घरेलू महिलाओं के परिजन भी ले सकते हैं इंश्योरेंस मुआवजा

घरेलु महिलाओं के परिजन भी ले सकते हैं मुआवजा

परिवार में पुरुष की मृत्यु के मामले में इंश्योरेंस मुआवजा मिलता है। अब तक इंश्योरेंस की राशि के मामले में पुरुष ही आगे रहे हैं। लेकिन इंश्योरेंस कम्पनियां घरेलू महिला को कम करके आँकती रही हैं। लेकिन इस लेख में हम आपको एक केस बताएँगे जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जज साहब ने बहुत गहरी बात कही। एक घरेलू महिला की घर में क्या हैसियत होती है इसकी कदर भले ही घरवालों ने ना की हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने की है।

इंश्योरेंस के मुआवजे के मामले में जस्टिस रमन्ना ने एक गृहणी की वैल्यू बड़े ही अनोखे अंदाज में बताई। उन्होंने एक नैशनल सर्वे रिपोर्ट का उदाहरण दिया। सर्वे रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने गृहणियो के काम और उनके महत्त्व की तुलना पुरुषो से की। इस तुलना में महिलायें पुरुषों पर हर हिसाब से ज्यादा वेल्युएबल साबित हुईं।

कोर्ट ने कहा कि एक महिला जो घर की देखभाल करती है घर के लिए उसका महत्त्व कहीं से भी पुरुष की तुलना में कम नहीं है। दरसल कोर्ट ने यह टिप्पणी एक जोड़े की एक्सीडेंट में हुई मौत के मामले में की थी। इस केस मे मरने वाली महिला के लिए मुआवजा राशि बढानी की मांग की गयी थी।

इसके पहले भी 2001 में वाधवा केस में सुप्रीम कोर्ट ने मृतक महिला के परिजनों को मुआवजा देने का फैसला दिया था। जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने महिला के घर में किए जाने वाले काम को आधार माना था। कोर्ट ने उसी आधार पर महिला के परिजनों को मुआवजा देने का फैसला दिया था।

इस केस में बात बीते 21 जनवरी 2021 की है जब जस्टिस रमन्ना ने कहा कि महिलाओं का योगदान कहीं से भी कम नहीं है। उन्होंने कहा कि एक महिला एक दिन में घर के सभी सदस्यों की देखभाल करने में 134 मिनट खर्च करती हैं। लेकिन पुरुष घरेलू कामों में केवल 76 मिनट ही खर्च करते हैं। कोर्ट ने कहा कि घर में काम करने वाली महिला पुरुषों की तुलना में ज्यादा काम करती हैं वो भी बिना पैसे लिए।

कोर्ट ने कहा कि महिलाए पूरे परिवार के लिए खाना बनाती हैं, खरीदारी करती हैं। इसके अलावा घर को साफ रखने से लेकर सुन्दर बनाए रखती हैं। घर के हर सदस्य बच्चों और बुजुर्गों की जरूरतों का ख्याल रखती हैं। इतना ही नहीं घरेलू खर्चे तक को कंट्रोल करती हैं।

ग्रामीण महिलाएं तो खेती बाड़ी में भी सहयोग करती हैं। जस्टिस रमन्ना ने कहा कि घर में काम करने वाली महिलाओं के श्रम का सम्मान करने की जरूरत है। उनके होने से ना सिर्फ घर को मजबूती मिलती है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा योगदान देतीं हैं। तो अब “तुम घर में करती क्या हो” कहने से पहले 100 बार सोच लेना।

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