कॉरपोरेट के लिए कॉन्ट्रैक्ट कैसे तैयार किये जाते है?

कॉरपोरेट कानून के लिए कॉन्ट्रैक्ट कैसे तैयार किये जाते है?

अनुबंधों (Contracts) और समझौतों (agreements) को कॉरपोरेट की दुनिया का दिल माना जाता है। इसलिए, यह समझना जरूरी है कि सभी कॉन्ट्रैक्ट को बहुत ही सावधानीपूर्वक तैयार किया जाना चाहिए ताकि पार्टियों के बीच भविष्य में पैदा होने वाली किसी भी प्रकार की गलतफहमी को पहले ही ख़त्म किया जा सके।

जैसा पहले भी कहा गया है कि सावधानीपूर्वक तैयार किया गया समझौता व्यापार के दौरान किसी भी भविष्य की देनदारी या अनावश्यक परेशानियों और गलतफहमियों से छुटकारा दिलाने में मदद करता है। लीड इंडिया इन मुद्दों में आपकी मदद करता है, क्योंकि हम ना केवल बेहतरीन तरीके से कॉन्ट्रैक्ट्स को तैयार करते हैं बल्कि समझौतों को निष्पादित (execute) करने से पहले सभी जरूरी सावधानियाँ भी बरतते हैं।

कानूनी दस्तावेज (documents) और व्यवसाय (business) साथ-साथ चलते हैं, समझौते एक कंपनी को रोजगार के एक नए बाजार में प्रवेश करने में सक्षम बनाते हैं और कंपनी के दायरे को बढ़ाने में मदद करते हैं। एक कानूनी दस्तावेज प्रतिस्पर्धियों (competitors) द्वारा इसकी संवेदनशील (sensitive) जानकारी की किसी भी तरह से नकल को रोकने में मदद करता है। ऐसे कई कॉन्ट्रैक्ट्स या लीगल डाक्यूमेंट्स हैं जो एक नए बिज़नेस या स्टार्टअप के लिए जरूरी हैं-

गैर प्रकटीकरण समझौता (NDA)

  1. एक नए बिज़नेस या स्टार्टअप को अपने सभी क्रिएटिव विचारों, नए प्रोडक्ट्स, सर्विसिज़ या सभी अन्य संवेदनशील जानकारी की  कॉम्पिटिटर्स से रक्षा करनी चाहिए, अन्यथा यह कॉम्पिटिटर कंपनियों के हाथ लग सकता है। गैर-प्रकटीकरण समझौता (Non-Disclosure Agreement) एक कानूनी दस्तावेज होता है जो ऐसी गोपनीय जानकारी को सुरक्षित करने में मदद करता है।
  2. एनडीए दो पार्टियों के बीच होने वाला एक लिखित समझौता होता है, जो उन्हें ऐसी गोपनीय जानकारी लीक करने से रोकता है, जो उनके साथ में काम करने के दौरान की जा सकती है।
  3. इसमें यह बताने वाला क्लॉज़ भी शामिल हो सकता है कि ऐसी किसी भी गोपनीय जानकारी को वापस या नष्ट कैसे किया जाना चाहिए। 
  4. कॉन्ट्रैक्ट के अंदर, उस कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन होने की सिचुएशन में उपलब्ध सोल्युशन भी शामिल हैं।

ट्रेडमार्क:

  1. ट्रेडमार्क वह चिन्ह (sign) होता है जो एक कंपनी के सामान को दूसरी कंपनी के सामान से अलग करने में मदद करता है। ट्रेडमार्क बौद्धिक संपदा अधिकारों (Intellectual Property Rights) द्वारा संरक्षित हैं। कंपनी का एक पंजीकृत (registered) नाम समय के साथ एक ब्रैंड बन जाता है और वही नाम ब्रैंड का रूप लेकर आपके बिज़नेस को सुरक्षित करने में मदद करता है।
  2. उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Industry and Commerce) के तहत, पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक ट्रेडमार्क एक्ट, 1999 के तहत भारत में ट्रेडमार्क रजिस्टर करता है।
  3. एक ट्रेडमार्क पंजीकरण/रजिस्ट्रेशन बाकि लोगों द्वारा आपके सामानों को बाजार में नकल करने और बेचे जाने से कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है, जो आपके सामान की छवि पर गलत प्रभाव डाल सकता है। किसी भी ऐसी पार्टी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, अगर वह आपके सामान की नकल करता है या आपके ट्रेडमार्क के तहत अपने सामानों को बेचता है।

एम्प्लॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट:

