दहेज का झूठा केस किया, तो भरना पड़ सकता है जुर्माना

दहेज का झूठा केस किया, तो भरना पड़ सकता है जुर्माना

भारत में, दहेज लेना और देना या फिर इसके लेन-देन में किसी भी प्रकार का सहयोग करना कानूनन जुर्म है। देहज का उत्पीड़न करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए के तहत 3 साल की जेल और जुर्माना हो सकता है। या दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत पांच साल तक की जेल और 15000 रुपये तक जुर्माना भरना पड़ सकता है। 

लेकिन अगर वाइफ अपने हस्बैंड पर दहेज़ का झूठा केस करती है, तो क्या वाइफ को  सज़ा मिलेगी? इसका जवाब है हाँ, उसे भी सज़ा मिलेगी। अगर कोई वाइफ अपने हस्बैंड पर दहेज का झूठा केस लगाती है, तो अब वह खुद मुसीबत में फंस सकती है। 

मुंबई हाईकोर्ट ने ऐसे ही एक केस की कार्यवाही करते समय अपने फैसले में हस्बैंड को सही पाया था। और उसकी वाइफ को झूठा केस करके पैसे हड़पने और हस्बैंड को बदनाम करने के लिए सज़ा भी दी थी। 

हालाँकि, इसके लिए अभी भारत के संविधान में कोई निश्चित नियम या कानून नहीं बनाया गया है। जहां यह निश्चित हो की दहेज़ का झूठा केस करने पर वाइफ को यह सजा जरूर मिलेगी। लेकिन कोर्ट अपनी समझ और पावर का यूज़ करके ऐसा कर सकता है। जैसे इस केस में मुंबई हाईकोर्ट द्वारा किया गया है।

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केस क्या था:-

साउथ मुंबई के एक बिजनेसमैन के खिलाफ उनकी वाइफ ने कोर्ट में दहेज और आपराधिक मामले का केस फाइल किया था। उसके जवाब में हस्बैंड का आरोप था कि उसकी वाइफ ने केवल प्रताड़ित करने के लिए दहेज का झूठा आरोप लगाया है। साथ ही, हस्बैंड ने वाइफ से कोर्ट में डाइवोर्स की मांग भी की थी। डाइवोर्स की मांग इस आधार पर की गयी थी कि लंबे समय से वाइफ द्वारा किये गए अत्याचारों की वजह से हस्बैंड और उसके परिवार की बहुत बेज़्ज़ती हुई और प्रतिष्ठा भी खराब हुई है।

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इसके बाद, हाईकोर्ट की कार्यवाही के दौरान यह साबित हुआ कि वाइफ द्वारा लगाया गया दहेज़ का आरोप झूठा और बेबुनियाद था। तो कोर्ट ने वाइफ को यह आदेश दिया कि वह हस्बैंड को 50 हजार रुपए मुआवजे के तौर पर दे। साथ ही, हस्बैंड द्वारा की गयी डाइवोर्स की मांग को भी मंजूरी दे दी गयी थी।

दहेज का झूठा केस हो तो क्या करे हस्बैंड:- 

  • अगर आपकी वाइफ आप पर या आपके परिवार पर कोई भी झूठा केस करती है, तो घबराएं नहीं बल्कि खुलकर उसका विरोध करें। 
  • आप झूठी शिकायत होने पर आईपीसी के तहत शिकायतकर्ता, गवाह और पुलिस पर भी केस कर सकते हैं। 
  • कई बार ऐसे केसिस में पुलिस एफआईआर नहीं करती है। तो आप किसी अच्छे वकील के ज़रिए पुलिस और उच्च अधिकारियों से मदद ले सकते है। 
  • हस्बैंड अपनी बेगुनाही के सारे सबूत कोर्ट के सामने रख सकता है। लेकिन हस्बैंड या वाइफ दोनों में से कौन सही है, इस बात का आखिरी फैसला कोर्ट ही करती है। कई केसिस में वाइफ के आरोप गलत पाए गए हैं और कोर्ट द्वारा हस्बैंड को सभी आरोपों से बरी किया गया है।
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