1954 में लागू हुए स्पेशल मैरिज एक्ट ने भारत में कोर्ट मैरिज को वैध/लीगल बना दिया है। इस एक्ट के तहत अगर कपल अलग धर्म, जाति, या संस्कृति से है तो भी वह एक दूसरे से शादी कर सकते है। इस एक्ट के तहत, एक व्यक्ति जो भारत से संबंधित नहीं है या भारत देश से बिलोंग नहीं करता है, वह भी एक भारतीय व्यक्ति से शादी कर सकता है। ऐसा इसीलिए क्योंकि शादी करने का यह प्रोसेस भारत में की जाने वाली शादी की रस्मों, पारंपरिक तरीकों से मुक्त है। कपल डायरेक्ट मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस में मैरिज सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई कर सकते है।
कोर्ट मैरिज करने के लिए जरूरी बातें:
- जो भी लोग शादी करना चाहते हैं, वह पहले से शादीशुदा नहीं होने चाहिए क्योंकि दूसरी शादी तभी मान्य/वैलिड होती है जब उनका डाइवोर्स हो चूका हो या उनके जीवनसाथी की मृत्यु हो गयी हो।
- दुल्हन की उम्र 18 साल और दूल्हे की उम्र 21 साल पूरी होनी चाहिए।
- दोनों पार्टनर्स का दिमागी रूप से पूरी तरह स्वस्थ होने चाहिए ताकि वह अपने जीवन और शादी को संभालने में सक्षम हों। हस्बैंड और वाइफ दोनों को भविष्य में बच्चा पैदा करने के लिए बायोलॉजिकल/जैविक रूप से फिट होना चाहिए।
- कपल का रिश्ता निषिद्ध संबंध/प्रोहिबिटिड रिलेशनशिप की डिक्री में नहीं आना चाहिए।
- दुल्हन और दुल्हन, दोनों पार्टनर्स को अपने जिले/डिस्ट्रिक्ट के मैरिज रजिस्ट्रार को अपनी शादी करने की इच्छा के बारे में पत्र/नोटिस द्वारा बताया जाना चाहिए। कपल में से किसी एक पार्टनर को, इस नोटिस को फाइल करने के दिन से लेकर एक महीने तक उसी डिस्ट्रिक्ट में रहना जरूरी है।
- इसके बाद, रजिस्ट्रार द्वारा इस नोटिस को पब्लिश/ प्रकाशित किया जाता है, ताकि अगर कपल के किसी फैमिली मेंबर या रिश्तेदार को कपल के शादी करने से परेशानी है तो वह अपनी आपत्ति जता सकें।
- शादी का नोटिस पब्लिश होने की तारीख से 30 दिनों बाद, अगर किसी व्यक्ति द्वारा कोई आपत्ति फाइल नहीं की जाती है, तो कपल की शादी कराई जा सकती है।
- शादी को मैरिज रजिस्ट्रार के ऑफिस में संपन्न किया जा सकता है।
- शादी का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए दोनों पार्टनर्स को शादी की तारीख पर कपल को तीन गवाहों के साथ पेश होना जरूरी है।
कोर्ट मैरिज करने के लिए जरूरी डाक्यूमेंट्स:
- शादी का एप्लीकेशन और फीस।
- दूल्हा और दुल्हन की पासपोर्ट साइज फोटो।
- दूल्हा और दुल्हन का आवासीय प्रमाण/रेसिडेंशियल सर्टिफिकेट।
- दूल्हा और दुल्हन का बिरत सर्टिफिकेट।
- सभी गवाहों का पैन कार्ड और आधार कार्ड।
- अगर दोनों में से किसी पार्टनर की पहले शादी हो चुकी है तो उन्हें अपने पहले जीवनसाथी का डेथ सर्टिफिकेट या डाइवोर्स डिक्री देनी जरूरी है।
साथ ही, अब शादी का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। इसे अब भारत में लगभग हर धर्म के लोगों के लिए अनिवार्य/जरूरी कर दिया गया है। इसके बावजूद लोगों को इसकी जानकारी नहीं है।
शादी रजिस्टर कराने का महत्व:
मैरिज सर्टिफिकेट, शादी को साबित करने वाला एक आधिकारिक/ऑफिसियल डॉक्यूमेंट होता है। अगर आप शादी के बाद नाम या सरनेम नहीं बदलना चाहते हैं, तो इस डॉक्यूमेंट द्वारा कपल को शादी से जुड़े सभी कानूनी अधिकार और बेनिफिट्स लेने में मदद मिलती है। संयुक्त/जॉइंट बैंक अकाउंट खुलवाने, जीवन बीमा पॉलिसी लेने के साथ-साथ बैंक से जुड़े सभी कामों का लाभ लेने में भी इसका बड़ा रोल होता है।
अगर कपल में से कोई पार्टनर सरकारी नौकरी करता हैं तो यह सर्टिफिकेट कई सुविधाएं देने में मददगार होता है। इसके अलावा, अगर कपल्स में से कोई एक धोखाधड़ी करता है तो इस सर्टिफिकेट की मदद से पुलिस स्टेशन में शिकायत की जा सकती है।
क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?
