साधारण तौर पर किसी के मोबाइल की कॉल डीटेल निकलवाना आसान नहीं होता। लेकिन यदि पुलिस को लगता है कि मामले की तहकीकात में कॉल डीटेल्स जरूरी हैं तो वो उस मोबाइल नंबर की सीडीआर यानी कॉल डिटेल रेकॉर्ड निकलवाती है। आमतौर पर CDR फोन कॉल के द्वारा फ्रोड के मामले में निकलवाया जाता है।
कई बार क्रिमिनल आम लोगों को फोन कॉल से फंसाते हैं। वो उन्हें आकर्षक ऑफर देते हैं जिसमे फंस कर लोग अपनी मेहनत की कमाई लुटा बैठते हैं। यदि ऐसा होता है तो उसकी शिकायत पुलिस में की जाती है।
अब क्योंकि फ्रोड करने वाला चोर है तो जाहिर सी बात है उसने कॉल पर अपनी सब जानकारी झूठी दी होगी। तो ऐसे में उसे पकड़ने के लिए पुलिस उसकी कॉल डीटेल्स निकलवाती है।
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साधारण परिस्थितियों में सीडीआर निलवाने के लिए किसी की अनुमति की जरूरत नहीं होती। इस काम को करने के लिए जिले के SP यानी सुप्रिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर कमपनी को को अपने ऑफिशियल मेल से सीडीआर भेजने के लिए मेल करते हैं।
मेल मिलने के बाद मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर कंपनी मांगे गए मोबाइल नंबर का सीडीआर पुलिस या सम्बंधित अधिकारी को भेज देते हैं| इसके लिए किसी की अनुमति नहीं लेनी पड़ती।
सीडीआर से पुलिस को फ्रोड कॉल करने वाले व्यक्ति के बारे में सब पता चल जाता है। पुलिस जान जाती है कि उस काल के द्वारा फ्रोड ने पीड़ित को कैसे फंसाया। उसमे पूरी कॉल डीटेल्स जैसे कॉल करने वाले का नाम, लोकेशन, मोबाईल सर्विस प्रोवाईर सब पता चल जाता है और पुलिस फ्रोड को धर दबोचती है। लेकिन यदि पुलिस को कोइ मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाना होता है तो उसके लिए उसे राज्य के गृह सचिव से लिखित अनुमति लेनी पड़ती है। मोबाइल सर्विलांस बड़े केस में किया जाता है। इसमे एक-एक फोन कॉल रिकोर्ड होती होती है। ज्यादातर मोबाइल सर्विलांस देशद्रोह आदी के केस में लागाया जाता है साधारण परिस्थितियों में नहीं।