  1. एम्प्लॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट नियोक्ता द्वारा कर्मचारी के साथ किया जाने कंपनी में एक नए कर्मचारी को नियुक्त करने में बहुत से कानूनी दस्तावेज शामिल हो सकते हैं। एम्प्लॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट उन्ही का एक हिस्सा है। 
  2. एम्प्लॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट एक कर्मचारी और एक नियोक्ता के बीच होने वाला लिखित समझौते का दस्तावेज होता है। इसमें कर्मचारी के अधिकारों और जिम्मेदारियों को परिभाषित किया जाता है।
  3. यह कॉन्ट्रैक्ट कंपनी और कर्मचारी के सभी कानूनी दायित्वों और अपेक्षाओं के बारे में स्पष्टता से बताता है, ताकि भविष्य में कोई भी विवाद होने की कम से कम मौके हो या कोई विवाद उत्पन्न हो भी तो उससे डील करने के लिए उचित सोल्युशन निकला जा सके।
  4. इस समझौते में एम्प्लोयी की डेसिग्नेशन और उस विभाग की जानकारी जहां कर्मचारी काम करेगा शामिल हो सकता है ।
  5. कॉन्ट्रैक्ट में कर्मचारी के सैलरी की डिटेल्स, कर्मचारी को सैलरी के अलावा कंपनी द्वारा दिए जाने वाले प्रोत्साहन के बारे में कोई जानकारी जैसी डिटेल्स शामिल हैं।
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गैर-प्रतिस्पर्धा खंड:

  1. गैर-प्रतिस्पर्धा खंड (Non-competition clause)  के लिए एक अलग समझौता भी तैयार किया जा सकता है या इसे रोजगार कॉन्ट्रैक्ट में भी शामिल किया जा सकता है। एक गैर-प्रतिस्पर्धा क्लॉज़, कर्मचारी को किसी भी ऐसे बिज़नेस के साथ काम करने से रोकता है, जो कंपनी द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के साथ कॉम्पिटिटिव हो। 
  2. एक एम्प्लॉयमेंट कॉन्ट्रैक्ट में कर्मचारी की भूमिका (role) और जिम्मेदारियां और उसके काम करने का दायरा भी शामिल हो सकता है। यह उस भूमिका की व्याख्या कर सकता है जो कर्मचारी से उसके रोजगार के दौरान निभाने की अपेक्षा की जाती है।

नियम और शर्तें:

  1. बिज़नेस के दौरान, क्लाइंट्स के साथ काम करने की शर्तें पहले से तय करना जरूरी है। अगर आप एक खरीदार हैं, तो किसी भी समझौते को अंतिम रूप देने से पहले नियम और शर्तों से बना हुआ कॉन्ट्रैक्ट तैयार करना जरूरी है।
  2. नियमों और शर्तों के कॉन्ट्रैक्ट में भुगतान की प्रक्रिया, सामान या सेवाओं का वितरण, रद्द करने की कोई नीति, या आपके रोजगार के सही तरीके से समापन के लिए जरूरी कोई भी अन्य डिटेल्स शामिल हो सकती है।
  3. एक निश्चित स्थिति में कॉन्ट्रैक्ट में बिज़नेस को प्रभावित करने वाली पार्टियों की देनदारियां और अधिकार शामिल होंगे।
  4. इसके अलावा, कॉन्ट्रैक्ट में वह प्रक्रिया शामिल होगी जिसके द्वारा पार्टियों द्वारा किसी डिस्प्यूट को संबोधित किया जा सकता है, उदाहरण के लिए अगर वह आर्बिट्रेशन के माध्यम से या कोर्ट की कार्यवाही के माध्यम से अपने बिज़नेस के दौरान किसी डिस्प्यूट को सुलझाना चाहते हैं।

निष्कर्ष:

ऊपर बताये गए दस्तावेजों के अलावा कई अन्य दस्तावेजों को भी तैयार करने की जरूरत होती है, जैसे कि शेयरहॉल्डर एग्रीमेंट या कंपनी में सही तरीके से सभी काम होने के लिए कोई अन्य नियम, आदि। 

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आप इस प्रकार की किसी भी लीगल सलाह के लिए लीड इंडिया के अनुभवी एडवोकेट की मदद ले सकते है।  

भारत में एक बिज़नेस शुरू करने के लिए बहुत सारे कानूनों का पालन करने की जरूरत होती है। साथ ही बिज़नेस की सुरक्षा के लिए भी कई कानूनी दस्तावेजों की जरूरत होती है, इसलिए इसमें शामिल कानूनों की उचित जानकारी होनी जरूरी है।

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