म्यूच्यूअल डिवोर्स एक महीने में कैसे हो सकता है?

म्यूच्यूअल डिवोर्स एक महीने में कैसे हो सकता है?

डिवोर्स शादी को खत्म करने की कानूनी प्रक्रिया है। इसके लिए अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नियम होते हैं। भारत में, डिवोर्स के लिए विभिन्न व्यक्तिगत कानून होते हैं जो हर व्यक्ति पर लागू होते हैं। पहले के समय में, शादी और डिवोर्स बहुत आसान थे। लोग बिना किसी औपचारिकता के आपसी सहमति से शादी कर सकते थे और उसी तरह बिना औपचारिकता के आपसी सहमति से अलग भी हो सकते थे।

म्यूच्यूअल डीवर्स क्या है?

म्यूचुअल डिवोर्स तब होता है जब दोनों पति-पत्नी अपनी शादी को खत्म करने पर सहमत हो जाते हैं और मिलकर सभी महत्वपूर्ण मुद्दों को सुलझाते हैं। इसका मतलब है कि वे मिलकर अपनी संपत्ति बाँटने, पैसे का हिसाब-किताब करने, और बच्चों की देखरेख और समर्थन पर समझौता करते हैं। यह प्रक्रिया आमतौर पर जल्दी पूरी हो जाती है और तनाव कम होता है। अगर आप भी जल्दी डिवोर्स लेना चाहते हैं, तो इसे समझना बहुत जरूरी है। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि म्यूचुअल डिवोर्स को सिर्फ एक महीने में कैसे पूरा किया जा सकता है। हम इस प्रक्रिया के हर कदम को आसान भाषा में समझाएंगे, ताकि आप जल्दी और आसानी से अपने डिवोर्स का निपटारा कर सकें।

म्यूचुअल डिवोर्स के कई फायदे होते हैं:

  • दोनों पति-पत्नी की सहमति से, यह प्रक्रिया जल्दी पूरी होती है और सही तैयारी के साथ आमतौर पर एक महीने में समाप्त हो सकती है।
  • कोर्ट की लंबी लड़ाई और अतिरिक्त कानूनी खर्चों की कमी से, यह तरीका सस्ता और आर्थिक रूप से फायदेमंद होता है।
  • मिलकर काम करने से प्रक्रिया सरल हो जाती है, जिससे डिवोर्स का निपटारा बिना झंझट और आसानी से किया जा सकता है।
इसे भी पढ़ें:  निंबूज़: एक नींबू पानी या फलों का रस।

भारत में म्यूचुअल डिवोर्स करने के लिए निम्नलिखित प्रावधानों का पालन करना होता है:

  • हिंदू लोग म्यूचुअल डिवोर्स के लिए 1955 के हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13B के तहत आवेदन कर सकते हैं।
  • मुस्लिम डिसॉलूशन  ऑफ़  मुस्लिम  मैरिज   एक्ट, 1939 के तहत म्यूचुअल डिवोर्स की मांग कर सकते हैं।
  • ईसाई लोग 1869 के इंडियन डिवोर्स एक्ट और 1872 के भारतीय क्रिश्चियन मैरिज एक्ट के तहत म्यूचुअल डिवोर्स ले सकते हैं।
  • पारसी लोग 1936 के पारसी मैरिज और डिवोर्स एक्ट की धारा 32B के तहत म्यूचुअल डिवोर्स प्राप्त कर सकते हैं।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

म्यूचुअल डिवोर्स के लिए कोर्ट से मंजूरी पाने के लिए पार्टी को कुछ शर्तों को पूरा करना होता है:

  • दोनों पार्टी कम से कम एक साल या उससे अधिक समय से अलग रह रहे हो।
  • दोनों के बीच अब सुलह की कोई संभावना नहीं है।
  • म्यूचुअल डिवोर्स के लिए याचिका दायर करने से पहले शादी का एक साल पूरा होना अनिवार्य है।

म्यूचुअल डिवोर्स फाइल करने की प्रक्रिया क्या है?

