बहुत से मैरिड कपल को अपने बच्चे को जन्म देने में परेशानियाँ आती है। जैसे लड़की का कंसीव ना कर पाना, कंसीव हुआ तो बच्चे का ना ठहरना, बच्चे का कोख में डेवेलप ना होना, आदि। ऐसे कपल के लिए साइंस एक वरदान के बराबर है। आज साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है की बच्चे को जन्म देने में भी सक्षम है। बशर्ते एक मेल स्पर्म और एक फीमेली एग होना चाहिए। ऐसे कपल जो संतान सुख तो चाहते है, लेकिन किसी वजह से अपने बच्चे को जन्म नहीं दे पा रहे है। वो डॉक्टर्स के द्वारा नैतिक सरोगेसी की मदद से पेरेंट्स बन सकते है।
सरोगेसी क्या है :-
सबसे पहले डॉक्टर कपल के कुछ टेस्ट कराते है। जिससे वो पता लगा सके कि कमी किसकी तरफ से है। इसके बाद अगर दवाइयों से ठिक हो सकती है तो उस कमी को दूर करते है। उसके बाद डॉक्टर मशीनों द्वारा मेल स्पर्म और फीमेल एग को मिलाकर एम्ब्रयो क्रिएट करते है, मतलब मशीनों से बच्चे का जन्म कराते है। फिर उस एम्ब्र्यो/बच्चे की ग्रोथ के लिए उसे सरोगेट मदर के अंदर इम्प्लांट करते है। सरोगेट मदर वो होती है, जो बच्चे को उसके जन्म होने तक कैरी करती है।
सरोगसी का दुरूपयोग:-
कुछ लोगों ने इसे व्यवसाय बना लिया है। वो लोग सरोगेसी के लिए बड़ी रकम लेते है और बदले में कोख के बच्चे को बेचते है और संतान सुख के लिए कपल भी पैसे देने को तैयार हो जाते है। ये बिलकुल गलत और अब गैर-कानूनी भी है।
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नए अधिनियम की शर्तें:-
(1) नैतिक सरोगेसी :-
अब सिर्फ शर्तों के आधार पर नैतिकता के लिए सरोगेसी कराई जा सकती है। इसे व्यवसाय नहीं बना सकते, ये गैर कानूनी है।
(2) सरोगेट मदर :-
इस एक्ट के तहत करीबी रिश्तेदारों का सेक्शन हटा दिया गया है। अब सिर्फ विलिंग महिला को सरोगेट मदर बनने की अनुमति दी गयी है। जो महिला चाहे वो अपनी मर्जी से नैतिकता के लिए सरोगसी कर सकती है, लेकिन पैसों के लिए नहीं।
(3) बच्चे को छोड़ नहीं सकते :-
इस एक्ट के तहत सरोगेट मटर के अधिकारों की रक्षा की गयी है। ध्यान रखा गया है कि किसी भी स्तिथि में कपल के द्वारा बच्चे को छोड़ा न जाये। बच्चे या कपल की कोई भी स्तिथि हो वो अपने बच्चे को छोड़ कर भाग नहीं सकते है।
(4) लिंग चयन है गलत :-
सरोगेसी की इस प्रोसेस में बच्चे का लिंग चयन नहीं किया जा सकता है। ये गैर-कानूनी है और ऐसा करने पर कपल को कानूनन सज़ा हो सकती है।
(5) एलिजिबिलिटी का प्रमाण :-
सरोगेसी से बच्चे करने के लिए कपल को ज़रूरत और पात्रता (एलिजिबिलिटी) का प्रमाण देना होता है। अगर कपल ये प्रूफ प्रेजेंट नहीं कर पाते है, तो वो सरोगेसी नहीं कर सकते है।
(6) सरोगेट मदर के लिए बीमा पॉलिसी :-
सरोगेट मदर के लिए बीमा आदि अनेक सुरक्षा उपाय निकाले गए है। पहले जहां एक सरोगेट मदर को 16 महीने का बीमा कवरेज मिला करता था, वहीं अब उसे बढाकर 36 महीने कर दिया गया है।
(7) सरोगेसी क्लिनिक पंजीकरण :-
सरोगेसी करने के लिए सरोगेसी क्लीनिकों को उपयुक्त ऑथोरिटी द्वारा रजिस्टर होना जरुरी होता है। अगर सरोगेसी क्लिनिक रजिस्टर नहीं है, तो ये पूरा सरोगेसी प्रोसेस गैर-कानूनी होता है। इसे कभी भी बीच में ही रोका जा सकता है।
(8) सरोगेसी के लिए उम्र :-
नए एक्ट के अनुसार नैतिक सरोगेसी की परमिशन सिर्फ उन कपल को है, जिनमे लड़की की उम्र 25 से 50 वर्ष और लड़के की उम्र 26 से 55 वर्ष के बीच है।
(9) भारतीय कपल को ही अनुमति :-
भारत में सरोगेसी कि परमिशन सिर्फ भारतीय कपल्स को ही दी गयी है। भारतीय कपल्स के अतिरिक्त भारत में कोई सरोगेसी नहीं करा सकता है।
(10) बच्चे के अधिकार :-
एक्ट के अनुसार सरोगेसी से जन्म लेने वाले बच्चे को वो सभी अधिकार दिए जाते है। जो की एक प्राकृतिक बच्चे को मिलते है। उनके अधिकारों में कोई फर्क नहीं किया जाना चाहिए और ना ही उस बच्चे को ऐसा लगना चाहिए कि वो अलग है।