क्या नोटरी पर की गई शादी मान्य होती है?

क्या नोटरी पर की गई शादी मान्य होती है?

भारत में शादी एक महत्वपूर्ण सामाजिक और कानूनी बंधन है। यह केवल दो व्यक्तियों के बीच प्रेम का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह एक विधिक प्रक्रिया भी है, जो समाज और कानून के द्वारा मान्यता प्राप्त है। शादी के विभिन्न तरीके हैं, जिनमें से एक तरीका नोटरी एफिडेविट के माध्यम से विवाह करना है। हालांकि, इस प्रक्रिया की कानूनी स्थिति और वैधता पर सवाल उठते हैं। इस ब्लॉग में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि शादी के लिए नोटरी एफिडेविट कितनी सही है, इसके फायदे और नुकसान, तथा इसके पीछे भारतीय कानून और न्यायालयों के निर्णय क्या हैं।

नोटरी एफिडेविट क्या है?

नोटरी एफिडेविट एक कानूनी दस्तावेज है, जिसे नॉटरी पब्लिक द्वारा प्रमाणित किया जाता है। इसमें शादी के लिए आवश्यक जानकारी जैसे दूल्हे और दुल्हन की पहचान, उम्र, और विवाह की सहमति को दर्शाया जाता है। यह दस्तावेज अदालत में एक कानूनी प्रमाण के रूप में कार्य कर सकता है, लेकिन इसका उद्देश्य केवल विवाह के लिए जानकारी प्रदान करना है।

नोटरी एफिडेविट का क्या महत्व है?

नोटरी एफिडेविट का उद्देश्य एक ऐसा दस्तावेज तैयार करना है जो विवाह की प्रक्रिया को सरल और सुरक्षित बना सके। यह दस्तावेज परिवारों के बीच सहमति को दर्शाता है और यह साबित करता है कि दूल्हा और दुल्हन दोनों ने विवाह के लिए अपनी सहमति दी है।

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भारत में विवाह के लिए कौन से कानून उपलब्ध है?

भारत में विवाह के लिए कई कानून हैं, जैसे हिंदू विवाह अधिनियम, मुस्लिम विवाह अधिनियम, और विशेष विवाह अधिनियम। ये कानून विवाह की प्रक्रिया, आवश्यकताओं और नियमों को निर्धारित करते हैं।

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955

हिंदू विवाह अधिनियम के तहत, विवाह के लिए न्यूनतम उम्र 21 वर्ष (पुरुष) और 18 वर्ष (महिला) है। इस अधिनियम के तहत विवाह की प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जिसमें शादी के लिए पंजीकरण और अन्य कानूनी आवश्यकताओं का पालन करना अनिवार्य है।

विशेष विवाह अधिनियम, 1954

विशेष विवाह अधिनियम उन लोगों के लिए है जो अलग-अलग धर्मों से हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत विवाह के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है, जिसमें दोनों पक्षों की सहमति, उम्र, और पहचान का प्रमाण होना चाहिए।

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मुस्लिम विवाह अधिनियम, 1939

यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए लागू होता है और इसमें भी विवाह की प्रक्रिया और आवश्यकताएँ निर्धारित की गई हैं।

नोटरी एफिडेविट से शादी: क्या यह वैध है?

कानूनी स्थिति

भारतीय कानून के अनुसार, नोटरी एफिडेविट के माध्यम से विवाह करना कानूनी रूप से मान्य नहीं है। उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि यदि शादी केवल नोटरी एफिडेविट के आधार पर की जाती है, तो इसे ‘नल एंड वॉइड’ (null and void) माना जाएगा। इसका अर्थ यह है कि ऐसा विवाह कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं होता है।

न्यायालय के निर्णय

भारतीय न्यायालयों ने इस पर स्पष्टता दी है कि विवाह की कानूनी प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। एक प्रमुख मामले में, सीता राम वर्सेस राज्य (2011) में अदालत ने कहा कि विवाह के लिए निर्धारित कानूनी प्रक्रिया का पालन न करना इसे अवैध ठहराता है।

उच्च न्यायालय के निर्णय

उच्च न्यायालयों ने भी इस विषय पर कई महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं। उदाहरण के लिए, एक मामले में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि नोटरी एफिडेविट पर आधारित विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती है। इस प्रकार के विवाह को किसी भी अदालत में चुनौती दी जा सकती है और इसे अवैध ठहराया जा सकता है।

बुंडेल सिंह लोधी बनाम राज्य मध्य प्रदेश में  कोर्ट ने कहा  न तो नॉटरी विवाह को प्रमाणित करने के लिए अधिकृत है और न ही नॉटरी अधिनियम, 1952 और नॉटरी नियम, 1956 के तहत तलाक के दस्तावेज को निष्पादित करने के लिए सक्षम है। एक नॉटरी को विवाह अधिकारी के रूप में नियुक्त नहीं किया गया है। 

नॉटरी को विवाह या तलाक के दस्तावेज़ बनाने से मना किया गया है क्योंकि उन्हें विवाह अधिकारियों के रूप में नियुक्त नहीं किया गया है। कुछ नॉटरी विवाह प्रमाणपत्र जारी कर रहे थे और विवाह के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करवा रहे थे। इसके अलावा, नॉटरीकृत समझौतों के जरिए बाल विवाह के मामले भी सामने आए हैं।

इस मामले में उड़ीसा उच्च न्यायालय और मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के कई फैसले शामिल हैं, जिनमें कहा गया है कि नॉटरी के कार्य केवल नॉटरी अधिनियम, 1952 की धारा 8 और नॉटरी नियम, 1956 के नियम 11 तक सीमित हैं। ये अदालतें यह भी कहती हैं कि नॉटरी विवाह अधिकारियों के रूप में नहीं हैं, इसलिए उन्हें विवाह और तलाक के दस्तावेज़ बनाने का अधिकार नहीं है।

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अगर नॉटरी इस निर्देश की अनदेखी करते हैं, तो इसे मिसकंडक (misconduct) माना जाएगा और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है

नोटरी एफिडेविट का प्रयोग: इसके फायदे और नुकसान क्या हैं?

