क्या भारत में अडल्ट्री डाइवोर्स लेने का आधार है?

क्या भारत में अडल्ट्री डाइवोर्स लेने का आधार है?

अडल्ट्री का मतलब, शादीशुदा होते हुए भी अपने हस्बैंड या वाइफ के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के साथ सेक्सुअल रिलेशन्स मैंटेन करना होता है। बशर्ते यह सेक्सुअल रिलेशन उस शादीशुदा व्यक्ति की मर्जी और उसके पूरे होश में बनाया गया होना जरूरी है। 

क्या अडल्ट्री तलाक का आधार है?

हाँ, भारत में लागू हिन्दू मैरिज एक्ट के सेक्शन 13 (1) के तहत अडल्ट्री को तलाक लेने का एक मुख्य आधार माना गया है। एक हस्बैंड या वाइफ जिसके पार्टनर ने उसके साथ अडल्ट्री की है वह व्यक्ति कोर्ट में डाइवोर्स लेने के लिए पिटीशन फाइल कर सकता है। 

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हालाँकि कोई भी ऐसा व्यक्ति जो अपने पार्टनर के खिलाफ भारत के किसी भी कोर्ट में डाइवोर्स की पिटीशन फाइल करने के बारे में सोच रहा है तो उसे पहले इस बात का पूरा ध्यान रखना होगा कि व्यक्ति के पास अपने पार्टनर द्वारा अडल्ट्री किये जाने के सुबूत होने चाहिए। व्यक्ति को कोर्ट की प्रोसीडिंग्स के दौरान यह बात साबित करनी होगी कि उसके पार्टनर ने अडल्ट्री की है और उसके किसी अन्यय व्यक्ति के साथ सेक्सुअल रिलेशन्स है।  

हिंदू मैरिज एक्ट के तहत अडल्ट्री के प्रोविजन्स क्या है?

हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 10 के तहत अडल्ट्री को न्यायिक अलगाव का मुख्य आधार माना जाता है। हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 13(1) के तहत पार्टी तलाक या न्यायिक अलगाव के लिए कोर्ट में पिटीशन फाइल कर सकते हैं।

ऊपर बताये गए इस कथन को तय करने वाला केस सुलेखा बैरागी बनाम प्रोफेसर कमला कांता बैरागी का है। इस केस में कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि हस्बैंड के बयान के अनुसार उसकी वाइफ को-रेस्पोंडेंट के साथ एक आपत्तिजनक सिचुएशन में पकड़ी गयी थी। इस ब्यान और पेश हुए कुछ सुबूतों के चलते कोर्ट ने पिटीशनर के पक्ष में फैसला सुनाया था और न्यायिक अलगाव दिया गया था।

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मुस्लिम कानून में अडल्ट्री के प्रोविजन्स क्या है?

पवित्र कुरान के अनुसार अडल्ट्री एक गंभीर अपराध है। अडल्ट्री को इस्लाम में हराम माना जाता है। इसे एक ऐसा अपराध समझा जाता है जिसके लिए कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। मुस्लिम कानून में अडल्ट्री करने वाले व्यक्ति को पत्थर मार के मौत की सज़ा देने का प्रावधान है, लेकिन भारत एक लोकतांत्रिक देश है और यहाँ ऐसा करना या ऐसी सज़ा देना संभव नहीं है। 

भारत में अडल्ट्री को डाइवोर्स लेने का मुख्य आधार माना गया है। हालाँकि, जैसा कि ऊपर भी बताया गया है कि अगर कोई भी हस्बैंड या वाइफ अपने जीवनसाथी को अडल्ट्री के आधार पर डाइवोर्स देना चाहते है तो उन्हें यह साबित करना होगा कि ऐसा है। साथ ही, अगर कोर्ट की प्रोसीडिंग्स के दौरान यह इलज़ाम गलत प्रूव होती है तो जिसपर यह इलज़ाम लगाया गया है वह व्यक्ति मानहानि का केस फाइल कर सकता है। 

हमारे देश में, अडल्ट्री हमेशा से मनोबल गिराने वाला रहा है। वास्तव में, भारत में समय के साथ इस मुद्दे को लेकर निराशा बढ़ी है। जापान में 1976 तक, वाइफ या हस्बैंड की बेवफाई को तलाक का आधार माना जाता था, लेकिन अब तलाक या पार्टनर से अलग होने के लिए अप्लाई करना संभव है, अगर पार्टनर ने हस्बैंड या वाइफ के अलावा किसी और के साथ अपनी मर्ज़ी से सेक्सुअल रिलेशन्स बनाये है। 

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