सहमति भी आवश्यक है ।

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आगे इस मुद्दे पर बात कहते हुए न्यायालय ने कहा कि मेडिकल बोर्ड को इस तरह की पूरी रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों के सामने देनी चाहिए जिससे यदि भविष्य में आवश्यकता पड़े तो न्यायालय उस रिपोर्ट को सामने रख सके तथा कार्यवाही में विलंब न करते हुए केस को जल्दी से निपटाया जा सके । न्यायालय ने यह भी कहा कि अभी हर जिले में मेडिकल बोर्ड की सुविधा उपलब्ध नहीं है इसलिए प्रदेश सरकारों को तथा भारत सरकार को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर जिले में कम से कम एक मेडिकल बोर्ड का गठन हो जिससे कि ऐसे मामलों में पीड़ित पक्ष को अधिक परेशानी ना उठानी पड़े। 

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इसी तरह के एक और मामले में न्यायालय ने पीड़िता को मेडिकल बोर्ड भेजा था यह मामला बांबे हाईकोर्ट का था जब एक पीड़िता जो कि नाबालिग थी और बलात्कार से पीड़ित थी वह अपना गर्भपात कराना चाहती थी । उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने ऐसी स्थिति में तत्काल मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया तथा मेडिकल बोर्ड को एक सीमित अवधि के भीतर रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया। 

इसलिए यदि कोई नाबालिग अथवा बालिग पीड़िता गर्भपात कराना चाहती है तो ऐसी स्थिति में उसे मेडिकल बोर्ड के पास जाना अनिवार्य होगा

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