फायदे

  • नोटरी एफिडेविट तैयार करना और प्रमाणित करवाना सरल और तेज होता है। यह प्रक्रिया सामान्य विवाह की तुलना में अधिक सस्ती और त्वरित हो सकती है।
  • यदि परिवारों के बीच विवाह की सहमति हो, तो यह प्रक्रिया तेज हो सकती है।

नुकसान

  • नोटरी एफिडेविट के आधार पर किया गया विवाह कानूनी रूप से मान्य नहीं होता। यदि किसी कारण से विवाह को चुनौती दी जाती है, तो नोटरी एफिडेविट का कोई महत्व नहीं होगा।
  • यदि विवाह को कानूनी रूप से चुनौती दी जाती है, तो ऐसे मामलों में नोटरी एफिडेविट कोई मदद नहीं करेगा। इससे संबंधित संपत्ति, उत्तराधिकार और अन्य कानूनी मुद्दों में जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
  • कई समुदायों में नोटरी एफिडेविट के आधार पर किए गए विवाह को मान्यता नहीं मिलती। इससे सामाजिक और पारिवारिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

वैकल्पिक तरीके क्या है ?

यदि आप शादी करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित विकल्पों पर विचार कर सकते हैं:

पंजीकृत विवाह: सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ विवाह पंजीकरण कार्यालय में जाकर विवाह को पंजीकृत करना सबसे सुरक्षित और कानूनी तरीका है।

विशेष विवाह अधिनियम: यदि आप अंतर-धार्मिक विवाह कर रहे हैं, तो इस अधिनियम का उपयोग कर सकते हैं। यह विधिक प्रक्रिया आपको वैधता और सुरक्षा प्रदान करती है।

स्थानीय विवाह कानून: अपने राज्य के स्थानीय विवाह कानूनों की जानकारी लें, क्योंकि यह कानून अलग-अलग हो सकते हैं और आपकी स्थिति के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प चुनने में मदद कर सकते हैं।

वैध विवाह की प्रक्रिया क्या है?

आवश्यक दस्तावेज

  • पहचान प्रमाण: आधार कार्ड, पैन कार्ड, या पासपोर्ट।
  • उम्र का प्रमाण: स्कूल सर्टिफिकेट, जन्म प्रमाण पत्र।
  • गवाहों की आवश्यकता: शादी के समय कम से कम दो गवाहों की उपस्थिति आवश्यक होती है।
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प्रक्रिया

  • विवाह की योजना: दोनों पक्षों को शादी के लिए एक तारीख तय करनी होगी और आवश्यक दस्तावेज तैयार करने होंगे।
  • पंजीकरण कार्यालय में आवेदन: विवाह पंजीकरण के लिए आवेदन पत्र भरकर संबंधित कार्यालय में जमा करें।
  • गवाहों की उपस्थिति: विवाह के समय गवाहों को भी उपस्थित रहना होगा और उन्हें अपने पहचान प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे।
  • विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त करना: सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद, विवाह प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा, जो आपके विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान करेगा।

वकील की सलाह लेना आवयशयक क्यों है?

जब आप विवाह की योजना बना रहे हैं, तो कानूनी सलाह लेना बेहद महत्वपूर्ण है। एक योग्य वकील आपको सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है और आपकी विशेष स्थिति के अनुसार उपयुक्त विकल्प चुनने में मदद कर सकता है।

वकील से मिलने के लाभ

कानूनी प्रक्रिया की स्पष्टता: वकील आपको सभी कानूनी प्रक्रियाओं और आवश्यकताओं के बारे में जानकारी देगा।

भविष्य के विवादों से सुरक्षा: एक वकील आपको ऐसे दस्तावेज तैयार करने में मदद करेगा जो भविष्य में किसी भी कानूनी विवाद से बचने में मददगार होंगे।

विशेष विवाह अधिनियम की प्रक्रिया: यदि आप विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह कर रहे हैं, तो वकील आपको सही दिशा में मार्गदर्शन करेगा।

निष्कर्ष

शादी केवल एक निजी निर्णय नहीं है; यह एक कानूनी प्रक्रिया भी है। नोटरी एफिडेविट एक सहायक दस्तावेज हो सकता है, लेकिन इसे आधार मानकर विवाह करना भारतीय कानून में न केवल अवैध है, बल्कि इससे भविष्य में कई समस्याएँ भी हो सकती हैं।

इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप विवाह के लिए सभी आवश्यक कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करें। यदि आप इस प्रक्रिया में अनिश्चितता महसूस कर रहे हैं, तो कानूनी सलाह लेने पर विचार करें। यह सुनिश्चित करेगा कि आपका विवाह न केवल व्यक्तिगत रूप से सफल हो, बल्कि कानूनी दृष्टि से भी मान्य हो।

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