जानिये क्या हैं फेक न्यूज से जुड़े कानून

Fake News Laws

जैसे-जैसे सोशल मीडिया का चलन बढ़ा है वैसे-वैसे फेक न्यूज़ का भी काफी चलन बढ़ा है। फेक न्यूज़ के कारण 2018 में मॉब लिंचिंग की अनेक घटनाएँ हुईं। अब तो इतनी मुश्किल हो गयी है की ये पहचानना मुश्किल है की फेक न्यूज़ कौन सी है और असली न्यूज़ कौन सी है। भारत में फेक न्यूज़ को रोकने के लिए कोइ कानून नहीं है। जिसकी वजह से  इस पर लगाम लगाना मुश्किल होता है। लेकिन फिर भी फेक न्यूज़ से जुड़े कुछ नियम और कानून हैं जिन्हें डिजिटल मीडिया होने के नाते आपके लिए जानना जरूरी है।

फेक न्यूज़ सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000 के अन्दर आता है। समय समय पर इसमे काफी संशोधन हुए। 5 फरवरी 2009  हुए संशोधन में आईटी एक्ट की धारा 2 उपखंड (एच) में (एचए) को जोड़ा गया। जिसमे सूचना के माध्यमों की व्याख्या की गयी। इसके बाद आया आईटी एक्ट 2020 और फ़ाइनली डिजिटल न्यूज़ से जुड़े नियम वाला न्यू आईटी रूल 2021। जिसमे डिजिटल न्योज़ चैनल और ओटीटी प्लेत्फोर्म्स के लिए नए नियम काय्गे लागू किये गए।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

आइये समझते हैं नियम

किसी भी न्यूज़ में यदि यह पाया जाता है कि वो कंटेंट नकली है या खराब है तो उसे  तुरंत प्रभाव से हटाने का आदेश दिया जा सकता है। और प्रकाशक को ऐसी सामग्री को हर हाल में हटाना अनिवार्य होता है।

जैसा कि पहले भी बताया कि भारत में  फेक न्यूज़  पर लगाम लगाने के लिए कोइ अलग से कानून नहीं है लेकिन कुछ संस्थाए हैं जहाँ फेक न्यूज़ की शिकायत की जा सकती है।

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प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया: एक ऐसी ही नियामक संस्था है जो समाचार पत्र, समाचार एजेंसी और उनके संपादकों को उस स्थिति में चेतावनी दे सकती है यदि यह पाया जाता है कि उन्होंने पत्रकारिता के सिद्धांतों का उल्लंघन किया है।

न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन: इस एसोसिएशन में प्राइवेट टेलीविजन समाचार और करेंट अफेयर्स के से जुड़े चैनल और मीडिया हाउस के प्रतिनिधि होते हैं जो खबरों के विरूद्ध आने वाली शिकायतों की जांच करता है।

ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट काउंसिल: ये संस्था टीवी ब्रॉडकास्टरों के खिलाफ आपत्तिजनक टीवी कंटेंट और फर्ज़ी खबरों की शिकायत को देखती है और उनकी जाँच करती है।

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