शादी के कितने समय बाद तलाक लिया जा सकता है? जानें पूरी कानूनी प्रक्रिया

How long after marriage can a divorce be taken Know the entire legal process

भारत में विवाह केवल एक सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि यह एक कानूनी अनुबंध भी है। यह एक ऐसी संस्था है, जो पति-पत्नी के बीच कई अधिकारों और जिम्मेदारियों का निर्धारण करती है। 

जब यह संबंध बिगड़ते हैं और एक साथ रहना संभव नहीं होता, तो तलाक एक कानूनी उपाय बन जाता है। लेकिन, क्या शादी के कुछ ही महीनों बाद तलाक लिया जा सकता है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें भारत के कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करनी होगी।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि भारत में तलाक के लिए कानूनी प्रक्रिया क्या है, शादी के कितने समय बाद तलाक लिया जा सकता है, और तलाक के विभिन्न आधार क्या हैं। साथ ही, हम सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के माध्यम से यह समझेंगे कि किस प्रकार के मामलों में जल्दी तलाक मिल सकता है।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

भारत में तलाक के प्रकार

भारत में तलाक के दो प्रमुख प्रकार हैं:

आपसी सहमति से तलाक (Mutual Consent Divorce)

यह तलाक हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13B के अंतर्गत आता है। इसमें पति-पत्नी दोनों एक साथ मिलकर तलाक का निर्णय लेते हैं। आपसी सहमति से तलाक के लिए निम्नलिखित शर्तें होती हैं:

  • समय सीमा: दोनों को कम से कम 1 साल तक एक-दूसरे से अलग रहना आवश्यक होता है।
  • सहमत होना: दोनों पक्षों को एक-दूसरे से सहमति से तलाक लेना होता है।

आपसी सहमति से तलाक में एक मुख्य बिंदु यह है कि यह तलाक आमतौर पर पारिवारिक न्यायालय में दाखिल किया जाता है और इसमें एक cooling-off period होता है, जो 6 महीने का होता है। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में cooling-off period को समाप्त किया है यदि दोनों पक्षों ने तलाक के निर्णय पर मजबूत सहमति व्यक्त की हो।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में कुलदीप सिंह बनाम पंजाब राज्य मामले में यह स्पष्ट किया था कि यदि दोनों पक्ष तलाक के लिए सहमत हैं और कोई विवाद नहीं है, तो cooling-off period को समाप्त किया जा सकता है। अदालत ने यह माना कि अगर तलाक के लिए दोनों पक्षों की सहमति पक्की है, तो cooling-off period में समय बर्बाद करने की आवश्यकता नहीं है।

इसे भी पढ़ें:  पत्नी के घर छोड़ने पर शादी को कैसे सुरक्षित रखें?

एकतरफा या विवादित तलाक (Contested Divorce)

यह तलाक हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13(1) के अंतर्गत आता है। इसमें केवल एक पक्ष तलाक चाहता है और उसे न्यायालय में वैध कारण साबित करने होते हैं। एकतरफा तलाक के लिए कानूनी आधार निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • मानसिक/शारीरिक क्रूरता
  • व्यभिचार (Adultery)
  • धर्म परिवर्तन
  • परित्याग (Desertion)
  • मानसिक विकृति या गंभीर बीमारी

यदि कोई पक्ष एकतरफा तलाक चाहता है, तो उसे अदालत में यह साबित करना होता है कि शादी में लगातार परेशानी हो रही है, और एक साथ रहना अब संभव नहीं है। एकतरफा तलाक की प्रक्रिया लंबी हो सकती है, क्योंकि अदालत दोनों पक्षों की सुनवाई करती है और मामले की गंभीरता के आधार पर निर्णय लेती है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में कृष्णा बनाम कृष्णा मामले में यह निर्णय दिया कि यदि एक पक्ष तलाक चाहता है और यह साबित करता है कि विवाह में मानसिक क्रूरता हो रही है, तो उसे तलाक दिया जा सकता है। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसी परिस्थितियों में cooling-off period की आवश्यकता नहीं होती है।

शादी के कितने समय बाद तलाक लिया जा सकता है?

आपसी सहमति से तलाक

आपसी सहमति से तलाक लेने के लिए आपको कम से कम एक साल का वैवाहिक जीवन पूरा होना चाहिए और उसके बाद 6 महीने का कूलिंग ऑफ़ पीरियड पूरा होना चाहिए इसके बाद तलाक के लिए अप्लाई करना चाहिए और 6  महीने के अंदर तलाक ले सकते है। लेकिन अगर साथ में  रहना ही मुश्किल हो गया हो तो कलिंग ऑफ़ पीरियड को वेव ऑफ, यानि खत्म कराया जा सकता है।  

यदि दोनों पक्ष तलाक पर सहमत होते हैं, तो उन्हें पारिवारिक न्यायालय में तलाक की याचिका दाखिल करनी होगी। हालांकि, यदि किसी के साथ घरेलू हिंसा, शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न हुआ हो, तो एक साल का लम्बा इन्तज़ार किए बिना कोर्ट में शादी को ख़ारिज करने की याचिका दाखिल कर सकते है। 

इसे भी पढ़ें:  वर्किंग वाइफ क्या डाइवोर्स के बाद मेंटेनेंस पाने की हकदार है?

