क्या है अनुच्छेद 21 जो कर सकता है प्रेमी जोड़ों की मदद

क्या है अनुच्छेद 21 जो कर सकता है प्रेमी जोड़ों की मदद

कई बार ऐसा होता है कि कपल को घरवालो के खिलाफ जाकर शादी करनी पड़ती है। उसके लिए वो घर छोड़ कर कहीं दूर जाते हैं। ऐसे में उन्हें ठहरने के लिए सुरक्षित जगह की तलाश होती है। इसके लिए या तो वो किसी होटल में रूकते हैं या फिर किसी रूम में किराए पर रहते हैं। लेकिन जब तक उनकी शादी नहीं हो जाती तब तक उन्हें डर लगा रहता है।

ऐसे में अपनी सुरक्षा को लेकर उनके मन कई सवाल होते हैं, जैसे कहीं पुलिस उन्हें पकड़ तो नहीं लेगी? कहीं बिना शादी किये होटल या कहीं रूकना गैर कानूनी तो नहीं है। तो यदि लड़का लड़की बालिग़ हैं तो हमारे संविधान का अनुच्छेद 21 उन्हें सुरक्षा देता है।

क्या है अनुच्छेद 21

मूल अधिकारों में वर्णित अनुच्छेद 21 व्यक्ति को सम्मान से और निजता से जीवन जीने की आजादी देता है। एक तरीके से इसे हमारे संविधान की तरफ से निजता और सम्मान की गारंटी कहें तो गलत नहीं होगा। अनुच्छेद 21 को मौलिक अधिकारों की श्रेणी में रखा गया है।

एक विशेष बात, हमारे मूल अधिकारों को हमसे छीना नहीं जा सकता। यदि ऐसा होता है तो व्यक्ति अपने अधिकारों और खुद की रक्षा के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। हमारे मूल अधिकारों का वर्णन संविधान के भाग तीन में अनुच्छेद 12 से 35 के बीच किया गया है।

इसी भाग में अनुच्छेद 21 का भी विस्तार से वर्णन है। यही वो अधिकार है जो भारत के हर नागरिक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता, निजता और सम्मान से जीने का हक़ देता है।

सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर अपने फैसलों द्वारा अनुच्छेद 21 का दायरा बढाया है। इसमें निजता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के साथ-साथ कुछ अन्य जरूरी चीजो को भी जोड़ा गया है। इनमे निम्नलिखित अधिकार शामिल हैं-

  • एकांतता का अधिकार
  • विदेश यात्रा का अधिकार
  • जीविकोपार्जन का अधिकार
  • मानव गरिमा के साथ जीने का अधिकार
  • शिक्षा का अधिकार
  • आहार पाने का अधिकार
  • स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार
  • शीघ्र विचारण का अधिकार
  • चिकित्सा सहायता पाने का अधिकार
  • आश्रय का अधिकार
  • सार्वजनिक धूम्रपान पर निषेध
  • अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध संरक्षण

ऐसे में एकांत का अधिकार, मानव गरिमा के साथ जीने का अधिकार और आश्रय का अधिकार इस बात को सुनिश्चित करता है कि यदि कोइ भी प्रेमी जोड़ा किसी होटल या किसी किराए के घर में आश्रय लेता है तो वो किसी क़ानून का उल्लंघन नहीं कर रहा है। शान्ति से रहने के उसके हक़ को छीना नहीं जा सकता। 

यदि पुलिस या कोइ अन्य व्यक्ति किसी भी व्यक्ति या प्रेमी जोड़े को डराते धमकाते हैं तो ये कानून का उल्लंघन है। यदि पीड़ित व्यक्ति या कपल इसकी शिकायत कर दे तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होती है। यदि कोइ अनुच्छेद 21 में मिले अधिकारों का हनन करे तो उसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाया जा सकता है| इसके अलावा पुलिस में शिकायत की जा सकती है|

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