जब भी किसी व्यक्ति के साथ कोई आपराधिक वारदात होती है तो सबसे पहले FIR दर्ज कराई जाती है। FIR किसी भी मामले में कानूनी जांच का पहला कदम होता है। FIR दर्ज होने के बाद पुलिस मामले की छानबीन करती है और जो भी व्यक्ति अपराधी होता है उसके विरुद्ध कार्रवाई करती है, लेकिन आम आदमी अपनी FIR कैसे दर्ज कराए और FIR से संबंधित क्या नियम और कानून है यह जानकारी होना आवश्यक है इसलिए इस ब्लॉग पोस्ट में हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
FIR क्या है?
FIR की फ़ुल फ़ॉर्म फ़र्स्ट इनफ़ॉर्मेशन रिपोर्ट होती है। इसे हिन्दी में प्रथम सूचना रिपोर्ट कहते हैं। जब भी किसी व्यक्ति के साथ कोई आपराधिक घटना होती है, या उसे परेशान किया जाता है उसके अधिकारों के साथ छेड़छाड़ होती है, ऐसी स्थिति में FIR दर्ज कराई जाती है।
वैसे तो FIR देश भर के किसी भी थाने में रजिस्टर कराई जा सकती है लेकिन जिस जगह पर अपराध हुआ हो, उस क्षेत्र के नजदीकी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराने से मामला सुलझाने में अत्यंत आसानी रहती है।
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अगर परिभाषा देखें तो FIR एक लिखित दस्तावेज़ होता है जो पुलिस द्वारा तब तैयार किया जाता है जब उसे किसी संज्ञेय अपराध के बारे में सूचना मिलती है। यह एक सूचना रिपोर्ट है जो समय पर सबसे पहले पुलिस तक पहुँचती है, इसलिए इसे प्रथम सूचना रिपोर्ट कहा जाता है। एफ़आईआर दर्ज करने का उद्देश्य अपराध करने वाले अपराधी के खिलाफ कार्यवाही की मांग करना या अगर अपराधी अज्ञात है तो उसका पता लगाना होता है।
इसलिए किसी भी केस में FIR दर्ज करना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि पुलिस के पास बिना FIR दर्ज किए किसी को भी गिरफ़्तार करने का अधिकार नहीं होता।
FIR में क्या लिखना चाहिए?
एफ़आईआर संज्ञेय अपराध होने पर दर्ज की जाती है। संज्ञेय अपराध के बारे में प्रथम सूचना रिपोर्ट कोई भी व्यक्ति दर्ज करवा सकता है. इसके तहत पुलिस को अधिकार होता है कि वह आरोपी व्यक्ति को गिरफ्तार करे और जांच-पड़ताल करे।
इसलिए FIR दर्ज कराते समय एफ़आईआर में घटना के समय और तारीख की जानकारी लिखनी चाहिए। घटना कहां हुई, इसकी जानकारी देनी चाहिए। अपराध किस व्यक्ति ने किया (ज्ञात या अज्ञात) एक या अनेक व्यक्ति उसका नाम पता आदि लिखना चाहिए. किस के साथ अपराध किया गया एक पीड़ित है या अनेक उन सब का नाम व पता आदि से स्पष्ट अक्षरों में लिखना चाहिए। जिससे पुलिस अधिकारी आपकी समस्या से भली भांति अवगत हो सके और आपकी समस्या का निस्तारण कर सके।
FIR पर कानूनी प्रावधान कौन कौन से हैं ?
FIR की बात को दंड प्रक्रिया संहिता के सेक्शन 154 में किया गया है। जिसके अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने साथ हुई आपराधिक घटनाओं की मौखिक अथवा लिखित जानकारी पुलिस को दे सकता है। अगर शिकायत मौखिक रूप से की गई है तो उस शिकायत को लिखना पुलिस का कर्तव्य होता है। इसके साथ ही लिखी हुई शिकायत को एक बार शिकायतकर्ता के सामने पढ़ा जाना भी अनिवार्य होता है।
किसी भी नागरिक को FIR पर अपने हस्ताक्षर तभी करने चाहिए जब पुलिस द्वारा पढ़ी गई शिकायत को अच्छी तरह समझ लें। इसके साथ ही शिकायतकर्ता पर FIR से संबंधित किसी भी तरह का जोर या दबाव नहीं बनाया जा सकता है।
क्या ऑनलाइन FIR भी दर्ज कराई जा सकती है?
कई मामले ऐसे भी होते हैं जब या तो आरोपी की FIR पुलिस लिखती नहीं है अथवा पीड़ित पक्ष थाने जाने में किसी भी कारण से असमर्थ होता है तो ऐसे में देश के अंदर ऑनलाइन FIR दर्ज करने की भी सुविधा उपलब्ध है। ऑनलाइन FIR दर्ज करने के लिए देश के अंदर अलग-अलग प्रदेशों के अंदर अलग-अलग वेबसाइट है आप जिस राज्य में रहते हैं वहां की पुलिस की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन FIR लिखा सकते हैं।
उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में ऑनलाइन एफ़आईआर दर्ज करने के लिए, आपको यूपी पुलिस की वेबसाइट https://uppolice.gov.in/ पर जाना होगा. इसके बाद, आपको Citizen Services के विकल्प पर जाना होगा. यहां आपको Complaint Registration और eFIR का विकल्प दिखाई देगा। जब आप eFIR पर क्लिक करेंगे, तो आपके सामने एक नया पेज खुलेगा। जहां आप अपनी समस्याएं दर्ज करा सकते हैं।
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