पिता की मृत्यु के बाद बेटियों को प्रॉपर्टी में कितना अधिकार मिलेगा?

पिता की मृत्यु के बाद बेटियों को प्रॉपर्टी में कितना अधिकार मिलेगा?

भारतीय कानून के अनुसार, पिता की मृत्यु के बाद उसकी वसीयत में उनकी बेटी को अधिकार मिलता है। पुत्री के अधिकारों को वसीयत के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है। यह प्राथमिकता धार्मिक और व्यवहारिक परंपराओं के आधार पर थी, लेकिन अब कुछ न्यायाधीशीय निर्णयों ने इसे परिवर्तित किया है।

2015 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में यह तय किया कि पुत्री को भी प्रोपर्टी में बराबर अधिकार मिलने चाहिए, जैसा कि पुत्र को मिलता है। इस फैसले के बाद, अब पुत्री को वसीयत में समान अधिकार प्राप्त हो सकते हैं जैसे कि पुत्र को होते हैं।

हालांकि, इसके बावजूद, धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं इस मामले में अपना महत्व रखती हैं और परिवार की स्थिति पर निर्भर करती हैं। यह प्रत्येक परिवार के लिए अलग-अलग हो सकता है।

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इसलिए, अगर आपको विस्तृत और सटीक जानकारी चाहिए, तो आपको स्थानीय कानूनी विशेषज्ञ से संपर्क करना सुझावित है। वे आपको विवरणित और संप्रेष्णीय सलाह प्रदान कर सकते हैं जो आपकी विशेष परिस्थितियों के आधार पर आपको सहायता करेगी।

क्या दहेज़ पिता की संपत्ति का हिस्सा है?

भारतीय कानून में, दहेज पिता की संपत्ति का हिस्सा नहीं है। दहेज विवाह के एक प्रथा है जिसमें विवाह के समय दौलत और संपत्ति की मांग की जाती है। यह विवाह या वैवाहिक आयोग के द्वारा अवैध और निर्मूल्य ठहराया गया है।

भारतीय कानून में, पिता की संपत्ति बेटी को उनके विवाह के समय या पिता की मृत्यु के बाद वारिस के रूप में मिल सकती है। यह संपत्ति के अधिकार के रूप में बेटी को बांटने के लिए पिता की वसीयत, संपत्ति वितरण, या वारसत के नियमों के अनुसार हो सकता है।

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इसलिए, दहेज पिता की संपत्ति का हिस्सा नहीं होता है। बेटी को संपत्ति के अधिकार के लिए उपयुक्त कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से जाना जाता है।

क्या वसीयत के समय दहेज़ का खर्च जोड़ा जायेगा

भारतीय कानून में, वसीयत के समय दहेज का खर्च जोड़ना नहीं सुनिश्चित किया जाता है। दहेज का खर्च परंपरागत रूप से विवाह के समय दौलत और संपत्ति की मांग को संकेत करता है, जो कानून द्वारा अवैध और निर्मूल्य ठहराया गया है। वसीयत के दौरान, दहेज के खर्च को संपत्ति वितरण या वारसत के माध्यम से बांटने के लिए संपत्ति वितरण नियमों के अनुसार विचार किया जा सकता है।

वसीयत एक व्यक्ति के इच्छानुसार संपत्ति का वितरण करने का एक उपाय होता है। यदि कोई व्यक्ति अपनी वसीयत में दहेज के खर्च को संपत्ति का भाग मानना चाहता है, तो उसे अपनी वसीयत में व्यक्त करना होगा। लेकिन, इस प्रक्रिया में कुछ कानूनी परिबंधन भी हो सकते हैं जैसे कि उस राज्य के कानून जहां वसीयत बनाई जा रही है।

यदि वसीयत में दहेज के खर्च के बारे में कोई विशेष उल्लेख नहीं है, तो वसीयत के अनुसार संपत्ति का वितरण किया जाता है और दहेज का खर्च नहीं जोड़ा जाता है।

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