प्रॉपर्टी को शांतिपूर्वक इस्तेमाल करने या उसका आनंद लेने के अधिकार में दखलंदाज़ी या इंटरफेयर करने को उपद्रव मचाना माना जाता है। कानून में “उपद्रव” शब्द की बहुत छोटी सी परिभाषा दी गयी है। छोटी बड़ी सभी परेशानियों या थोड़े बहुत उपद्रव करने वाले व्यक्ति के खिलाफ एक केस करना ही हमेशा सही नहीं होता है। आम तौर पर रोज़मर्रा के सामाजिक संपर्क या पड़ोसी से होने वाली मामूली झुंझलाहट या छोटी-छोटी परेशानियों या थोड़े बहुत उपद्रव के लिए कानूनी रूप से कार्रवाई नहीं की जाती है।
किस सिचुएशन में माना जायेगा की उपद्रव हुआ है?
व्यक्ति द्वारा किया गया गैरकानूनी काम
अगर किसी व्यक्ति द्वारा उपद्रव किया गया है जिससे उनके आसपास रहने वाले पड़ोसी को परेशानी हुई है तो ऐसा गलत व्यवहार करने पर उनके खिलाफ कानूनी कदम उठाया जा सकता है। ऐसा करना इल-लीगल और अनैतिक है। साथ ही, ऐसा करने की वजह से आप पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
चेतावनी
अगर कम्प्लेन करने वाला व्यक्ति संवेदनशील है और उसे ऐसा लग रहा है कि उसके साथ गलत हुआ है जबकि एक समझदार व्यक्ति के नज़रिये से देखा जाये तो वास्तविकता में कोई उपद्रव नहीं किया गया है तो उस सिचुएशन में कोई केस नहीं बनाया जायेगा। हालाँकि, परेशानी पैदा करने वाले व्यक्ति को एक चेतावनी दी जा सकती है।
कम्प्लेनेन्ट को नुकसान, हानि, या असुविधा
अगर कम्प्लेन करने वाले व्यक्ति को वास्तव में कोई नुकसान या असुविधा का सामना करना पड़ा है तो ही कानूनी कदम उठाया जा सकता है या केस किया जा सकता है। कानून छोटी-छोटी बातों को ध्यान में नहीं रखेगा, या कम्प्लेनेन्ट की संवेदनशीलता की वजह से लगाए गए मामूली नुकसान को ध्यान में रखकर केस नहीं किया जायेगा।
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उपद्रव के प्रकार
सार्वजनिक उपद्रव
भारतीय दंड संहिता के अनुसार उपद्रव करना एक ऐसा काम है जो आस-पास रहने वाले व्यक्तियों को चोट पहुंचता है, खतरे में डालता है या परेशान करता है। जिन्हें पब्लिक अधिकार का यूज़ करने की जरूरत हो सकती है। सार्वजनिक उपद्रवों का पूरे समाज पर, या आबादी के एक बड़े हिस्से पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
निजी उपद्रव
एक निजी उपद्रव (private nuisance) एक ऐसा काम है जो आम जनता के नहीं बल्कि एक स्पेसिफिक व्यक्ति या व्यक्तियों को प्रभावित करती है। निजी उपद्रव के लिए कम्प्लेन करने के लिए कम्प्लेन करने वाले व्यक्ति के पास उस संपत्ति में हिस्सेदारी या कोई अन्य हक़ होना चाहिए।
दावेदार
जमीन में रुचि रखने के लिए एक व्यक्ति के पास उस जमीन का अधिकार होना चाहिए या उस पर दावा होना चाहिए। एक निजी उपद्रव का दावा मालिकों, पट्टाधारकों (leaseholders), या किरायेदारों द्वारा किया जा सकता है जिनकी जमीन पर रहने की हिस्सेदारी है। यह नियम में स्पष्ट है कि एक निजी उपद्रव के मामले में दावा करने के लिए प्रभावित संपत्ति या उस पर विशेष कब्जा होना चाहिए। वास्तव में, एक व्यक्ति को जमीन में रुचि रखने वाला माना जाता है अगर वह उस पर रहने वाला या हक़ रखने वाला एकमात्र व्यक्ति हैं।
उपद्रव के लिए पड़ोसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
नुकसान:
सार्वजनिक उपद्रव के मामलों में, जहां एक कानूनी शिकायत दर्ज की जा सकती है, मुआवज़े का अधिकार जीतने के लिए कम्प्लेन करने वाले व्यक्ति को असामान्य नुकसान दिखाना जरूरी है। इन मामलों में परेशानी उठाने वाले व्यक्ति को परेशान करने वाले व्यक्ति द्वारा हर्जाना दिया जाता है। ज्यादातर यह भरपाई पैसों के रूप में की जाती है।
निषेधाज्ञा राहत:
कोर्ट द्वारा किया गया एक विशेष आदेश होता है जो किसी पार्टी को कुछ निश्चित काम को ना करने के लिए मजबूर करता है, उसे निषेधाज्ञा (Injunctive) के रूप में जाना जाता है। यह राहत पड़ोसी के परेशान करने पर उसके खिलाफ कार्रवाई करके ली जा सकती है। यह एक कानूनी और न्यायसंगत उपाय है। कोर्ट ने एक केस में फैसला सुनाया कि केवल असाधारण परिस्थितियों में ही निषेधाज्ञा से मना किया जाना चाहिए, जैसे कि जब परेशानी उठाने वाली पार्टी का थोड़ बहुत नुकसान हुआ है, तो एक छोटी नकद राशि के द्वारा पर्याप्त रूप से मुआवजा दिया जा सकता है। ऐसे सिचुएशन में निषेधाज्ञा देना गलत होगा।
आपराधिक अभियोग
किसी व्यक्ति के खिलाफ किए गए गलत व्यवहार के खिलाफ आरोप लगाने को अभियोग (Indictment) कहा जाता है। कानूनी अपराधों के दावों के लिए अभियोग लेना सामान्य बात है। ट्रायल कोर्ट में, शिकायत के बजाय अभियोग का उपयोग किया जाता है।
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