नाम या उपनाम बदलने की पूरी कानूनी प्रक्रिया? स्टेप-बाय-स्टेप गाइड

Complete legal process of changing name or surname Step-by-step guide

क्या आपने कभी सोचा है कि आप अपना नाम या सरनेम कानूनी रूप से बदल सकते हैं? चाहे वह विवाह के बाद पत्नी का उपनाम बदलना हो, धर्म परिवर्तन के बाद नया नाम अपनाना हो, या फिर केवल व्यक्तिगत पसंद के कारण — भारतीय कानून इस प्रक्रिया को मान्यता देता है, बशर्ते तय प्रक्रिया का पालन किया जाए।

भारत का संविधान हर नागरिक को अपनी पहचान बदलने का अधिकार देता है, और यह पहचान का हिस्सा है — नाम।

नाम केवल शब्द नहीं होता, बल्कि हमारी कानूनी और सामाजिक पहचान का मूल आधार होता है।

नाम या उपनाम क्यों बदला जाता है?

नाम बदलने के पीछे कई कानूनी और व्यक्तिगत कारण हो सकते हैं:

  • विवाह के बाद उपनाम में बदलाव (विशेषकर महिलाएं)
  • तलाक के बाद पुराने उपनाम को पुनः अपनाना
  • धर्म परिवर्तन (conversion) के बाद नया नाम रखना
  • किसी नाम में अशुद्धि या त्रुटि
  • अंक ज्योतिष या धार्मिक कारणों से नाम बदलना
  • गोद लेने (adoption) की स्थिति में नाम परिवर्तन

सुप्रीम कोर्ट ने केस ‘Bijoe Emmanuel vs State of Kerala’ (1986) में माना था कि व्यक्ति को अपनी पहचान (name, faith, expression) चुनने की स्वतंत्रता मौलिक अधिकारों का हिस्सा है।

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भारत में नाम बदलने की कानूनी प्रक्रिया (Step-by-Step Guide)

नाम बदलने की पूरी प्रक्रिया तीन मुख्य चरणों में पूरी होती है:

चरण 1: शपथ पत्र (Affidavit) तैयार करना

सबसे पहला और अनिवार्य कदम है एक वैध शपथ पत्र बनवाना।

महत्वपूर्ण बातें जो शामिल होनी चाहिए:

  • आपका मौजूदा (पुराना) नाम
  • नया नाम जिसे अपनाना है
  • नाम बदलने का कारण (विवाह, धर्म परिवर्तन आदि)
  • जन्मतिथि, स्थायी पता, राष्ट्रीयता
  • यह शपथ कि दी गई जानकारी सत्य और प्रमाणिक है
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शपथ पत्र ₹10 या ₹20 के नॉन-ज्यूडिशियल स्टाम्प पेपर पर तैयार कर Notary Public से सत्यापित कराना अनिवार्य है।

चरण 2: समाचार पत्रों में सार्वजनिक सूचना देना

शपथ पत्र के बाद, दूसरा कदम है दो अखबारों में नाम परिवर्तन का विज्ञापन देना — एक स्थानीय भाषा में और दूसरा अंग्रेज़ी में।

विज्ञापन में शामिल होनी चाहिए:

  • पुराना नाम और नया नाम
  • पता
  • कारण
  • तारीख

यह प्रक्रिया इसलिए आवश्यक है ताकि कोई तीसरा पक्ष यदि इस नाम परिवर्तन का विरोध करना चाहे, तो कर सके। यह कानूनी पारदर्शिता का प्रतीक है।

चरण 3: गजट में नाम प्रकाशित कराना (Gazette Notification)

यह सबसे महत्वपूर्ण और अंतिम चरण है, जो आपके नाम परिवर्तन को कानूनी मान्यता दिलाता है।

आप इसे दो प्रकार के गजट में करा सकते हैं:
  • राज्य गजट (कुछ राज्यों में)
  • भारत का केंद्रीय राजपत्र (The Gazette of India) — अधिकृत और मान्यतम दस्तावेज़

The Change of Name Rules, 1995 के अनुसार, केंद्र सरकार के प्रेस में नाम बदलवाने के लिए आवेदन देना होता है।

गजट पब्लिकेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज़:
  • शपथ पत्र की सत्यापित कॉपी
  • दोनों अखबारों की विज्ञापन कटिंग्स (2 प्रति)
  • पासपोर्ट साइज फोटो (2–4)
  • पहचान पत्र (आधार, पैन)
  • आवेदन पत्र (To The Controller of Publications)
  • ₹1100–₹1500 की शुल्क रसीद (डिमांड ड्राफ्ट या NEFT)
  • CD या Soft Copy (कुछ मामलों में Word Format में)

गजट आवेदन भेजने का पता:- The Controller of Publications, Department of Publication, Civil Lines, Delhi-110054

गजट के बाद दस्तावेज़ों में नाम अपडेट कैसे करें?