1.    फ़ैमिली कोर्ट में पेटिशन फाइल करना – सबसे पहले दोनों पक्षों को फ़ैमिली कोर्ट में आपसी सहमति से पेटिशन फाइल करनी होगी और उस पर साइन करने होंगे। इस पेटिशन में कुछ डाक्यूमेंट्स ज़र्रोरो होते है, जैसे की: – एड्रेस प्रूफ, आइडेंटिटी प्रूफ, दो पासपोर्ट साइज फोटो, शादी की चार फोटो, शादी का कार्ड, समझौता पत्र, अलग रहने का सबूत, शादी का सर्टिफिकेट।

2.    फर्स्ट मोशन ऑफ़ डाइवोर्स – दोनों पक्षों और उनके वकील कोर्ट में जाएंगे। फैमिली कोर्ट का जज पक्षों और सभी डाक्यूमेंट्स को देखेगा। कोर्ट दोनों के बीच की समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करेगा, लेकिन अगर इससे बात नहीं बनती, तो केस आगे बद जायेगा।

इसे भी पढ़ें:  सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: राज्य बार काउंसिल्स कानून स्नातकों के पंजीकरण के लिए अधिक शुल्क नहीं ले सकतीं

3.    कंसेंट फॉर्म – पेटिशन के कंटेंट्स देखने क बाद, कोर्ट दोनों पक्षों से शपथ पर कंसेंट फॉर्म दर्ज करने का आदेश दे सकती है। दोनों पक्ष अपने-अपने वकीलों के साथ इस कंसेंट फॉर्म पर साइन करेंगे, और इसके बाद फर्स्ट मोशन पारित किया जाएगा।

4.    सेकंड मोशन – फर्स्ट मोशन के बाद, दोनों पक्षों को दूसरी पेटिशन फाइल करने से पहले छह महीने का इंतजार करना होता है। सेकंड मोशन फाइल करने में ज्यादा से ज्यादा 18 महीने का समय मिलता है।

5.    फाइनल डिक्री – जब दोनों पक्ष यह तय कर लेते हैं कि वे प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे, तो वे अंतिम सुनवाई की प्रक्रिया शुरू करते हैं। इस दौरान, वे कोर्ट में आकर अपने कंसेंट फॉर्म दर्ज कराते हैं।

अगर कोर्ट यह सुनने के बाद संतुष्ट हो जाती है कि पेटिशन में दी गई जानकारी सही है और साथ रहने की कोई संभावना नहीं है, और अन्य मुद्दे जैसे कि भरण-पोषण, बच्चों की कस्टडी, संपत्ति का बंटवारा, और पेंडिंग केसेस सुलझाए जा चुके हैं, तो कोर्ट डिवोर्स डिक्री जारी कर सकती है। यह डिक्री शादी को खत्म कर देती है।

क्या म्यूच्यूअल डिवोर्स एक महीने में हो सकता है?

भारत में अब एक महीने में म्यूच्यूअल डिवोर्स लेना संभव है। सुप्रीम कोर्ट ने मानसी खत्री बनाम गौरव खत्री, 2023 के मामले में निर्णय लिया की ऐसी स्थितियों में कोर्ट तुरंत डिवोर्स दे सकती है जब शादी पूरी तरह से टूट चुकी हो और उसे ठीक करने की कोई सम्भावना न हो। कोर्ट संविधान की धारा 142 के तहत यह विशेष अधिकार प्रयोग कर सकती है। इसके अलावा, म्यूचुअल कंसेंट डिवोर्स के लिए आमतौर पर दिए जाने वाले वेटिंग पीरियड की अवधि को भी कुछ खास मामलों में हटा सकती है।

इसे भी पढ़ें:  नीट पीजी कि काउंसलिंग क्यों रुकी -बड़ा अपडेट।

कोर्ट कुछ खास परिस्थितियों में म्यूचुअल डिवोर्स एक महीने में दे सकती है:

  • जब एक कपल 18 महीने से ज्यादा समय से अलग रह रहे हों और सभी मुद्दों को सुलझा चुके हों।
  • दोनों के बीच साथ रहने की कोई संभावना नहीं है।
  • फर्स्ट और सेकंड मोशन के बीच कम से कम 7 दिनों का अंतर होना चाहिए।

इस तरह, म्यूचुअल डिवोर्स एक महीने में भी हो सकता है अगर दोनों पक्ष सभी शर्तें पूरी कर लें और सभी मुद्दों को सुलझा लें। सही जानकारी और सही प्रक्रिया से, आप जल्दी और आसानी से डिवोर्स प्राप्त कर सकते हैं। अपने मामले की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए वकील की सलाह लेना ज़रूरी है।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए आज ही लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

Social Media