विशेष परिस्थिति: यदि किसी कारणवश एक साल के अंदर तलाक की याचिका दी जाती है, तो उस मामले में न्यायालय से विशेष अनुमति (Leave of the Court) प्राप्त करनी होती है। जैसे, शारीरिक/मानसिक उत्पीड़न के मामले में इस समय सीमा को पार किया जा सकता है।

एकतरफा तलाक

एक तरफा तलाक लेने के लिए आपको कम से कम एक साल का वैवाहिक जीवन पूरा होना चाहिए और उसके बाद 6 महीने का कूलिंग ऑफ़ पीरियड पूरा होना चाहिए, इसके बाद तलाक के लिए अप्लाई करना चाहिए।  एक तरफा तलाक में समय लगता है क्योकि एक साथी की हां होती है तो  वही दसूरे साथी की ना  होती है, इसलिए इसमें  समय और पैसा ज्यादा लगता है 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला: सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में राजीव कुमार बनाम भारत सरकार मामले में यह निर्णय दिया कि यदि किसी एक पक्ष को मानसिक क्रूरता या शारीरिक उत्पीड़न हुआ हो, तो उसे तलाक के लिए याचिका दाखिल करने का अधिकार है, और इस दौरान 1 साल के समय सीमा का पालन करना अनिवार्य नहीं है।

तलाक की प्रक्रिया

तलाक की प्रक्रिया में कई कदम होते हैं, जो आपको समझने चाहिए:

  • वकील की सलाह लें: पहले आपको एक अच्छे वकील से सलाह लेनी चाहिए, ताकि आपकी स्थिति का सही विश्लेषण किया जा सके और सही कानूनी कदम उठाए जा सकें।
  • तलाक की याचिका दायर करें: तलाक की याचिका पारिवारिक न्यायालय में दायर की जाती है, चाहे वह आपसी सहमति से हो या विवादित हो।
  • सुनवाई और काउंसलिंग: न्यायालय दोनों पक्षों की सुनवाई करता है और दोनों को काउंसलिंग की प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है।
  • Cooling-off Period: यदि तलाक आपसी सहमति से है, तो न्यायालय में 6 महीने का cooling-off period दिया जाता है, जिसमें दोनों पक्षों को फिर से सोचने का समय मिलता है।
  • अंतिम सुनवाई और तलाक का आदेश: यदि दोनों पक्ष तलाक पर सहमत हैं और कोई विवाद नहीं है, तो न्यायालय अंतिम सुनवाई कर के तलाक का आदेश जारी करता है।
इसे भी पढ़ें:  मर्डर साबित करने के लिए मर्डर वेपन बरामद होना जरूरी नहीं

जरूरी दस्तावेज

तलाक की प्रक्रिया में कुछ आवश्यक दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, जो निम्नलिखित हैं:

  • शादी का प्रमाण पत्र
  • पति-पत्नी के आधार कार्ड/ID प्रूफ
  • एड्रेस प्रूफ
  • अलग रहने के प्रमाण (जैसे किराया रसीद, बिजली बिल)
  • बैंक स्टेटमेंट, आय प्रमाणपत्र
  • यदि बच्चे हैं, तो उनके जन्म प्रमाणपत्र

निष्कर्ष

तलाक एक मानसिक और कानूनी प्रक्रिया है, जो किसी भी विवाह में अंतिम उपाय के रूप में आता है। शादी चाहे नई हो या पुरानी, यदि उसमें रहने का कोई औचित्य नहीं बचा और मनमुटाव लगातार बढ़ रहा हो, तो तलाक एक कानूनी और मानसिक राहत देने वाला विकल्प हो सकता है। इसके लिए कानूनी प्रक्रिया, समयसीमा, और आपके अधिकारों को समझना बेहद आवश्यक है।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs 

1. क्या शादी के 6 महीने बाद तलाक लिया जा सकता है?

नहीं, आपसी सहमति से तलाक के लिए कम से कम 1 साल का समय आवश्यक है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में एकतरफा तलाक के लिए याचिका दायर की जा सकती है।

2. क्या कोर्ट एक साल से पहले तलाक मंजूर कर सकती है?

हां, यदि किसी पक्ष को मानसिक/शारीरिक उत्पीड़न हुआ हो और वह इसे साबित कर सके, तो कोर्ट विशेष अनुमति दे सकता है।

3. तलाक में कितना समय लगता है?

आपसी सहमति से तलाक में 6 महीने से 1 साल का समय लग सकता है, जबकि एकतरफा तलाक में 1-2 साल या अधिक समय लग सकता है।

4. तलाक के दौरान खर्च कौन उठाता है?

यदि पत्नी आयहीन है, तो वह भरण-पोषण (maintenance) की मांग कर सकती है, और कोर्ट पति को खर्च देने का आदेश दे सकता है।

Social Media