भारतीय कानून में काले जादू के लिए क्या प्रोविज़नस है?

भारतीय कानून में काले जादू के लिए क्या प्रोविज़नस है?

काला जादू हमारे समाज में पुराने समय से चला आ रहा है और इसे हमारे देश की सबसे बड़ी बुराइयों में से एक माना जाता है। लोग इस तरह की एक्टिविटीज़ में अपने धार्मिक विश्वासों को ले आते हैं और बाद में इसके परिणाम भुगतते हैं।

हमारे देश ने अंधविश्वास और काले जादू के नाम पर बहुत से अजीबोगरीब केसिस से डील किया है और आज भी कर रहा है। जैसे कि भूत भगाना, किसी व्यक्ति को कुएं में फेंकना, धर्म के नाम पर बली के रूप में मर्डर करना आदि। इन परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए एक्चुअली लोगों को शिक्षा/एजुकेशन के साथ-साथ कानून के प्रति जागरूक होने की भी ज़रूरत है, जिसमे ऐसी एक्टिविटीज़ करने, कराने या इन चीज़ों को फॉलो करने पर बैन लगाया गया है, क्योंकि ज्यादातर इन एक्टिविटीज के चलते लोग कुछ ना कुछ ऐसा कर देते है जो उन्हें कानूनन सज़ा का हकदार बना देता है। 

काले जादू से जुड़े कानून :

  • भारत में 4 जनवरी 2020 को प्रिवेंशन एंड ईरेडीकेशन ऑफ़ इनह्यूमैन ईविल प्रेक्टिसिज़ एंड ब्लैक मैजिक एक्ट, 2017 (अंधविश्वास विरोधी एक्ट) सरकार की सहमति के बाद लागू हुआ था।
  • यह एक्ट 16 ​​ऐसे कानूनों पर बैन लगता है जो जादू टोना, काला जादू, अंधविश्वास के नाम पर अन्य लोगों को बर्बाद कर सकते हैं। अगर कोई इस एक्ट के तहत दोषी पाया जाता है, तो उसे सज़ा के रूप में एक साल से सात साल तक की जेल या 5,000 रुपये से लेकर  50,000 रूपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है। दोषी के जुर्म के अनुसार, अंधविश्वास विरोधी एक्ट के साथ-साथ सेक्शन 302 (मर्डर) और सेक्शन 307 (मर्डर करने की कोशिश) सेक्शन 308 (सुसाइड के लिए उकसाना) के तहत भी उसे सज़ा मिल सकती है। 
  • 2019 में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने खुलासा किया कि डायन-शिकार के केसिस बढ़ गए है। पिछले एक साल में छत्तीसगढ़ में 22-चुड़ैल-शिकार से रिलेटिड मौतें देखी गईं। पुलिस ने असम के 4 नाबालिग लड़कों को बचाया, जिनकी अनुष्ठान के नाम पर बली दिए जाने का शक था।
  • इस तरह के काम अंतर्राष्ट्रीय विधानों/इंटरनेशनल कन्वेंशन द्वारा भी किये जाते हैं, जिसका एक हिस्सा भारत भी है। उनमें से कुछ एक्ट्स – मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा, 1948, नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय वाचा, 1966 और महिलाओं के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव का उन्मूलन, 1979 भी हैं।
  • जीतूमुरुमु@सुकुलमुरमु और अन्य V. ओडिशा राज्य के केस में, यह माना गया कि मौजूदा कानून इस मैटर को सॉल्व करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं, इसलिए सेंट्रल लॉ की तुरंत जरूरत है।

क्या करना बैन नहीं है?

