यदि आपका साथी तलाक नहीं देना चाहता तो आप तलाक कैसे ले सकते हैं?

How can you get a divorce if your partner doesn't want to

भारत में तलाक की प्रक्रिया न केवल कानूनी बल्कि भावनात्मक दृष्टिकोण से भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है। यदि आपका साथी तलाक नहीं देना चाहता, तो यह स्थिति और भी जटिल हो जाती है। एकतरफा तलाक का कानूनी आधार क्या है, और ऐसे मामलों में कोर्ट  क्या निर्णय लेती है, यह समझना आवश्यक है। यह ब्लॉग उन लोगों के लिए है जो ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं और यह जानना चाहते हैं कि कानूनी रूप से वे तलाक कैसे प्राप्त कर सकते हैं।

तलाक के प्रकार

  • म्यूच्युअल कंसेंट तलाक (Mutual Divorce)
  • एकतरफा तलाक (Contested Divorce)

कानूनी दृष्टिकोण से, तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल करना एक तरीका हो सकता है। भारतीय कानून में तलाक की प्रक्रिया में कई पहलू होते हैं, जैसे म्यूच्युअल कंसेंट तलाक”(Mutual Divorce) (जहां दोनों पक्षों की सहमति से तलाक होता है) और “एकतरफा तलाक” (Contested Divorce) (जब एक पक्ष रिश्ते को खत्म करना चाहता है)। ऐसे में आपको एक वकील से कानूनी सलाह लेकर सही कदम उठाना चाहिए।

  • म्यूच्युअल कंसेंट-  से तलाक लेने में दोनों पक्ष आपसी सहमति से रिश्ते को खत्म करने का निर्णय लेते हैं, ताकि दोनों अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ सकें। यह निर्णय आमतौर पर समझदारी से लिया जाता है, जब दोनों ही यह महसूस करते हैं कि अब रिश्ते को आगे बढ़ाना मुमकिन नहीं है। 
  • एकतरफा तलाक- एकतरफा तलाक से तलाक लेने में दोनों पक्ष आपसी सहमति नहीं होती है, और एकतरफा तलाक  में एक पक्ष रिश्ते से दूरी बनाना चाहता है, जबकि दूसरा व्यक्ति रिश्ते को बनाए रखना चाहता है, तो यह स्थिति काफी जटिल हो सकती है, और इसलिए इसका फैसला फिर कोर्ट के दवारा तय किया जाता है।  

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तलाक लेने के कानूनी आधार क्या हैं?

भारत में तलाक के लिए विभिन्न कानूनी आधार होते हैं, जो व्यक्ति की धार्मिक पहचान पर आधारित होते हैं। मुख्य रूप से हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, और अन्य धर्मों में तलाक के नियम भिन्न होते हैं।

हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा-13 के तहत तलाक के कानूनी आधार:

  • क्रूरता (Cruelty) साबित करना: अगर एक साथी ने दूसरे के साथ शारीरिक या मानसिक शोषण किया हो, तो यह क्रूरता के अंतर्गत आता है। इसका प्रमाण गवाहों, मेडिकल रिपोर्ट्स, या लिखित शिकायतों से किया जा सकता है।
  • परित्याग (Desertion): यदि एक साथी बिना किसी कारण के दूसरे साथी को छोड़कर चला जाता है और वह कम से कम 2 साल तक वापस नहीं आता, तो इसे परित्याग माना जाता है।
  • व्यभिचार (Adultery): व्यभिचार का प्रमाण किसी गवाह, मोबाइल रिकॉर्ड, या अन्य साक्ष्यों के माध्यम से कोर्ट  में प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • मानसिक या शारीरिक अस्वस्थता (Incurable Illness): यदि किसी एक साथी को मानसिक या शारीरिक रोग है, जो इलाज से ठीक नहीं हो सकता और वह दूसरे साथी को परेशान कर रहा है, तो यह भी तलाक का आधार बन सकता है।

मुस्लिम, ईसाई और अन्य धर्मों के तहत तलाक के के कानूनी आधार:

