जानिये सड़क दुर्घटना में कितना मिलता है मुआवजा

जानिये सड़क दुर्घटना में कितना मिलता है मुआवजा

अक्सर लोग सड़क दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं सड़क दुर्घटना होने पर MACT यानी Motor Accidents Claims Tribunal  से मुआवजा मिलता है। इस लेख में हम आपको बताएँगे कि सड़क दुर्घटना के बाद मुआवजा लेने के लिए क्या नियम और कानून हैं।

MACT मोटर दुर्घटना केस मे मुआवजा सिर्फ उस व्यक्ति को मिल सकता है जिस का एक्सीडेंट किसी रजिस्टर्ड व्हीकल से हुआ है। वह व्हीकल मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत रजिस्टर्ड होना चाहिए। यानी कि उसका एक रजिस्टर्ड नंबर होना चाहिए। इसमें अन-रजिस्टर्ड व्हीकल जैसे कोई साइकल या बैटरी से चलने वाले रिक्शा नहीं आते है।

MACT मोटर दुर्घटना केस मे मुआवजा लेना कोई मुश्किल काम नहीं है। दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति सेशन कोर्ट में केस डाल कर मुआवजा ले सकता है। तथा दोषी व्यक्ति को सजा भी दिलवा सकता है।

कौन कर सकते हैं मुआवजे की माँग

अगर दुर्भाग्य से दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उस स्थिति में उसके परिजन कोर्ट से  मुआवजे की मांग कर सकते है। परिजन के अलावा व्यक्ति कानूनी वारिस भी माआवजे की मांग कर सकते हैं। कानूनी वारिस  में उस व्यक्ति के माता-पिता, पत्नी/पति, बच्चे आते हैं। लेकिन यदि व्यक्ति के ये संबंधी ना हों तो व्यक्ति के भाई को ये अधिकार मिलता है।

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दुर्घटना होने पर क्या करें

अब जानते हैं करना क्या होता है। सबसे पहले दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को 100 न. पर पुलिस को सूचित करना होता है। इसके बाद दोषी व्यक्ति के खिलाफ उसके व्हीकल न. के साथ शिकायत करनी होती है। इसके बाद M.A.C.T. कोर्ट में मुकदमा दायर करना चाहिए। दिल्ली में ये काम पीड़ित को नहीं करना पड़ता बल्कि पुलिस खुद ही शिकायतकर्ता की तरफ से M.A.C.T. कोर्ट में केस फाइल कर देती है।

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केस कैसे करें

अब जानते हैं कि केस कैसे करें और कहाँ से करें। सड़क दुर्घटना के मुआवजे के लिए MACT  कोर्ट में केस फाइल करना होता है। इसे आप खुद या अपने वकील के माध्यम से दायर कर सकते हैं। MACT  में ये केस धारा 166, 140 के अंतर्गत दर्ज करना होता है। केस दायर करते वक्त ध्यान रखें कि इसमे सबसे पहले दोषी व्हीकल ड्राईवर को पार्टी बनाये। दूसरे नंबर पर व्हीकल के मालिक को पार्टी बनायें। तथा तीसरे नंबर पर इंश्योरेंस कंपनी को पार्टी बनाएं।

MACT मोटर दुर्घटना के अंतर्गत दो तरह के केस बनते हैं – पहला F.I.R. के माध्यम से मजिस्ट्रेट के पास चलता है। इसमे IPC की धारा 279 में 6 महीने की सजा व 1000 रूपए तक जुर्माना लगता है।

दूसरे मामले IPC की धारा 337 के अंतर्गत दर्ज कराये जाते हैं। इसमें 6 महीने की सजा व 500 रूपए तक जुर्माने का प्रावधान है। ये जमानतीय धारा में आता है इस में पुलिस स्टेशन से ही जमानत हो जाती है पर कई राज्यों में कोर्ट में ही जमानत होती है।

Magistrate के समक्ष केस में दोनो पक्ष आपस में समझौता करके F. I.R. के केस को खत्म कर सकते है इसमे पीड़ित पक्ष दोषी से मुआवजा भी ले सकता है तथा जबकि Session judge M.A.C.T. कोर्ट के समक्ष इन्सोरंस कंपनी से मुआवजा लेकर केस ख़त्म कर सकते है।

