इंटर रिलीजन मैरिज आसानी से कैसे करें?

इंटर रिलीजन मैरिज आसानी से कैसे करें?

इंटर रिलीजन मैरिज तब होती है जब दो अलग अलग धर्म के लोग शादी कर लेते है। इस तरह की शादी में दोनों को एक-दूसरे के धर्म को समझना और मानना होता है। कभी-कभी उन्हें अपने-अपने धर्म की परंपराओं को निभाने के लिए समझौते करने पड़ सकते हैं ताकि दोनों खुश रह सकें।

भारत में सिर्फ 2% शादियाँ इंटर रिलीजन होती हैं। 2021 की रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदुओं के 99%, मुसलमानों के 98%, सिखों और बौद्धों के 97%, और ईसाइयों के 95% लोग अपनी ही धर्म के लोगो के साथ शादी करते हैं।

इंटर रिलीजन मैरिज का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ

भारत में, अलग-अलग धर्मों के लोग जब शादी करते हैं, तो यह एक खास मामला होता है। पहले के समय में, ऐसी शादियाँ कम होती थीं और कई लोग इसे पसंद नहीं करते थे क्योंकि उन्हें अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने की चिंता होती थी। ब्रिटिश राज के समय, 19वीं सदी में स्पेशल मैरिज एक्ट बनाया गया था, जिसे 1954 में सुधारा गया, जो सभी धर्म के लोगों को एक-दूसरे से शादी करने की अनुमति देता है। इसमें हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध, जैन, सिख, ईसाई, पारसी, और यहूदी शामिल हैं। यह कानून सभी धर्म के बीच हुई शादी को सुविधाजनक बनाता है।

हालांकि कानून तो है, लेकिन समाज में अब भी कई लोग इसे आसानी से स्वीकार नहीं करते, खासकर गांव के लोग। लेकिन शहरों में, लोग आमतौर पर ऐसी शादियों को ज्यादा खुले दिल से स्वीकार करते हैं। इन शादियों में लोग अपने परिवार की उम्मीदों और समाज के दबावों से जूझते हैं और दोनों धर्मों की परंपराओं को मिलाकर एक नई परंपरा बनाते हैं।

