एक कंपनी के पंजीकरण या रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया कंपनी के प्रकार (type) पर निर्भर करती है। कंपनियां कई प्रकार की होती ही जैसे एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, वन पर्सन कंपनी, लिमिटेड कंपनी आदि। कंपनी एक्ट 2013 के तहत, प्रमोटरों की गतिविधि (activity) और जरूरतों के आधार पर अलग-अलग प्रकार के कंपनी रजिस्ट्रेशन का चयन किया जा सकता है।
कंपनी एक्ट, 2013 के तहत रजिस्ट्रेशन
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी
भारत में, यह कंपनी का सबसे आम प्रकार है। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में व्यवसाय और व्यक्तिगत संपत्तियों अलग होती है। इसलिए हर शेयर धारक (shareholder) कुल पूंजी के अपने हिस्से के लिए ही जवाबदेह होता है। एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को मैंटेन करने के लिए पैसों के लेनदेन, बोर्ड मीटिंग, वार्षिक रिपोर्ट और अन्य सभी छोटी बड़ी चीजों का रिकॉर्ड बना कर रखना चाहिए। इसके अलावा, इस तरह की कंपनी की सारी पूंजी, शेयर के रूप में होती हैं, जिन्हें समय के साथ किसी अन्य व्यक्ति को बेचा या ट्रांसफर किया जा सकता है। एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के शेयर को स्टॉक एक्सचेंज में नहीं बेचा जा सकता हैं और ना ही यह आम जनता के लिए आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) लॉन्च कर सकती है।
रजिस्ट्रेशन के लिए मानदंड
- कम से कम दो और ज्यादा से ज्यादा पंद्रह कंपनी के डायरेक्टर।
- कम से कम एक डायरेक्टर भारत का निवासी होना चाहिए।
- कम से कम दो और ज्यादा से ज्यादा 200 शेयरधारक या सदस्य।
- इसके अलावा, कम से कम 1 लाख रुपये की अधिकृत पूंजी होनी चाहिए।
- एक भारतीय रजिस्टर्ड कार्यालय का पता/अड्रेस होना चाहिए।
पब्लिक लिमिटेड कंपनी
एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी वह होती है जिसके शेयर आम जनता द्वारा खरीदने के लिए उपलब्ध होते हैं। ऐसी व्यावसायिक संस्थाओं में खरीदे, बेचे या व्यापार किए जा सकने वाले शेयरों की संख्या की कोई सीमा नहीं होती है। क्योंकि कंपनी के शेयरों का स्वतंत्र रूप से कारोबार किया जाता है क्योंकि वह स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध (listed) होते हैं। ऐसी कंपनियों में शेयरधारक कंपनी के सह-मालिक होते हैं। इससे पहले कि वह कंपनी को चलना शुरू कर सकें, इन कंपनियों को आरओसी से रजिस्ट्रेशन का प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है।
रजिस्ट्रेशन के लिए मानदंड
- कम से कम तीन डायरेक्टर।
- कम से कम एक डायरेक्टर का भारत का निवासी होना जरूरी है।
- कम से कम सात शेयरधारक और ज्यादा के लिए कोई सीमा नहीं है।
- अधिकृत पूंजी शुल्क कम से कम पांच लाख होना चाहिए।
- एक भारतीय रजिस्टर्ड कार्यालय का पता/एड्रेस होना चाहिए।
पार्टनरशिप
साझेदारी या पार्टनरशिप वाली व्यावसायिक संस्थाएँ एकल स्वामित्व (sole proprietorship) से काफी मिलती जुलती हैं। यह एक फैक्ट है कि पार्टनरशिप में एक से ज्यादा व्यक्ति शामिल होते हैं जो इसे मौलिक स्तर पर एकल स्वामित्व से अलग करता है। एक कानूनी पार्टनरशिप के समझौते में हर भागीदार या पार्टनर के कामों, दायित्वों और स्वामित्व के हिस्से को स्पष्ट रूप से तय किया जाता है। हर पार्टनर किसी भी नुकसान के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होता है, यह बनाया गया पार्टनरशिप का एग्रीमेंट साफ़ साफ़ बताता है कि व्यवसाय के मुनाफे/प्रॉफिट को सभी पार्टनर्स के बीच कैसे बांटा जाएगा।
रजिस्ट्रेशन के लिए मानदंड
- कम से कम दो और ज़्यादा से ज़्यादा दस पार्टनर्स होने चाहिए।
- एक भारतीय रजिस्टर्ड कार्यालय का पता/अड्रेस होना चाहिए।
- सभी पार्टनर्स को एक रजिस्टर्ड पार्टनरशिप डीड पर साइन करना होता है।
एक व्यक्ति की कंपनी
2013 के कंपनी एक्ट ने एकल-व्यक्ति कंपनी का कांसेप्ट बनाया था। इस बिज़नेस को शुरू करने का मुख्य लक्ष्य उन एंटरप्रेन्योर्स (entrepreneurs) को समर्थन देना था जो खुद के दम पर अपना बिज़नेस शुरू करना चाहते है। इसके अलावा, यह ध्यान देने योग्य बात है कि ओपीसी केवल एक सदस्य को भी बिज़नेस करने की अनुमति देता है।
इसके विपरीत, एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप बनाने और बनाए रखने के लिए कम से कम दो सदस्य होने चाहिए। यह ओपीसी रजिस्ट्रेशन के मुख्य लाभों में से एक है। 2013 के कंपनी एक्ट के तहत बिज़नेस रजिस्ट्रेशन का एकमात्र प्रकार जो केवल एक सदस्य को ओपीसी रजिस्ट्रेशन की अनुमति देता है।
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