सुप्रीम कोर्ट का आर्डर :

जस्टिस आरएफ नरीमन के साथ सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने, पिटीशनर द्वारा फाइल की गयी उस पिटीशन को ख़ारिज कर दिया, जिसमे उसने केंद्र और राज्य से मांग की थी कि काले जादू, अंधविश्वास, धर्म के नाम पर डराने-धमकाने, धोखाधड़ी करने और धर्म बदलने को रोकने के लिए सरकार द्वारा कदम उठाए जाएं। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि उनके पास ऐसी कोई भी वजह नहीं है जिससे वह किसी भी 18 साल से ऊपर के व्यक्ति को अपना धर्म चुनने की अनुमति देने से मना करे। 

भारत में महाराष्ट्र ‘अंधविश्वास विरोधी बिल’ को लागू करने वाला पहला राज्य था। इस बिल में महाराष्ट्र के ‘समाज कल्याण मंत्रालय’ द्वारा कुछ बदलाव भी किया गया था। 

इसे भी पढ़ें:  भारत में प्रापर्टी लायर कैसे बन सकते हैं

चमत्कार के नाम पर चीटिंग – 

चमत्कार के नाम पर यह सभी काम करना कानून की नज़र में चीटिंग है और ऐसा करने वाले व्यक्ति को सज़ा और जुर्माना भरना पड़ सकता है – 

  • कोई भी अघोरी प्रथा या ऐसी एक्टिविटी करना, जिससे किसी अन्य व्यक्ति की जान को खतरे हो सकता है या घातक चोटों की वजह बन सकती है।
  • किसी व्यक्ति के सामने दावा करना कि मुझमे सुपरनैचरल पावर्स है, इन शक्तियों के नाम पर उसे धोखा देना या मन में डर पैदा करना। 
  • सुपरनैचरल पावर्स के जरिये करणी या अनुष्ठान करना या उसका विज्ञापन/एडवर्टिजमेंट करना। 
  • किसी महिला से वादा करना कि वह सुपरनैचरल पावर्स का यूज़ करके उसे प्रेग्नेंट कर सकता है या पिछले जन्म में उसका जीवनसाथी/स्पाउस होने का दावा करके उसके साथ सेक्सुअल रिलेशन्स बनाने के लिए मजबूर करना। 
  • खुद में सुपरनैचरल पावर्स होने का दावा करके मानसिक रूप से बीमार पेशेंट्स का शोषण करना। 
  • मेडिकल ट्रीटमेंट का विरोध करना। 
  • किसी व्यक्ति को सांप या कुत्ते द्वारा काटे जाने पर या अगर व्यक्ति कैंसर या अन्य बीमारियों से बीमार है तो अघोरी अनुष्ठान कराने के लिए मजबूर करना। 
  • किसी व्यक्ति को यह दावा करना की उसका होने वाले बच्चे का जेंडर उसकी मर्ज़ी के अनुसार होगा या लड़का ही होगा इस बात की गारंटी देना। 
  • किसी व्यक्ति के पास बुरी शक्तियां हैं और वह जादू टोना करता है, इस बात का दावा करके उसे सबसे अलग करना या सज़ा देना।

विश्वास और अंधविश्वास के बीच एक मामूली अंतर होता है, जिसे कानून में समझाया जाना चाहिए। क्योंकि, भगवान के नाम पर की गयी यह गलत एक्टिविटीज़ दूसरों का विश्वास इन लोगों पर जगा सकती हैं और उन्हें गलत तरह से बेहला-फुसला कर ठगी का शिकार बना सकती है। इस बात को भारत के अंधविश्वास विरोधी बिल में साफ़ साफ़ समझाया गया है, लेकिन यह अभी भी कानून के रूप में घोषित होने की राह देख रहा है।

इसे भी पढ़ें:  क्या शादी के बाद लिव-इन रिलेशनशिप में संपत्ति के अधिकार प्रभावित होते हैं?

आप लीड इंडिया के एक्सपर्ट्स से एडवाइस ले सकते हैं जो किसी भी गलत मैटर के अगेंस्ट ऐसी कोई भी कम्प्लेन फाइल करने की प्रोसेस में आपका सही मार्गदर्शन कर सकते हैं।

Social Media