गजट में नाम प्रकाशित होते ही आप अपने सभी जरूरी दस्तावेज़ों में नाम बदलवा सकते हैं:

  • आधार कार्ड: UIDAI पोर्टल या आधार सेवा केंद्र से
  • पैन कार्ड: NSDL या UTIITSL के माध्यम से
  • पासपोर्ट: पासपोर्ट सेवा पोर्टल पर आवेदन
  • ड्राइविंग लाइसेंस: राज्य परिवहन कार्यालय में आवेदन
  • बैंक अकाउंट: संबंधित बैंक शाखा में अनुरोध
  • शैक्षिक प्रमाणपत्र: स्कूल/कॉलेज में आवेदन देकर
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नाम बदलवाने में लगने वाला समय

प्रक्रियाअनुमानित समय
शपथ पत्र तैयार करना1 दिन
अखबार में विज्ञापन2–3 दिन
गजट पब्लिकेशन15–45 दिन (राज्य पर निर्भर)
दस्तावेज़ों में नाम अपडेट7–30 दिन

महत्वपूर्ण सुप्रीम कोर्ट केस और उद्धरण

जगन नाथ बनाम भारत संघ (AIR 1961 SC 769):

किसी नागरिक का नाम उसकी अस्मिता और पहचान का मूल आधार होता है, और उसे इसे रखने, अपनाने या बदलने का पूर्ण कानूनी अधिकार प्राप्त है।

जस्टिस के.एस. पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ (2017):

निजता के अधिकार (Right to Privacy) के अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति को अपनी पहचान स्वयं तय करने, उसे व्यक्त करने और आवश्यक होने पर उसे बदलने का भी संवैधानिक अधिकार प्राप्त है।

बिजॉय इम्मानुएल बनाम केरल राज्य (1986):

हर व्यक्ति को केवल विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ही नहीं, बल्कि अपनी व्यक्तिगत और मौलिक पहचान निर्मित करने की भी स्वतंत्रता संविधान द्वारा प्राप्त है।

सावधानियां जो नाम बदलते समय रखनी चाहिए

  • सभी दस्तावेज़ों में एक जैसे नाम और वर्तनी (spelling) सुनिश्चित करें
  • अखबार की कटिंग्स और गजट की कॉपी हमेशा सुरक्षित रखें
  • नाम बदलने के बाद सभी संस्थानों को अपडेट देना जरूरी है
  • बच्चों या नाबालिगों का नाम बदलते समय माता-पिता की अनुमति आवश्यक होती है

निष्कर्ष

नाम या उपनाम बदलना केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक संवैधानिक अधिकार है। भारत में इसे कानूनी मान्यता देने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रक्रिया बनाई गई है। शपथ पत्र से लेकर गजट पब्लिकेशन तक का हर चरण आपकी पहचान का आधार बनता है। यदि सही तरीके से यह प्रक्रिया पूरी की जाए, तो कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान में बदलाव कर सकता है — पूरी तरह कानूनी तरीके से।

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FAQs

Q1. क्या नाम बदलने के लिए कोर्ट जाना जरूरी है?

नहीं, जब तक नाम बदलने की प्रक्रिया निर्धारित नियमों के अनुसार पूरी की जाती है, कोर्ट की आवश्यकता नहीं होती।

Q2. क्या शादी के बाद नाम बदलना अनिवार्य है?

नहीं, यह पूर्णतः वैकल्पिक है। महिला चाहें तो विवाह के बाद अपना उपनाम न बदलें।

Q3. क्या बच्चों का नाम बदला जा सकता है?

हाँ, माता-पिता की सहमति से बच्चों का नाम कानूनी प्रक्रिया के तहत बदला जा सकता है।

Q4. क्या पासपोर्ट में नाम बदलने के लिए गजट पब्लिकेशन जरूरी है?

हाँ, पासपोर्ट अथॉरिटी द्वारा गजट पब्लिकेशन की प्रति अनिवार्य रूप से मांगी जाती है।

Q5. क्या बैंक अकाउंट में नाम अपडेट करने के लिए गजट की कॉपी मान्य है?

हाँ, बैंक में नाम बदलने के लिए शपथ पत्र, गजट नोटिफिकेशन और KYC दस्तावेज़ आवश्यक होते हैं।

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