भारत में शादी सात जन्मो का रिश्ता माना जाता है और उसी तरह निभाया जाता है। कई बार लोग तकलीफ सह कर भी अपनी शादी बचाने के लिए जिन्दगी भर जद्दोजहद करते रहते हैं। ज्यादातर लोग कोर्ट कचेरी जाने से डरते हैं। इसलिए भी शादी निभाते रहना उनकी मजबूरी बन जाती है। लेकिन कई बार हालात इतने बिगड़ जाते हैं कि साथ रहना मुश्किल हो जाता है। तब ऐसे में एक ही विकल्प बचता है वो है तलाक। तलाक लेने के दो तरीके हैं पहला, आपसी सहमति से और दूसरा एकतरफा तलाक। यदि तलाक आपसी सहमती से हो रहा है तब तलाक लेना काफी आसान रहता है। लेकिन यदि एकतरफा तलाक के लिए अर्जी देनी है तो ये थोड़ा मुश्किल हो सकता है। यदि आप को भी एकतरफा तलाक लेना है तो कुछ ऐसे ग्राउंड हैं जिन्हें आपके लिए जानना बहुत जरूरी है। इनके आधार पर एकतरफा तलाक लिया जाता है।
एकतरफा तलाक की सिचुएशन
एकतरफा तलाक की सिचुएशन में ये होता है कि पति या पत्नी में से कोई एक तलाक लेना चाहता है। लेकिन दूसरा पार्टनर तलाक देने के लिए तैयार नहीं होता है। ऐसे में जो तलाक लेना चाहता है उसके लिए जिन्दगी दुश्वार हो जाती है। पति इस डर से तलाक नहीं देते कि उन्हें मेंटीनेन्स देना होगा। कई बार उनका डर सामाजिक प्रतिष्ठा भी होती है। ठीक ऐसे ही पत्नी भी पति को एकतरफा तलाक देने से डरती है। क्योंकि वो पति के ऊपर सामाजिक, आर्थिक और मानसिक रूप से पूरी तरह निर्भर होती है। अचानक से उसके लिए अकेले जीवन जीने की कल्पना आसान नहीं होती।
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क्या हैं एकतरफा तालक के आधार
ऐसे में आपके लिए तलाक के उन आधारों का जानना बहुत जरूरी है जो मददगार होते हैं। एकतरफ़ा तलाक लेने के लिए अदालत को कुछ आधार देने होते हैं। ये आधार एक अर्जी के तौर पर कोर्ट में दाखिल किये जाते हैं। इनसे संतुष्ट होकर अदालत केस को आगे बढाती है। दोनों के हालात समझ और देख कर पति और पत्नी को अलग होने की अनुमति देती हैं। इन अधारो को ध्यान में रखकर आप केस फाइल कर सकते है।
विवाहेतर यौन सम्बन्ध
शादीशुदा होने के बाद भी अगर पति या पत्नी में से किसी भी पार्टनर के किसी अन्य महिला या पुरुष के साथ यौन सम्बन्ध होते है यानी कि वो बाहर भी किसी तीसरे व्यक्ति से शारीरिक सम्बन्ध में है तो ये एकतरफा तलाक की सबसे बड़ी वजह होती है। आज के इस आधुनिक दौर में जहाँ महिला और पुरुष दोनों ही कामकाजी है वहां शादी के अलावा किसी और से भावनात्मक और शारीरिक सम्बन्ध होना आसान हो गया है। ऐसे में पति या पत्नी की तरफ से थोड़े भी भावनात्मक अलगाव या किसी आकांक्षा के पूरे ना होने के चलते किसी तीसरे से अट्रेक्शन होना आम बात है। यदि ऐसा होता है कि पति या पत्नी किसी तीसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक सम्बन्ध में है तो बेशक ये एकतरफा तलक का ग्राउंड है। इस सिचुएशन में आपसी सहमति या बेवफाई करने वाले पार्टनर की सहमती के बिना तलाक की अर्जी दी जा सकती है।
पति या पत्नी कर ले धर्म परिवर्तन