  • मुस्लिम तलाक: शरिया कानून के अनुसार, मुस्लिम पुरुषों को तीन बार “तलाक” कहकर तलाक देने का अधिकार है, जबकि महिला को कोर्ट  से तलाक लेना पड़ता है। लेकिन अब इसे अगस्त 2017 में संविधान बेंच के बहुमत के फैसले से “अमान्य और शून्य” घोषित कर दिया गया है।
  • ईसाई तलाक: ईसाई विवाहों में तलाक केवल कोर्ट  के आदेश से हो सकता है, और इसके लिए विशेष कारणों की आवश्यकता होती है, जैसे कि व्यभिचार, क्रूरता, आदि।
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एकतरफा तलाक की प्रक्रिया

एकतरफा तलाक (Contested Divorce) क्या होता है?

एकतरफा तलाक तब होता है जब एक साथी तलाक लेने की इच्छा रखता है, लेकिन दूसरा साथी इसे मानने से इंकार करता है। इस स्थिति में कोर्ट  में केस दायर करना होता है, और कोर्ट  यह तय करती है कि क्या तलाक के कानूनी कारण सही हैं और क्या दोनों के बीच मेल-मिलाप संभव है। अगर कोर्ट  को पर्याप्त सबूत मिलते हैं, तो वह तलाक का आदेश देती है।

कोर्ट में एकतरफा तलाक का केस कैसे फाइल करें?

  • फैमिली कोर्ट में आवेदन: तलाक के लिए आपको फैमिली कोर्ट में आवेदन करना होगा।
  • तलाक के आधार पर केस की प्रस्तुति: आप जो भी आधार पर तलाक की मांग कर रहे हैं, उसे स्पष्ट रूप से कोर्ट में पेश करना होता है।
  • साक्ष्य और दस्तावेज़: तलाक के आधार को साबित करने के लिए आपको आवश्यक साक्ष्य और दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे।

आवश्यक कानूनी दस्तावेज़:

  • मैरिज सर्टिफिकेट
  • पहचान प्रमाण (जैसे आधार कार्ड)
  • बच्चों की कस्टडी संबंधी दस्तावेज़ (यदि लागू हो)
  • तलाक के आधार से संबंधित साक्ष्य (जैसे गवाह, मेडिकल रिपोर्ट)

एकतरफा तलाक की प्रक्रिया में कितना समय लगता है?

इस प्रक्रिया में औसतन 6 महीने से लेकर 3 साल तक का समय लग सकता है, विशेष रूप से यदि पक्षों के बीच कोई समझौता नहीं होता। यह सब कोर्ट  के काम के बोझ और केस की जटिलता पर निर्भर करता है। कानूनी प्रक्रिया और सुनवाई के कारण कभी-कभी देरी हो सकती है।

यदि आपका साथी तलाक की प्रक्रिया में बाधा डाल रहा हो तो क्या करें?

यदि आपका साथी जानबूझकर तलाक की प्रक्रिया में देरी कर रहा है या कोर्ट में उपस्थित नहीं हो रहा है, तो निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  • कानूनी नोटिस भेजें: पहले एक कानूनी नोटिस भेजकर साथी को तलाक की प्रक्रिया को लेकर सूचित करें।
  • कोर्ट में पुनः आवेदन करें: यदि साथी बार-बार उपस्थित नहीं हो रहा है, तो कोर्ट  से आदेश प्राप्त कर सकते हैं।
  • साक्ष्य प्रस्तुत करें: यदि साथी उपस्थित नहीं हो रहा है, तो आपको कोर्ट  में पर्याप्त साक्ष्य और गवाहों की मदद से अपनी स्थिति को साबित करना होगा।
  • कोर्ट  की अवमानना (Contempt of Court): यह तब होता है जब आपका साथी कोर्ट  के आदेशों का पालन नहीं करता या तलाक की प्रक्रिया का जवाब नहीं देता। ऐसे में कोर्ट  उसे जुर्माना लगा सकती है या अन्य कानूनी कार्रवाई कर सकती है।

तलाक के दौरान आर्थिक और कानूनी अधिकार

  • मेंटेनेंस: तलाक के बाद यदि महिला आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है, तो उसे मेंटेनेंस प्राप्त करने का अधिकार है। यह मेंटेनेंस पति के आय के आधार पर तय किया जाता है।
  • चाइल्ड कस्टडी: यदि तलाक के बाद चाइल्ड कस्टडी का मामला है, तो कोर्ट बच्चे की भलाई को ध्यान में रखते हुए फैसला करती है।
  • संपत्ति का बंटवारा: यदि आपका साथी सहयोग नहीं करता है, तो कोर्ट  संपत्ति का बंटवारा करती है। यह बंटवारा आपकी जीवनसाथी के योगदान और संपत्ति की स्थिति के आधार पर तय होता है।
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एकतरफा तलाक में क्या चुनौतियाँ आ सकती है?

