भारतीय समाज में विवाह संस्था को सुरक्षित रखने के लिए कई संवेदनशील कानून बनाए गए हैं। ऐसा ही एक कानून है भारतीय न्याय संहिता (BNS 2023) 85 जो विवाहिता को पति या ससुराल पक्ष द्वारा की गई मानसिक या शारीरिक क्रूरता से सुरक्षा देता है।
लेकिन विडंबना यह है कि इस कानून का दुरुपयोग करके कई महिलाओं ने अपने पति और उनके परिवार को झूठे केस में फँसाया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे “लीथल वेपन इन हैंड्स ऑफ डिसग्रंटल वाइव्स” (नाराज़ पत्नियों के हाथों में खतरनाक हथियार) कहा है।
ऐसी स्थिति में पुरुषों और उनके परिजनों के पास भी कुछ ठोस कानूनी उपाय हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे:
- झूठे 85 केस की पहचान कैसे करें
- कौन-कौन से काउंटर केस दर्ज किए जा सकते हैं
- सुप्रीम कोर्ट की क्या राय है
- गिरफ्तारी से कैसे बचें
- जरूरी दस्तावेज और व्यवहारिक उपाय
झूठे 85 केस की पहचान कैसे करें?
कई बार पति-पत्नी के बीच घरेलू विवाद, अहंकार या प्रतिशोध की भावना इतनी तीव्र हो जाती है कि पत्नी 498A जैसे गभीर प्रावधान का सहारा लेती है।
लेकिन कुछ संकेत हैं जो बताते हैं कि केस झूठा हो सकता है-
- कोई दहेज की मांग नहीं हुई और इसके ठोस सबूत मौजूद हैं।
- पत्नी ने पहले भी ऐसे केस अन्य व्यक्तियों पर दर्ज किए हैं।
- पत्नी पैसे या संपत्ति के लिए समझौते की धमकी देती है।
- शादी के बाद मामूली विवाद को बढ़ा-चढ़ाकर FIR में लिखा गया हो।
- मामले में दायर आरोप अत्यधिक बढ़ा-चढ़ाकर और पूरे परिवार को शामिल करते हैं।
भारतीय न्याय संहिता (BNS 2023) की वे धाराएं जिनमें दर्ज हो सकता है काउंटर केस
जब यह साबित हो जाए कि पत्नी ने जानबूझकर झूठा केस दर्ज कराया है, तब पति और उसके परिवार के पास निम्न कानूनी उपाय उपलब्ध हैं:
BNS धारा 61 – आपराधिक षड्यंत्र (Criminal Conspiracy)
- अगर पत्नी ने किसी अन्य के साथ मिलकर फर्जी केस प्लान किया है।
- सजा: अधिकतम उम्रकैद या जो सजा मूल अपराध के लिए हो।
BNS धारा 217 – झूठी जानकारी देना
- सरकारी अधिकारी (जैसे पुलिस) को झूठी सूचना देकर कार्रवाई करवाना।
- सजा: 6 माह की जेल या जुर्माना या दोनों।
BNS धारा 227 और 229 – झूठा साक्ष्य देना
- पत्नी ने कोर्ट में जानबूझकर झूठे दस्तावेज, फोटो, ऑडियो/वीडियो प्रस्तुत किए हों।
- सजा: 7 वर्ष तक की जेल।
BNS धारा 248 – झूठा आपराधिक मामला दर्ज करना
- अगर पत्नी ने जानबूझकर झूठे आपराधिक आरोप लगाए।
- सजा: गंभीर मामलों में 7 वर्ष तक की कैद।
BNS धारा 356 – मानहानि (Defamation)
- झूठे आरोपों के कारण पति या परिवार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा।
- सजा: 2 वर्ष तक की जेल और जुर्माना।
BNS धारा 351 – आपराधिक धमकी (Criminal Intimidation)
- अगर पत्नी या उसके परिवार द्वारा धमकी दी गई हो।
- सजा: अधिकतम 7 साल की कैद।
CPC धारा 9 – सिविल हर्जाना (Civil Suit for Compensation)
मानसिक आघात या सामाजिक नुकसान के लिए सिविल कोर्ट में हर्जाने का दावा।
सुप्रीम कोर्ट के महत्त्वपूर्ण फैसले
