डाइवोर्स की याचिका वापस कैसे  लें?

How to withdraw divorce petition?

विवाह एक ऐसा बंधन है जो समाज में दो व्यक्तियों को एक-दूसरे से जोड़ता है। लेकिन कभी-कभी यह संबंध समस्याओं और असहमति के कारण टूट सकता है। जब एक व्यक्ति अपने वैवाहिक जीवन से संतुष्ट नहीं होता और रिश्ते को समाप्त करने का निर्णय लेता है, तो वह तलाक की याचिका दायर करता है। लेकिन कभी-कभी तलाक के बाद, दोनों पक्षों में से एक का मन बदल जाता है और वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहता है। ऐसे में, यदि कोई व्यक्ति तलाक की याचिका वापस लेना चाहता है, तो उसे किस प्रकार की कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, यह जानना बहुत जरूरी है।

तलाक की याचिका क्या है?

तलाक की याचिका वह कानूनी दस्तावेज है, जिसे एक व्यक्ति अपने साथी से वैवाहिक संबंध समाप्त करने के लिए न्यायालय में दायर करता है। भारतीय परिवार कानून के अंतर्गत तलाक की याचिका दायर की जा सकती है, और इसके लिए विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करना पड़ता है। तलाक की याचिका दायर करने से पहले व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना होता है कि वह सभी कानूनी और व्यक्तिगत पहलुओं को समझ चुका है।

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तलाक की याचिका वापस लेने की स्थिति

कभी-कभी तलाक की याचिका दायर करने के बाद, किसी एक पक्ष का मन बदल जाता है और वह तलाक को वापस लेना चाहता है। यह स्थिति कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है, जैसे:

  • दूसरी पार्टी का माफी मांगना: कभी-कभी एक पक्ष अपने फैसले पर पुनर्विचार करता है, जब दूसरी पार्टी माफी मांगती है या समझौता करने की इच्छा व्यक्त करती है।
  • कानूनी सलाह: तलाक की याचिका दायर करने के बाद, एक पक्ष को कानूनी सलाह मिल सकती है, जिसके आधार पर वह अपनी याचिका वापस लेने का फैसला करता है।
  • परिवार और समाज का दबाव: कुछ लोग परिवार और समाज के दबाव के कारण तलाक की याचिका वापस लेने का निर्णय लेते हैं।
  • व्यक्तिगत कारण: कई बार व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत समस्याओं को सुलझाने के बाद अपने निर्णय पर पुनर्विचार करता है।
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तलाक की याचिका वापस लेने का कानूनी तरीका क्या है?

अब हम यह समझते हैं कि अगर कोई व्यक्ति अपनी तलाक की याचिका वापस लेना चाहता है, तो उसे क्या करना चाहिए।

याचिका वापस लेने की प्रक्रिया

तलाक की याचिका वापस लेने के लिए परिवार न्यायालय में एक आवेदन दायर करना होता है। यह आवेदन सामान्यतः उसी न्यायालय में दायर किया जाता है, जहां तलाक की याचिका पहले दायर की गई थी। आवेदन में यह स्पष्ट रूप से लिखा जाता है कि याचिकाकर्ता अपनी तलाक की याचिका वापस ले रहा है। इसे कोर्ट में प्रस्तुत करना होता है, और यदि कोर्ट को यह लगता है कि याचिका में कोई कानूनी अड़चन नहीं है, तो वह इसे स्वीकार कर लेता है।

आवेदन का प्रारूप

तलाक की याचिका वापस लेने के लिए एक लिखित आवेदन तैयार करना होता है। यह आवेदन निम्नलिखित जानकारी को शामिल कर सकता है:

  • याचिकाकर्ता का नाम और अन्य व्यक्तिगत जानकारी
  • परिवार न्यायालय में दायर तलाक की याचिका का विवरण
  • याचिकाकर्ता का इरादा और निर्णय कि वह तलाक की याचिका वापस लेना चाहता है
  • आवेदन का कारण 

कोर्ट की अनुमति प्राप्त करना

यदि याचिकाकर्ता अपनी याचिका वापस लेता है, तो न्यायालय इसे स्वीकार कर सकता है। यदि अदालत को यह लगता है कि याचिका वापस लेना उचित है और कोई कानूनी परेशानी नहीं होगी, तो वह आदेश पारित कर सकती है। अदालत इस बात का भी ध्यान रखती है कि तलाक की याचिका वापस लेने से किसी भी पक्ष के अधिकारों का उल्लंघन न हो।

समझौता और मध्यस्थता

कभी-कभी, परिवार न्यायालय दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू करता है, ताकि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो सके। अगर दोनों पक्ष एक-दूसरे से सहमत होते हैं और तलाक को वापस लेने की इच्छा व्यक्त करते हैं, तो अदालत इसे स्वीकार कर सकती है। इसके बाद, अदालत समझौते के तहत मामले का निपटारा कर सकती है।

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समय सीमा

तलाक की याचिका वापस लेने की कोई विशेष समय सीमा नहीं होती, लेकिन एक बार याचिका पर सुनवाई शुरू हो जाने के बाद याचिका वापस लेने के लिए अदालत की मंजूरी आवश्यक होती है। यदि मामला पहले ही अंतिम सुनवाई की ओर बढ़ चुका है, तो याचिका वापस लेने में कुछ कानूनी अड़चनें आ सकती हैं।

कानूनी शर्तें और सावधानियाँ

  • कोर्ट की मंजूरी: तलाक की याचिका केवल तभी वापस ली जा सकती है, जब अदालत को यह लगता है कि याचिका का वापस लेना कोई कानूनी अवरोध उत्पन्न नहीं करेगा।
  • अन्य पक्ष की सहमति: यदि एक पक्ष तलाक की याचिका वापस लेना चाहता है, तो दूसरे पक्ष की सहमति भी महत्वपूर्ण हो सकती है। कभी-कभी, यदि एक पक्ष तलाक के फैसले पर अड़ा होता है, तो अदालत को इसका ध्यान रखना होता है।
  • मध्यस्थता की प्रक्रिया: कई मामलों में, अदालत दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता करवा सकती है, ताकि वे अपने मतभेदों का समाधान बिना अदालत की मदद के कर सकें।
  • साक्षात्कार और साक्ष्य: तलाक की याचिका वापस लेते समय, यह आवश्यक हो सकता है कि याचिकाकर्ता अदालत के सामने अपनी इच्छाओं और कारणों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करे।

निष्कर्ष

तलाक की याचिका वापस लेना एक गंभीर निर्णय है, और इसे करने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। तलाक की याचिका वापस लेने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप दोनों पक्षों के अधिकारों और कर्तव्यों को समझते हैं और इस निर्णय से किसी भी पक्ष का अहित नहीं होगा। अगर दोनों पक्ष आपसी समझौते से इस प्रक्रिया को अपनाते हैं, तो तलाक की याचिका को वापस लेना संभव हो सकता है।

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याद रखें कि कानूनी सलाह लेना और उचित प्रक्रिया का पालन करना किसी भी न्यायिक निर्णय में सफलता के लिए आवश्यक है। यदि आप तलाक की याचिका वापस लेने के बारे में सोच रहे हैं, तो अपने वकील से परामर्श करना सबसे अच्छा रहेगा, ताकि आप पूरी प्रक्रिया को सही तरीके से समझ सकें और इसे प्रभावी रूप से लागू कर सकें।

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