अपनी संपत्ति की वसीयत कैसे करें

अपनी संपत्ति की वसीयत कैसे करें

वसीयत के बारे में आपने खूब सुना होगा। लेकिन फिर भी अक्सर लोगों के मन में इस से जुड़े बहुत सारे सवाल होते हैं। जैसे वसीयत कैसे की जाती है?  क्या इसे मौखिक यानी बोल कर भी किया जा सकता है? इसे कैसे रजिस्टर्ड कराया जाता है?

वसीयत के बारे में भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम 1952 की धारा 2 (h) में विस्तार से बताया गया है। इसके अनुसार वसीयत या इच्छापत्र उसे कहते हैं जिसमे व्यक्ति अपनी संपत्ति के मालिकाना हक़ के बारे में बताता है।  

कोइ व्यक्ति वसीयत में बताता है कि उसकी मृत्यु के बाद उसकी सम्पत्ती का वारिस कौन होगा या उसका क्या करना है। यानी जब कोइ व्यक्ति अपनी इच्छा से अपनी संपत्ति (चल-अचल) किसी अन्य व्यक्ति को सौंपता है तो उसे वसीयत कहते है।

इसमे वसीयत करने वाला व्यक्ति अनुदानकर्ता यानी टेस्टटेटर कहलाता है और जिसे सम्पत्ती मिल रही है वो लाभार्थी यानी बेनिफिशयरी कहलाता है। और अगर वो अपनी सम्पति के लिए कोई संरक्षणकर्ता नियुक्त करता है तो उसे निष्पादक कर्ता यानी एक्जिक्यूटर कहते हैं।

वसीयत के प्रकार

वसीयत दो प्रकार की होती हैं-  पहली- विशेषाधिकार इच्छा पत्र या Privileged will दूसरी- विशेष अधिकार रहित इच्छा पत्र यानी (Un-Privileged will)

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विशेषाधिकार इच्छा पत्र या Privileged will

विशेषाधिकार इच्छा पत्र या प्रिविलेज्ड विल करने का अधिकार उनका होता है जो खतरनाक प्रोफेशन से जुड़े हैं। जिनके जीवन पर हमेशा मौत का ख़तरा बना रहता है जैसे सैनिक या समुद्र से जुडी नौकरी करने वाले लोग। इसलिए थल सेना, जला सेना, वायु सेना या मर्चेंट नेवी में काम करने वाले लोगों के लिए इस एक्ट में स्पेशल प्रोविजन किया गया है।

इसी तरह ऐसे सरकारी कर्मचारी जिन्हें सरकार ने समुद्र आदि सेवाओं में नियुक्त किया हो वो भी इसी एक्ट अंतर्गत आते हैं। ऐसे कर्मचारी या लोग लिखित में दो साक्षियों के हस्ताक्षर के साथ प्रिविलेज्ड विल कर सकते हैं। अगर वह व्यक्ति अपनी विल लिखने में सफल न हो तो भी वह व्यक्ति दो साक्षियों के सामने बोल कर अपनी वसीयत कर सकता है। ऐसे में यह विल एक रजिस्टर्ड विल की तरह ही मानी जाएगी। इस तरह से की गयी प्रिविलेज्ड विल को लीगल माना जाता है इसे प्रोबेट नहीं कराना पड़ता, यानी कोर्ट जाकर साबित नहीं करना पडता।

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एक और प्रश्न उठता है कि क्या कोई सामान्य व्यक्ति भी मौखिक वसीयत कर सकता है। तो इसका उत्तर है हाँ। अगर कोई व्यक्ति मरने की अवस्था में है तो वह भी दो गवाहों के सामने मौखिक वसीयत कर सकता है वह वसीयत भी मान्य होती है। लेकिन यह वसीयत मरने वाले संपत्ति के मालिक ने ही की है इसको साबित करने के लिए कोर्ट में जाना पड़ता है

वसीयत लिखने के नियम व शर्ते

वसीयत लिखने के लिए कुछ नियम व शर्ते होती हैं, इसी के अंतर्गत वसीयत लिखी जानी चाहिए। आइये जानते हैं वो शर्ते कौन सी होती हैं।

भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम यानी Indian Succession Act 1952 में वसीयत लिखने के लिए प्रावधान किया गया है। इन्ही नियमों के आधार पर वसीयत की जानी चाहिए तभी वो लीगल मानी जाती है।