शादी के वक्त धर्म एक बहुत बड़ा आधार होता है। व्यक्ति बचपन से जिस आस्था और धर्म में पला बढा होता है उसमे उसकी उस धर्म में अटूट आस्था होती है। यहाँ तक कि उसकी शादी भी उसी धर्म के रीती रिवाजो के अनुरूप हुई होती है। धर्म एक बहुत ही व्यक्तिगत मुद्दा है। ऐसे में यदि एक पार्टनर अपने दूसरे पार्टनर को विश्वास में लिए बिना या उसकी मर्जी के खिलाफ अपना धर्म परिवर्तन कर लेता है तो ऐसे में ये वजह एकतरफा तलाक का बहुत मजबूत आधार बनता है।
पति या पत्नी में से किसी को हो लाइलाज बीमारी
पति-पत्नी का रिश्ता बेहद करीबी होता है वो उसमे आपस में बहुत कुछ साझा करते हैं। साथ खाना, साथ रहना और साथ सोना। ऐसे में यदि किसी एक पार्टनर को कोई लाइलाज बीमारी हो जाए जिससे कि दूसरे पार्टनर को भी इन्फेक्शन होता हो तो ये एकतरफ़ा तलाक का आधार बनता है। बीमारी लाइलाज है और दूसरे पार्टनर के लिए घातक है तो इसके आधार पर एकतरफ़ा तलाक की अर्जी दी जा सकती है।
पति या पत्नी में से कोइ संन्यास ले ले
गृहस्थ आश्रम दो लोगो से मिलाकर चलता है जिसमे पति और पत्नी दोनों का आहम रोल होता है। लेकिन ऐसे में यदि पति या पत्नी में से कोइ सन्यास ले ले तो ये एक तरफा तलाक की वजह बनती है, क्योंकि सन्यास धर्म में गृह त्याग और सम्भोग निषेध होता है, ना ही सन्यासी समाज में रहकर किसी परम्परा का पालन कर सकता है। तो ऐसे में दूसरे पार्टनर को यौन सुख और सामाजिक परम्पराओं से वंचित नहीं रखा जा सकता। अत: ये एकतरफा तलाक की वजह हो सकता है।
पार्टनर छोड़ कर चला जाए
अगर आपका पार्टनर घर छोड़कर चला गया है और आपको उसके बारे में कोई इन्फोर्मेशन नहीं है कि वो कहाँ गया है. तो ये एकतरफा तलाक के लीगल ग्राउंड बनते है। अगर आपका पार्टनर आपको बिना बताये छोड़ कर चला गया है और उसकी कहीं कोइ सूचना नहीं है, परिवार और आपने उन्हें खोजने के प्रयास कर लिए हैं और अगर उसे घर छोड़े लंबा वक्त भी हो गया है तो ये भी एकतरफा तलाक का बड़ा आधार है।
एकतरफा तलाक की अर्जी कैसे डालें
यदि आपके पास भी इनमे से कोइ आधार है तो आप भी एकतरफा तलाक के लिए अदालत में अर्जी डाल सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले किसी अच्छे वाकील को हायर करें। अच्छे से तात्पर्य ये है कि वकालत में अलग-अलग एक्स्परटाइज होते हैं, जैसे कोई क्रिमिनल लायर है तो वो आपराधिक केसो को बहुत अच्छे से समझेगा। ऐसे ही तलाक जैसे मामलो के लिए मैट्रिमोनियल मामलो के वकील एस्क्पर्ट होते हैं। पिछले केसों का उनका अनुभव आपके काम आ सकता है। वकील का चुनाव करने के बाद अच्छे से तलाक की अर्जी लिखवायें यानी उसमे उन वजहों या आधारों को बेहद मजबूती और स्पष्ट रूप से लिखवायें जो एकतरफा तलाक के लिए बताये गए हैं। इसके अलावा आप अपने वकील से डिस्कस करें कि क्या केवल तलाक के लिए अर्जी देनी चाहिए या विवाह संबंधी और किसी तरह के संबंधित केस करना भी आपके केस के लिए जरूरी है या नहीं। इस तरह यदि आप सही तरीके से ड्राफ्ट किया गया केस अदालत में दाखिल करते हैं तो एकतरफा तलाक आसानी से ले सकते हैं।