इनके अलवा इस केस में दूसरी धाराएं भी लग सकती है जो हालात के हिसाब से हो सकती है।  

मुआवजा मिलने के आधार

आइये जानते हैं कि MACT मोटर दुर्घटना केस मे मुआवजा मिलने के आधार क्या हैं। इसमे पहला आधार होता है कि दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को कितनी चोट लगी है और उसकी कमाई का कितना नुकसान हुआ है। यदि दुर्घटना में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उस व्यक्ति की उम्र उस पर आश्रित व्यक्तियों की संख्या व उस की इनकम को ध्यान में रख कर मुआवजा दिया जाता है।

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एक्सीडेंटल डेथ केस में इनकम टेक्स पेयर्स को फ़ायदा मिलाता है। अगर सड़क दुर्घटना में मरने वाला व्यक्ति लगातार तीन साल से इनकम टेक्स पेय कर्ता रहा है तो सरकार उसके पिछले तीन वर्षों की एनुअल इनकम के हिसाब से उसके परिवार को दस गुना राशि देती है। लेकिन दुर्भाग्य से ज्यादातर लोग जानकारी के अभाव में सरकार से मुआवजा नहीं ले पाते हैं।

एक और स्थिति बनती है कि अगर दोषी व्यक्ति के पास लाईसेन्स ना हो तो दोषी व्यक्ति यानी ड्राईवर खुद मुआवजा देगा। और यदि उस व्हीकल का इंश्योरंस भी ना हो तो व्हीकल का मालिक ही मुआवजा देगा।  

ड्राईवर का पक्ष भी सुना जाता है

अब अगर वाहन चालक की नजर से देंखे तो कोइ नहीं चाहता कि उसकी गाडी से किसी का एक्सीडेंट हो। कई बार दूसरो की गलती से भी एक्सीडेंट होते हैं। ऐसे में दोषी व्यक्ति को कोर्ट में यह साबित करना चाहिए की गलती शिकायतकर्ता की थी। वह सही तरीके से ड्राइविंग कर रहा था, सही था तथा उसके पास दुर्घटना वाले दिन वैलिड लाइसेंस और इन्सोरंस भी था। दोषी व्यक्ति अपने पक्ष में उस समय के गवाह भी कोर्ट में पेश कर सकता है। इनके अलवा इस केस में दूसरी धाराएं भी लग सकती है जो हालात के हिसाब से हो सकती है|  

मुआवजा मिलने के आधार

आइये जानते हैं कि MACT मोटर दुर्घटना केस मे मुआवजा मिलने के आधार क्या हैं| इसमे पहला आधार होता है कि दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को कितनी चोट लगी है और उसकी कमाई का कितना नुकसान हुआ है| यदि दुर्घटना में व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उस व्यक्ति की उम्र उस पर आश्रित व्यक्तियों की संख्या व उस की इनकम को ध्यान में रख कर मुआवजा दिया जाता है|

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एक्सीडेंटल डेथ केस में इनकम टेक्स पेयर्स को फ़ायदा मिलाता है| अगर सड़क दुर्घटना में मरने वाला व्यक्ति लगातार तीन साल से इनकम टेक्स पेय कर्ता रहा है तो सरकार उसके पिछले तीन वर्षों की एनुअल इनकम के हिसाब से उसके परिवार को दस गुना राशि देती है। लेकिन दुर्भाग्य से ज्यादातर लोग जानकारी के अभाव में सरकार से मुआवजा नहीं ले पाते हैं|

एक और स्थिति बनती है कि अगर दोषी व्यक्ति के पास लाईसेन्स ना हो तो दोषी व्यक्ति यानी ड्राईवर खुद मुआवजा देगा| और यदि उस व्हीकल का इंश्योरंस भी ना हो तो व्हीकल का मालिक ही मुआवजा देगा|  

ड्राईवर का पक्ष भी सुना जाता है

अब अगर वाहन चालक की नजर से देंखे तो कोइ नहीं चाहता कि उसकी गाडी से किसी का एक्सीडेंट हो| कई बार दूसरो की गलती से भी एक्सीडेंट होते हैं| ऐसे में दोषी व्यक्ति को कोर्ट में यह साबित करना चाहिए की गलती शिकायतकर्ता की थी| वह सही तरीके से ड्राइविंग कर रहा था, सही था तथा उसके पास दुर्घटना वाले दिन वैलिड लाइसेंस और इन्सोरंस भी था| दोषी व्यक्ति अपने पक्ष में उस समय के गवाह भी कोर्ट में पेश कर सकता है|

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