पहला –वसीयत करने वाला व्यक्ति 18 वर्ष की आयु का होना चाहिये।

दूसरा – वसीयत लिखित में होनी चाहिये।

तीसरा – वसीयत के दो साक्षियों और वसीयत करने वाले के हस्ताक्षर होने चाहिए।

चौथा वसीयत रजिस्टर्ड जरूर करवानी चाहिए। वैसे तो वसीयत को रजिस्टर्ड करवाना जरूरी नही होता है लेकिन कोई भी सरकारी संस्था अनरजिस्टर्ड विल को नही मानती है। अगर कोइ अपनी विल को रजिस्टर नहीं करवा पाता है या विल को खाली नोटराइज करवा लेता है तो व्यक्ति के मरने के बाद उसकी कोई भी प्रॉपर्टी उसके उत्तराधिकारी के नाम ट्रांसफर नहीं होती। जब वो प्रोपर्टी क्लेम करते है तो उन्हें टोटल प्रॉपर्टी की वैल्यू पर भी कोर्ट फीस देनी होती है जो कि उस राज्य के अनुसार होती है। इसमे पैसे व समय दोनों का नुक्सान होता ही है।

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कौन व्यक्ति वसीयत नही कर सकता

अब तक आपने जाना कि वसीयत क्या है और कैसे रजिस्टर होती है। अब आपके लिए ये भी जानना जरूरी है कि कौन व्यक्ति वसीयत नहीं कर सकता है।

पहला – ऐसा कोइ भी व्यक्ति जो कि किसी ऐसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो जिसमे कि वो सोचने व समझने के लायक नहीं हो वो व्यक्ति वसीयत नहीं कर सकता।

दूसरा – कोइ भी एसा व्यक्ति जो अन्य प्रकार की बीमारी से ग्रस्त हो जिसमे कि वो सोचने व समझने की स्तिथि में नहीं हो वो भी वसीयत नहीं कर सकता।

तीसरा – शराब के नशे में की गयी वसीयत मान्य नहीं होती।  

चौथा – वह व्यक्ति किसी भी प्रकार के दबाव में हो तो भी वसीयत नहीं मानी जाती।

पांचवा – अगर वह व्यक्ति 18 वर्ष से कम उम्र का है तो भी वसीयत नहीं कर सकता।

वसीयत से जुड़े कुछ अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

इसके अलावा वसीयत से जुड़े दो और महत्वपूर्ण सवाल है-

पहला – क्या वसीयत में बदलाव किया जा सकता है

इसका उत्तर हाँ है। यदि कोइ भी व्यक्ति अपनी वसीयत में किसी भी प्रकार का बदलाव करना चाहता है तो वह किसी भी समय अपनी नई वसीयत बनवा सकता है। नई वसीयत में लिखना होगा कि मैं अपनी पुरानी वसीयत को समाप्त कर रहा हूँ। इसके बाद नई वसीयत को रजिस्टर करवाना होता है, और पुरानी वसीयत को रजिस्ट्रार ऑफिस में समाप्त करवाना पड़ता है।

दूसरा सवाल होता है कि एक व्यक्ति अपने जीवन में कितनी बार वसीयत कर सकता है। तो जवाब है, आप अपने जीवन में अनगिनत बार विल कर सकते है लेकिन आपको हर बार अपनी पुरानी विल को समाप्त करना होगा और नई विल का रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। 

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विल से जुड़े कुछ और रोचक सवाल हैं जैसे वसीयत किस सम्पति या वस्तु की हो सकती है और किन सम्पतियो की नही।

विल सिर्फ उस चल व अचल सम्पति की हो सकती है जो व्यक्ति ने खुद खरीदी है या विल या विल या गिफ्ट के माध्यम से उसे मिली है।

आइये विल से जुड़े कुछ और सवालों पर नजर डाल लेते हैं।

सवाल – क्या वसीयत किसी अजनबी व्यक्ति या दूसरे धर्म के व्यक्ति के नाम पर भी की जा सकती है

जवाब – जी हाँ आप किसी भी धर्मं के व्यक्ति या अंजान व्यक्ति के नाम विल कर सकते है

सवाल – अगर विल के द्वारा सम्पति किसी नाबालिग को देनी हो तो

जवाब – अगर किसी व्यक्ति को कोई विल नाबालिग के नाम करनी हो तो उसे किसी व्यक्ति को अपनी संपत्ति की देखभाल के लिए एक्जीक्यूटर नियुक्त करना होता है जब कि संपत्ति का वारिस बालिग़ ना हो जाए।

इन सवालों के जवाब के बाद एक सवाल मन में आता है कि विल लिखें कैसे। विल आपके जीवन का बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज है अत: इसे बहुत ही स्पष्ट और ध्यान से लिखना चाहिए जिसे देखते ही पता चल सके कि आप अपने किस पुत्र या पुत्री या रिश्तेदार को क्या संपती या क्या हिस्सा देना चाहते हैं। विल किसी से भी टाइप ना करवाए बल्कि इसके लिए किसी अच्छे वकील की सहायता ले ताकि आपके जाने के बाद विल को लेकर कोइ विवाद ना हो। विल करने के बाद उसे कोर्ट में रजिस्टर कराना ना भूलें।

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