यदि कोर्ट मैरिज के बाद लड़की अपने बयान बदल रही है, तो निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए ।
यदि कोर्ट मैरिज न्यायालय में पूरे नियम के साथ एक बार रजिस्टर हो गई है तो इसका मतलब यह है कि वह कोर्ट मैरिज किसी भी हाल में कैंसिल नहीं हो सकती है क्योंकि लड़की ने एक बार बयान रजिस्टर के सामने रिकॉर्ड कराया होता है। हां कई बार ऐसा चांस हो जाते हैं कि लड़की की वास्तविक उम्र अथवा नाम या कुछ अन्य दस्तावेजों में कमी हो जो कि कोर्ट मैरिज करते समय दर्शाई ना गई हो उस पर आपत्ति जरूर हो सकती है । लेकिन यदि सब कुछ सही है और फिर भी लड़की कोर्ट मैरिज होने के बाद अपने बयान बदल रही है और शादी नहीं करना चाहती है तो आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं क्योंकि शादी बिना तलाक के कैंसिल नहीं हो सकती है।
इसके बावजूद अज्ञानता बस लड़की कोर्ट मैरिज करने के बाद बहन बदल रही है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है। ऐसी स्थिति में मैरिज रजिस्टार के सामने पेश होकर लड़का पक्ष इस पूरी घटना की विधिवत जांच करा सकता है तथा लड़की के खिलाफ कार्रवाई भी करा सकता है।
कोर्ट मैरिज कितने दिन में पक्की मानी जाती है ?
भारत में कोर्ट मैरिज के बाद कुछ दिनों तक रजिस्ट्रार सर्टिफिकेट नहीं बनाता। यह समय 30 से 36 दिनों के बीच का होता है इस बीच यदि किसी भी पक्ष को कोई आपत्ति नहीं होती है तो फिर रजिस्ट्रार इस शादी पर अपनी सहमति की मोहर लगाकर इसे वैध घोषित कर देता है। इसके बाद दोनों की शादी का सर्टिफिकेट भी मिल जाता है।
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कोर्ट मैरिज का नया नियम क्या है ?
कोर्ट मैरिज के नए नियम के अनुसार अब किसी भी जाति अथवा धर्म अथवा उम्र के लोग अपनी सहमति से विवाह कर सकते हैं। रिवर और वधू यानी लड़का और लड़की दोनों ही एक दूसरे को पसंद करते हैं और दोनों की ही सहमति है तो उनके परिवारों की सहमति हो ऐसा आवश्यक नहीं है। आपसी सहमति से मैरिज रजिस्टार के सामने शादी कर सकते हैं तो 36 से 36 दिन के अंतराल में उनकी शादी को पूर्णता अवैध घोषित कर दिया जाता है जिसके बाद वे एक दूसरे के साथ रहने के लिए कानूनी रूप से योग्य हो जाते हैं तथा भारत के किसी भी कोने में रह सकते हैं।
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