पहले IPC की धरा 498A थी अब नए क़ानूनू में यही धरा BNS 85 हो गयी है
राजेश शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2017)
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा: 498A का दुरुपयोग रोकना आवश्यक है क्योंकि इसका भय पूरे परिवार को आत्महत्या की कगार तक ले जाता है।
- मुख्य निर्देश:
- गिरफ्तारी से पहले प्राथमिक जांच अनिवार्य।
- फैमिली वेलफेयर कमेटी गठित की जाए।
- वरिष्ठ नागरिकों की गिरफ्तारी न की जाए।
- गिरफ्तारी से पहले प्राथमिक जांच अनिवार्य।
सोनी कुमार बनाम भारत सरकार (2019)
498A केस में पति निर्दोष पाया गया, कोर्ट ने पत्नी के खिलाफ IPC 211 में FIR दर्ज करने का आदेश दिया।
अरुण कुमार बनाम राज्य (2022)
पत्नी द्वारा दायर केस झूठा सिद्ध होने पर कोर्ट ने महिला पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया और मानहानि का केस चलाने की अनुमति दी।
झूठे 85 केस से बचाव के व्यावहारिक उपाय
1. अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) लें – BNSS
482 में गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत बहुत जरूरी है।
2. सबूत इकट्ठा करें
- कॉल रिकॉर्डिंग्स
- ईमेल, व्हाट्सएप चैट्स
- CCTV फुटेज
- गवाहों के बयान
3. FIR रद्द करवाएं – BNSS 528
अगर केस स्पष्ट रूप से झूठा है, तो हाई कोर्ट में याचिका दायर कर FIR को रद्द करवाया जा सकता है।
4. काउंटर केस दर्ज करें
BNS 217 248, 351,356 आदि धाराओं के तहत पत्नी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराएं।
5. मध्यस्थता का प्रयास करें (यदि सम्भव हो)
यदि पत्नी समाधान चाहती है तो समझौते का रास्ता अपनाएं, लेकिन दबाव में समझौता न करें।
आवश्यक दस्तावेज़
- विवाह प्रमाण पत्र
- पत्नी के साथ हुई बातचीत का रिकॉर्ड
- धमकी भरे संदेश/ईमेल
- FIR की कॉपी
- जमानत आदेश (यदि कोई हो)
- गवाहों की सूची
निष्कर्ष
498A जैसी धाराएं समाज के लिए आवश्यक हैं, लेकिन जब उनका दुरुपयोग किया जाता है तो यह कानून की आत्मा के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोक अदालतों तक, न्यायालयों ने स्पष्ट किया है कि कानून को हथियार नहीं, सुरक्षा कवच समझा जाए।
यदि आप या आपका कोई जानने वाला झूठे 85 केस का शिकार है, तो घबराने की बजाय कानूनी रूप से संगठित होकर साक्ष्य इकट्ठा करें, अग्रिम जमानत लें, और जरूरी हो तो काउंटर केस करें। सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं
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FAQs
1. क्या सिर्फ झूठा आरोप लगाना अपराध है?
हाँ, BNS 217, 248 जैसी धाराएं स्पष्ट रूप से झूठा केस दर्ज करना अपराध मानती हैं।
2. क्या हाईकोर्ट 85 की FIR को रद्द कर सकती है?
अगर आरोप झूठे साबित हो जाएं तो हाई कोर्ट BNSS 528 के तहत FIR रद्द कर सकता है।
3. क्या झूठे केस में पत्नी को जेल हो सकती है?
हाँ, BNS 248 के तहत पत्नी को 7 साल तक की सजा हो सकती है।
4. क्या सरकारी नौकरी पर झूठे केस का असर पड़ता है?
हाँ, FIR दर्ज होने मात्र से संवेदनशील पदों पर नियुक्ति प्रभावित हो सकती है।