सेक्शन 438 के तहत एंटीसिपेट्री बेल कैसे ले सकते है?

सेक्शन 438 के तहत एंटीसिपेट्री बेल कैसे ले सकते है?

बेसिकली जमानत या बेल सस्पेक्ट पर लगाई जाने वाली एक प्री-ट्रायल रीस्ट्रिक्शन होती है। इसे सस्पेक्ट मतलब जिस व्यक्ति पर कोई जुर्म करने का शक है उस पर इसीलिए लगाया जाता है ताकी वह कोर्ट की लीगल प्रोसीडिंग्स/कार्यवाही में कोई रुकावट ना डाल सके। आसान शब्दों में समझे तो किसी व्यक्ति को बेल या रिहाई इस शर्त पर दी जाती है कि वह समन किए जाने पर या पुलिस द्वारा बुलाये जाने पर कोर्ट में पेश होगा। समन कोर्ट में पेश होने पर भरा जाने वाला एक फॉर्म होता है, जिसे हर बार अपीयर होने पर भरना जरूरी होता है। 

बेल कैसे ली जाती है?

बेल लेने के लिए सस्पेक्ट के लॉयर को पुलिस स्टेशन में सस्पेक्ट के कोर्ट में पेश होने की सिक्योरिटी के तौर पर एक अमाउंट जमा करना होता है, तभी बेल अप्रूव होती है। दूसरे शब्दों में कहें तो बेल का अमाउंट कैदी की रिहाई की शर्त होती है। इसे कैदी की सिक्योरिटी की तरह डिफाइन किया जा सकता है। यह बेल अमाउंट कोर्ट को नकद, बांड या प्रॉपर्टी या किसी भी रूप में दिया जा सकता है।

इसी तरह, एंटीसिपेट्री बेल भी होती है, जिसका मतलब है कि जब आरोपी को किसी अपराध के केस में अरेस्ट होने का डर होता है, तो एंटीसिपेट्री बेल आरोपी के लिए एक लीगल सोल्युशन है, जो उसका केस सॉल्व होने के दौरान उसे एक टेम्पररी आज़ादी देता है। यह बेल कभी-कभी सस्पेक्ट को अरेस्ट होने से पूरी तरह बचाने में भी मदद करता है। हालाँकि, यह पूरी तरह इस बात पर डिपेंड करता है कि सस्पेक्ट पर क्या आरोप लगा है। 

नॉन-बेलेबल ओफ्फेंस के लिए बेल एप्लीकेशन:

अगर आरोपी को लगाता है कि उसे किसी नॉन-बेलेबल ओफ्फेंस के लिए अरेस्ट किया जा सकता है, तो वह सेशन कोर्ट या हाई कोर्ट में एंटीसिपेट्री बेल के लिए अप्लाई कर सकता है। बहुत बार ऐसी सिचुएशन भी होती हैं, जहां आरोपी को अरेस्ट किया जाता है और थोड़े समय में ही क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के बेल के प्रोविजन्स के तहत उसे रिहा भी कर दिया जाता है। एंटीसिपेट्री बेल क्रिमिनल केसिस में सस्पेक्ट्स के लिए राहत के रूप में काम आती है, खासकर दहेज के केसिस से जुड़े लोगों के लिए।

अब सवाल यह है कि क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 438 के तहत एंटीसिपेट्री बेल कैसे ले सकते है?

क्रिमिनल प्रोसीजर कोड के सेक्शन 438 के अनुसार, कोई व्यक्ति जिसे किसी भी रीज़न से लगता है कि उसे किसी नॉन-बेलेबल ओफ्फेंस के लिए अरेस्ट किया जा सकता है, वह व्यक्ति इस सेक्शन के तहत अपनी रिहाई या बेल के लिए सेशन कोर्ट या हाई कोर्ट में अप्लाई कर सकता है।

केस की गंभीरता को समझते हुए, कोर्ट व्यक्ति को यह इंस्ट्रक्शंस दे सकता है:

  • जरूरत पड़ने पर पुलिस ऑफ़िसर द्वारा पूछताछ के लिए सस्पेक्ट को हमेशा उपलब्ध रहना होगा। 
  • सस्पेक्ट को किसी व्यक्ति द्वारा धमकी, वादा या लालच में आकर केस से जुड़े ऐसे फैक्ट्स या सबूतों का खुलासा नहीं करना है, जो केस को पलट सकते है। 
  • सस्पेक्ट को देश नहीं छोड़ना है।

बेल लेने का प्रोसीजर:

सीआरपीसी के सेक्शन 438 के तहत, बेल लेने के लिए आपका लॉयर आपको अरेस्ट करने वाले ऑफ़िसर से बात करेगा। अगर कोई एफआईआर फाइल नहीं की गई है तो बेल के लिए कोई बेस नहीं होना चाहिए। जज मंजूरी देंगे और आपके लॉयर को बेल वापस लेने के लिए कहा जाएगा। इस पूरे इंसिडेंट में अगर पुलिस ऑफ़िसर आपको अरेस्ट करने का इरादा बनाते है, तो लॉयर सात दिन की प्री-अरेस्ट नोटिस के लिए बोलकर रिक्वेस्ट कर सकता है।

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इसके अलावा, एक जज एक पिटीशन या नोटिस बेल को मंजूर करेगा, फिर आर्डर पास किया जाएगा। अगर सेशन कोर्ट द्वारा बेल एप्लीकेशन खारिज कर दी जाती है तो इसके अगेंस्ट हाई कोर्ट में भी अपील की जा सकती है, अगर फिर से हाई कोर्ट द्वारा बेल खारिज कर दी जाती है, तो आप सुप्रीम कोर्ट में इसके लिए अप्लाई कर सकते है।

अगर सस्पेक्ट के अगेंस्ट कोई एफआईआर फाइल की गई है, तो जल्दी ही इन्वेस्टीगेशन ऑफ़िसर द्वारा सस्पेक्ट को अरेस्ट का एक नोटिस भेजा जाएगा। जैसे ही आरोपी व्यक्ति को अरेस्ट की इनफार्मेशन मिलती है, उस व्यक्ति को ांतिकिपटोरी बेल के लिए अप्लाई करना चाहिए। इसे आप ऊपर बताये गए प्रोसीजर की हेल्प से अप्लाई कर सकते है। 

लेकिन यह सब चीजें सिर्फ तभी पॉसिबल हो पाती है जब आप अपने केस के लिए एक अच्छा और एक्सपीरिएंस्ड लॉयर हायर करते है। लीड इंडिया को ऐसे केसिस को सोल्व करने का अनुभव है। यहां आपको अच्छे और एक्सपीरिएंस्ड लॉयर्स की एक लम्बी लिस्ट मिलती है।

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