  • कानूनी प्रक्रिया में देरी से बचने के लिए जरूरी है कि आप सभी दस्तावेज़ समय पर तैयार करें और वकील से नियमित सलाह लें।
  • झूठे आरोपों का सामना करने के लिए कोर्ट में प्रमाण और साक्ष्य प्रस्तुत करें। गवाहों और दस्तावेज़ों की मदद से अपने मामले को मजबूत करें।
  • भावनात्मक दबाव को सही तरीके से संभालने के लिए मानसिक और भावनात्मक समर्थन प्राप्त करें। एक अच्छा वकील आपके कानूनी अधिकारों को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकता है।

एकतरफा तलाक के मामलों में एक विशेषज्ञ वकील की महत्वपूर्ण भूमिका

  • एक विशेषज्ञ वकील जटिल तलाक कानून और प्रक्रिया को समझता है, जिससे आपका केस सही तरीके से संभाला जाता है।
  • वे आवश्यक कानूनी दस्तावेज़ को सही तरीके से तैयार और दाखिल करने में मदद करते हैं, जिससे देरी नहीं होती।
  • कुशल वकील अदालत में आपके मामले को अच्छी तरह से पेश करते हैं।
  • विवादित मामलों में वे समझौता करने में मदद करते हैं।
  • वकील आपके मेंटेनेंस, चाइल्ड कस्टडी और संपत्ति का बंटवारा जैसे कानूनी अधिकारों की रक्षा करते हैं।

एक प्रसिद्ध व्यक्ति जिनका नाम स्टीव  मारबोली है उन्होंने ने कहा – आपका जीवन आपका है, और किसी और की राय और फैसले को उस पर हावी नहीं होने देना चाहिए।

रोपा सोनी बनाम कमलनारायण सोनी (2023)

  • मामला और संदर्भ: यह मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील के रूप में आया था, जिसमें हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा 13 के तहत क्रूरता के आधार पर तलाक की मांग की गई थी।
  • सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने ‘क्रूरता’ की परिभाषा को लचीले तरीके से समझाया। कोर्ट ने कहा कि क्रूरता सिर्फ शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न तक सीमित नहीं है, बल्कि विवाह में लंबे समय से उत्पन्न हुई दूरी और अलगाव को भी क्रूरता के रूप में देखा जा सकता है।
  • मुख्य बिंदु और प्रभाव: कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि विवाह लंबे समय से टूट चुका है, दोनों पक्ष अलग-अलग जीवन जी रहे हैं, और मेल-मिलाप की कोई संभावना नहीं है, तो तलाक देना उचित और न्यायसंगत होगा। इससे यह स्पष्ट होता है कि कोर्ट अब व्यक्तिगत भावनाओं और सामाजिक वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेती है।

संवैधानिक वैधता

भारत के संविधान में हर नागरिक को मौलिक अधिकार प्राप्त हैं, जिनमें “स्वतंत्रता का अधिकार” (Article 21) और “सम्पत्ति का अधिकार(Article 19) शामिल हैं। इन अधिकारों के तहत, व्यक्ति को अपनी ज़िन्दगी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को संरक्षित करने का अधिकार है। संविधान के अनुसार, जब कोई व्यक्ति अपने जीवन में मानसिक या शारीरिक रूप से उत्पीड़न महसूस करता है, तो उसे अपनी ज़िन्दगी को बेहतर बनाने का अधिकार होता है।

