धोखाधड़ी करने और गलत बयान देने के बीच क्या अंतर है?

धोखाधड़ी करने और गलत बयान देने के बीच क्या अंतर है?

धोखाधड़ी एक आपराधिक कार्य है जिसमें कोई व्यक्ति या संगठन दूसरे व्यक्ति या संगठन को गुमराह, धोखा देता है या उन्हें गलत जानकारी देता है ताकि उनसे लाभ हासिल किया जा सके। धोखाधड़ी आमतौर पर आपराधिक उद्देश्यों के साथ किया जाता है और अनैतिक, अवैध और भ्रष्टाचारी होता है। इसमें धोखाधड़ी करने वाले व्यक्ति या संगठन की मनमानी, जालसाजी, छल-कपट, धोखा देने का उद्देश्य और धोखा देने के बाद विशेष लाभ होता है। यह आपराधिक कार्य है और कानूनी प्रतिक्रिया के लायक होता है।

गलत बयान देना

गलत बयान देना एक मानसिक क्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति असत्य, अपमानजनक या अवैध बयान देता है। यह बयान देने का कार्य वाणी, लेख, सामग्री, साक्ष्य या किसी अन्य माध्यम के माध्यम से हो सकता है। गलत बयान देना विशेष उद्देश्य के साथ किया जाता है, जैसे कि किसी व्यक्ति या संगठन की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचाना, जनमानस या समाज को भ्रष्ट करना, व्यक्ति को बदनाम करना आदि। गलत बयान देने का उद्देश्य विचारों, विचारधारा, सत्यता और जानकारी को अविश्वसनीय बनाना होता है। यह कानूनी प्रतिक्रिया के लायक हो सकता है, लेकिन यह धोखाधड़ी के रूप में नहीं माना जाता है।

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संक्षेप में कहें तो, धोखाधड़ी गलत बयान देने की एक प्रकार हो सकती है, लेकिन गलत बयान देना सिर्फ एक आपराधिक कार्य होता है और उसमें धोखेबाजी का उद्देश्य शामिल नहीं होता है।

धोखाधड़ी के मामले कहाँ दर्ज होते है

धोखाधड़ी के मामले भारतीय कानूनी प्रणाली के तहत दर्ज होते हैं। धोखाधड़ी एक आपराधिक कार्य होता है और उसके लिए भारतीय दंड संहिता, 1860 और अन्य संबंधित कानूनों में धोखाधड़ी के प्रत्याशित अधिनियम शामिल होते हैं।

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धोखाधड़ी जैसे आपराधिक कार्य के मामलों को आमतौर पर स्थानीय पुलिस स्थानीय थानों में दर्ज करती हैं। जब किसी को धोखाधड़ी का शिकार बनाने का आरोप लगाया जाता है, तो वह व्यक्ति अपने निकटतम पुलिस स्थानक पर जा सकता है और अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। वहां पुलिस आपराधिक जांच के लिए आवश्यक कदम उठाएगी और आवश्यकतानुसार मामला न्यायिक प्रक्रिया में प्रस्तुत किया जाएगा।

धोखाधड़ी के मामलों को न्यायिक दलों द्वारा सुनवाई और निर्णय दिए जाते हैं। यहां न्यायिक प्रक्रिया अनुसार कोर्ट और विशेष अदालतें इस्तेमाल की जाती हैं, जिनके अधीन मामले की सुनवाई और निर्णय दिया जाता है।

महत्व

पूर्ण रूप से, यदि आप धोखाधड़ी के शिकार बने हैं या आपके पास इसके बारे में संदेह है, तो आपको निकटतम पुलिस स्थानक या अदालत से संपर्क करना चाहिए और अपनी शिकायत दर्ज करवानी चाहिए। विशेष अदालतों में ऐसे मामलों की सुनवाई भी की जाती है जैसे कि आपराधिक अपील अदालत, अदालत में अधिवक्ता और उच्चतम न्यायालय।

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