इंटर रिलिजन  मैरिज के प्रोसेस 

स्टेप 1 – शादी की सूचना देना

स्टेप 2 – सूचना का पब्लिकेशन करवाना

स्टेप 3 – शादी पर विरोध करना

स्टेप 4 – विरोध को मानना

स्टेप 5 – शादी करना

स्टेप 6 – शादी का सर्टिफिकेट 

  • अगर आप इंटर रिलीजन शादी करना चाहते हैं, तो आपको पहले उस जिले के मैरिज ऑफिसर  को शादी की सूचना लिखित में देनी होगी, जहाँ आप या आपका पार्टनर  कम से कम 30 दिनों से रह रहे हैं। इसके साथ कुछ दस्तावेज़ भी देने होंगे, जैसे कि साइनड मैरिज एप्लीकेशन फॉर्म, उम्र का प्रमाण (जैसे जन्म प्रमाण पत्र या पासपोर्ट), पता का प्रमाण (जैसे राशन कार्ड या वोटर आईडी), और एक फोटो पहचान पत्र (जैसे पैन कार्ड)। दोनो पार्टी की पासपोर्ट साइज की फोटो भी जरूरी होती है। शादी नोटिस देने के तीन महीने के भीतर होनी चाहिए, वरना नोटिस की वैधता समाप्त हो जाएगी और आपको नया नोटिस देना पड़ेगा।
  • मैरिज ऑफिसर आपकी सूचना अपने रिकॉर्ड में रखेगा और उसे अपने ऑफिस में एक बोर्ड  पर लगाकर रखेगा, जिसे कोई भी देख सकता है। अगर आप उस जिले के स्थायी निवासी नहीं हैं, तो यह सूचना आपके घर के जिले के मैरिज ऑफिसर को भेजी जाएगी, वह भी उसे अपनी ऑफिस में एक बोर्ड  पर लगाएगा।
  • जब मैरिज ऑफिसर शादी की सूचना पब्लिश कर देते हैं, तो कोई भी व्यक्ति उस शादी पर विरोध कर सकता है अगर यह स्पेशल मैरिज एक्ट की शर्तों का उल्लंघन करती है। विरोध नोटिस पब्लिश होने के तीस दिन के अंदर करनी होगी।
  • अगर मैरिज ऑफिसर विरोध को मान लेते हैं और शादी करने से मना कर देते हैं, तो आप संबंधित जिला कोर्ट में अपील कर सकते हैं। अपील ऑफिसर के मना करने के तीस दिनों के भीतर करनी होगी। कोर्ट का फैसला अंतिम होगा, और अगर शादी तीन महीने में नहीं हुई, तो नोटिस अवैध हो जाएगा और नया नोटिस देना पड़ेगा।
  • शादी से पहले, आपको, आपके पार्टनर, और तीन गवाहों को मैरिज ऑफिसर के सामने एक घोषणा पत्र पर साइन करने होंगे। अधिकारी भी इस पर साइन करेंगे। आप मैरिज ऑफिसर के ऑफिस में या उसके पास किसी अन्य जगह पर भी कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए एडिशनल चार्ज लगेगा। शादी किसी भी धार्मिक विधि से की जा सकती है, जैसे कि हिंदू रीति या चर्च में, लेकिन यह तभी पूरी होगी जब आप और आपका पार्टनर ऑफिसर और गवाहों के सामने एक खास बयान देंगे।
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शादी को सम्पन्न करने के लिए क्या शर्तें हैं?

  • शादी को मान्य मानने के लिए, दोनों पार्टी को रजिस्ट्रार और तीन गवाहों के सामने अपनी सहमति देनी होगी।
  • लड़की की उम्र शादी के समय कम से कम 18 साल होनी चाहिए, और लड़के की उम्र कम से कम 21 साल होनी चाहिए।
  • शादी के समय दोनों पार्टी को ईमानदार होना चाहिए, यानी उन्हें अविवाहित होना चाहिए और कोई भी जीवनसाथी नहीं होना चाहिए।
  • दोनों पार्टी के बीच कोई ऐसा रिश्ते नहीं होने चाहिए जो शादी करने पर रोक लगाते हों, ताकि वे खुद तय कर सकें कि वे शादी करना चाहते हैं या नहीं। अगर ऐसा हो, तो शादी को खत्म करने की वजह हो सकती है। लेकिन अगर किसी एक पक्ष के रीति-रिवाज इसे मंजूर करते हैं, तो एसो रिश्तों में भी शादी हो सकती है। हालांकि, यह ध्यान में रखना चाहिए कि चचेरे-चाचेरा या मौसेरे भाई-बहन के रिश्ते शादी के लिए मना होते हैं।

इंटर रिलीजन मैरिज दो तरीके से की जा सकती है

धर्म परिवर्तन किये बिना – यदि कोई व्यक्ति बिना धर्म परिवर्तन के शादी करना चाहता है, तो यह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत की जाएगी। इस एक्ट के तहत शादी पूरी होने में कम से कम 30 दिन लगते हैं।

धर्म परिवर्तन के साथ – अगर कोई भी पार्टनर धर्म बदलता है, तो शादी संबंधित धर्म के कानूनों के अनुसार होगी। अगर दोनों साथी हिंदू धर्म अपनाते हैं, तो शादी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत होगी। अगर दोनों मुस्लिम धर्म अपनाते हैं, तो मुस्लिम मैरिज के कानून लागू होंगे। अगर दोनों ईसाई धर्म अपनाते हैं, तो भारतीय ईसाई मैरिज एक्ट के तहत शादी होगी।

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