  • एकतरफा तलाक का अधिकार इसी संविधानिक सुरक्षा का हिस्सा है। भारतीय संविधान में यह माना गया है कि जब दो व्यक्तियों के बीच संबंधों में ऐसा तनाव हो जाए कि एक व्यक्ति का जीना मुश्किल हो, तो उस रिश्ते को जबरदस्ती बनाए रखना गलत है। इस अधिकार के तहत, अगर एक व्यक्ति अपनी खुशी और स्वतंत्रता के लिए रिश्ते को खत्म करने का निर्णय लेता है, तो उसे इसका अधिकार है।
  • भारत में तलाक के लिए एकतरफा कानून की वैधता को न्यायालयों ने कई बार मान्यता दी है, खासकर जब दोनों पार्टनर में से एक का जीना असंभव हो जाता है या जब रिश्ते में हिंसा और उत्पीड़न की स्थितियाँ होती हैं।
  • इस प्रकार, एकतरफा तलाक का कानून व्यक्ति की मौलिक स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है और संविधान के तहत इसकी वैधता है।
  • हालांकि, इस कानून का दुरुपयोग भी हो सकता है, जब कुछ लोग अपने साथी को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के लिए तलाक नहीं देना चाहते। ऐसी स्थितियों में, यह जरूरी है कि सही कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाए और न्यायालय इस अधिकार का उपयोग उचित तरीके से करने का निर्देश दे।
  • इसलिए, एकतरफा तलाक का कानून संविधान के अंतर्गत, व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के उद्देश्य से बनाया गया है, ताकि किसी भी व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति के साथ जबरदस्ती रहने के लिए मजबूर न किया जा सके।
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निष्कर्ष

तलाक लेना कभी आसान नहीं होता, खासकर जब एक साथी शादी को खत्म करने के लिए तैयार नहीं होता। लेकिन कानून आमतौर पर आपको तलाक लेने की अनुमति देता है, भले ही आपका साथी विरोध करे। हर जगह के अपने नियम होते हैं, इसलिए एक कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लेना फायदेमंद होता है ताकि आप अपने क्षेत्र के विशेष नियमों को समझ सकें। तलाक के भावनात्मक और व्यावहारिक पहलू कठिन होते हैं, लेकिन सही कानूनी कदम उठाने से आप आगे बढ़ सकते हैं और अपने जीवन के नए अध्याय की शुरुआत के लिए तैयार हो सकते हैं।

याद रखें, जीवन में हर अंत एक नई शुरुआत का अवसर लाता है। आत्मविश्वास और सही निर्णय के साथ आप अपने जीवन के इस नए अध्याय को सकारात्मक रूप से शुरू कर सकते हैं।

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FAQs

1. एकतरफा तलाक क्या होता है और इसे कैसे लिया जा सकता है?

जब आप तलाक लेना चाहते हैं लेकिन आपका साथी नहीं चाहता, तब इसे एकतरफा तलाक कहा जाता है। इसके लिए आपको कोर्ट में केस दाखिल करना पड़ता है और तलाक के कानूनी कारणों को साबित करना होता है।

2. हिंदू मैरिज एक्ट के तहत तलाक के क्या कारण होते हैं?

तलाक के लिए क्रूरता, व्यभिचार, परित्याग और मानसिक बीमारी जैसे कारण होते हैं। इन में से किसी भी कारण को साबित करने के लिए आपको साक्ष्य देना होगा।

3. अगर मेरा साथी तलाक की प्रक्रिया में देरी कर रहा है तो मुझे क्या करना चाहिए?

सबसे पहले आप कानूनी नोटिस भेज सकते हैं। अगर फिर भी देरी हो रही है, तो कोर्ट में आवेदन करके आगे की कार्रवाई कर सकते हैं। अगर कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं होता, तो कोर्ट अवमानना की कार्रवाई कर सकती है।

4. एकतरफा तलाक में कितना समय लग सकता है?

यह समय 6 महीने से लेकर 3 साल तक लग सकता है, यह केस की जटिलता और कोर्ट के काम के बोझ पर निर्भर करता है।

5. तलाक के बाद मेरे कानूनी अधिकार क्या हैं?

तलाक के बाद आपको मेंटेनेंस, चाइल्ड कस्टडी, और संपत्ति के बंटवारे का अधिकार है। कोर्ट इन मामलों को आपकी स्थिति और जरूरतों के आधार पर तय करती है।

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