मैरिज सर्टिफिकेट सभी केसिस में काम आता है, चाहे डाइवोर्स के लिए अपील करनी हो या मेंटेनेंस का के करना हो। पासपोर्ट, वीज़ा प्राप्त करने जैसे सभी उद्देश्यों के लिए मैरिज सर्टिफिकेट की जरूरत होती है।
शादी को या तो हिंदू मैरिज एक्ट (1955) या स्पेशल मैरिज एक्ट (1954) के तहत रजिस्टर कराया जा सकता है। हिंदू मैरिज एक्ट केवल हिंदुओं पर लागू होता है, जबकि स्पेशल मैरिज एक्ट भारत के सभी नागरिकों पर लागू होता है।
मैरिज रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी डाक्यूमेंट्स:
- हस्बैंड और वाइफ का साइन किया एप्लीकेशन फॉर्म।
- हस्बैंड-वाइफ का आयु प्रमाण पत्र /एज प्रूफ।
- हस्बैंड और वाइफ का आवासीय प्रमाण/रेजिडेंशियल प्रूफ।
- अगर मंदिर में शादी हुई है तो शादी की तस्वीरें, निमंत्रण पत्र, पुजारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र।
- विदेशी व्यक्ति से शादी करने पर उनके देश की एम्बैसी द्वारा ‘नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट’।
- अगर लड़की शादी के बाद सरनेम बदलना चाहती है, तो हस्बैंड वाइफ द्वारा नॉन-जुडिशियल स्टाम्प पेपर के साथ एफिडेविट।
इन सभी डॉक्युमेंट्स पर गज़ेटेड अफसर ले साइन और मुहर लगा होना चाहिए।
मैरिज रजिस्ट्रशन के लिए जरूरी बातें:
- अपने एरिया के कलेक्टर या मैरिज रजिस्ट्रार ऑफिस में जाकर एप्लीकेशन फॉर्म प्राप्त करें।
- एप्लीकेशन फॉर्म को ध्यान से भरें। सभी बातों का सही उत्तर दें।
- अगर शादी के बाद नाम या सरनेम में कोई बदलाव हो तो एप्लीकेशन फॉर्म में नया नाम लिखें और नाम बदलने का प्रूफ भी अटैच करें।
- इस फॉर्म पर तीन गवाहों के साइन करवाएं, जो आपके दोस्त, रिश्तेदार या कोई अन्य हो सकते हैं। फॉर्म में गवाहों की डिटेल्स भी भरना जरूरी है। जैसे की आपका उनसे क्या रिश्ता है, वो कौन हैं, कहां रहते हैं, क्या करते हैं, आदि? उनका पूरा पता/एड्रेस और फोन नंबर होना भी जरूरी है।
- सभी डाक्यूमेंट्स को रजिस्ट्रेशन ऑफिस में जमा करना होगा। वहां सभी डाक्यूमेंट्स की वेरिफिक्शन की जाएगी। साइन करने के बाद उन पर रजिस्ट्रेशन ऑफिस की मुहर लगेगी और फोटो कॉपीज़ रखी जाएँगी।
शादी का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन:
अब कई राज्यों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा भी शुरू हो गई है। इसके लिए हिंदू मैरिज रजिस्ट्रेशन सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। इस एप्लीकेशन को डिपार्टमेंटल वेबसाइट पर जाकर डाउनलोड किया जा सकता है। सभी जरूरी डाक्यूमेंट्स को स्कैन करके एप्लीकेशन फॉर्म के साथ अटैच किया जा सकता है। धीरे-धीरे यह प्रोसेस कई जगहों पर लागू की जा रही है। इससे घर बैठे व्यक्ति शादी के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकता है।
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